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यूपी के सहारनपुर में सिखों और मुस्लिमों ने मिलकर दस साल पुराना जमीन विवाद निपटा लिया है. इस विवाद को खत्म करने की प्रेरणा उन्हें दिल्ली हिंसा के दौरान सिखों और मुस्लिमों के बीच भाईचारे को देख कर मिली.
सहारनपुर में सिखों और मुस्लिमों के बीच रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर पर मौजूद एक प्लॉट को लेकर झगड़ा चल रहा था. गुरुद्वारा कमेटी ने गुरुद्वारा कॉम्प्लेक्स के विस्तार के लिए यह जमीन खरीदी थी. जमीन खरीदने के बाद इस पर मौजूद पुराना ढांचा ढहा दिया गया था, जिसके बारे में मुस्लिमों का दावा था कि यह एक पुरानी मस्जिद थी.
झगड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, वहां मुस्लिम पक्ष ने अपना दावा छोड़ दिया. इसके बाद सिखों ने मुस्लिमों को दूसरा प्लॉट देने का फैसला किया. लेकिन अब मुस्लिमों ने दिल्ली हिंसा के शिकार मुस्लिमों को सिखों की ओर से दी गई मदद से प्रभावित होकर इस पर अपना दावा छोड़ने का फैसला किया है. वे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिमों के प्रदर्शन को सिखों के समर्थन से भी प्रभावित हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में मुस्लिमों का पक्ष रखने वाले निजाम पाशा ने कहा
मुस्लिमों की ओर से याचिका दायर करने वाले मुहर्रम अली ने कहा, सिख समुदाय के लोग काफी अच्छा काम कर रहे हैं. द क्विंट से मुहर्रम अली ने कहा सिख मानवता के साथ खड़े हैं. उन्होंने जरूरतमंद लोगों की मदद की. उन्होंने दिल्ली में हिंसा प्रभावित लोगों की मदद की.
मुहर्रम अली और स्थानीय मुस्लिमों ने गुरुद्वारा के कंस्ट्रक्शन के दौरान कार सेवा में हिस्सा लिया. सिखों के प्रतिनिधि सन्नी ने कहा कि मुस्लिम जिस तरह से गुरुद्वारे की कारसेवा के लिए आए उससे हम बेहद खुश हैं. हमारे बीच 2010 से विवाद चल रहा था. हम नहीं चाहते थे कि इसकी वजह से दो समुदायों के बीच सौहार्द बिगड़े.
2014 में इस विवाद की वजह से सहारनपुर में हिंसा हुई थी. हालांकि पिछले साल से दोनों समुदायों के बीच संबंध सुधरने लगे थे. सन्नी ने कहा कि सिख यहां प्रार्थना के लिए कोई जगह चाह रहे थे. मुस्लिम भी यही चाह रहे थे. इसमें किसी का कोई निजी स्वार्थ नहीं था. सन्नी और दूसरे स्थानीय सिख अब मस्जिद की नींव रखने में मदद करेंगे. मुहर्रम अली ने गुरुद्वारा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर जमीन का इंतजाम किया है. मुस्लिमों और सिखों के बीच इस विवाद के निपटारे में सहारनपुर प्रशासन की भी अहम भूमिका रही.
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