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"कोर्ट का फैसला आने के बाद मेरी जिंदगी बदतर हो गई"- 2013 मुजफ्फरनगर रेप सर्वाइवर
रेप पीड़िता का कहना है कि जब कोर्ट का फैसला आया तो वह खुश थी. लेकिन...
फातिमा खान
भारत
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'कोर्ट का फैसला आने के बाद मेरी जिंदगी बदतर हो गई': 2013 मुजफ्फरनगर रेप सर्वाइवर
(फोटो- क्विंट हिंदी)
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साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों (Muzaffarnagar Riots) के दौरान गैंग-रेप का शिकार हुई पीड़िता ने दोषियों के खिलाफ एक दशक की लंबी लड़ाई लड़ी. मई 2023 में, जिला अदालत ने आरोपियों महेश वीर और सिकंदर को दोषी ठहराया और 20 साल की सजा सुनाई. कानूनी जीत मिलने के बाद भी पीड़िता की जिंदगी में सुकून वापस नहीं आया.
द क्विंट से बात करते हुए गैंग रेप सर्वाइवर का कहना है कि कोर्ट के फैसले ने उसे बहुत खुशी दी, लेकिन तब से उसके लिए चीजें बद से बदतर होती गईं.
द क्विंट ने फैसले के दो महीने बाद उत्तर प्रदेश में उनके आवास पर उनसे मुलाकात की और उनकी 'जीत' के बाद से उनके जीवन के बारे में बात की.
रेप सर्वाइवर ने बताया कि...
"जब फैसला सुनाया गया तो मुझे खुशी महसूस हुई, लेकिन उससे पहले मेरी पहचान के बारे में किसी को पता नहीं था. सिर्फ मेरे पति और परिवार वालों को ही पता था, लेकिन इसके बाद सभी को पता चल गया है कि इस मामले में रेप पीड़िता मैं ही हूं. तो फैसले से कुछ भी नहीं बदला, चीजें केवल इसलिए खराब हुईं, क्योंकि मेरी पहचान लीक हो गई थी."
2013 मुजफ्फरनगर गैंग रेप सर्वाइवर ने द क्विंट से बात की.
(फोटो- ऋभू चटर्जी)
"एक दशक से दौड़ रही हूं...अभी तक सुकून नहीं मिला"
भारतीय कानून के मुताबिक यौन उत्पीड़न और रेप के मामलों में केस की रिपोर्टिंग करते वक्त मीडिया द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है.
इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "फैसले के बाद कई स्थानीय पत्रकारों ने इस नियम का पालन नहीं किया." पीड़िता ने द क्विंट से बताया कि...
"उन्होंने रेप सर्वाइवर के रूप में मेरी तस्वीर के साथ मेरा नाम रिपोर्ट किया. इससे पहले, हमारे आस-पास भी बहुत से लोग नहीं जानते थे कि मैं रेप सर्वाइवर हूं. पिछले दस सालों से मेरी पहचान छिपाई गई थी. लेकिन अब, हर कोई जानता है."
पीड़िता का मानना है कि ये जानबूझकर किया गया काम था.
वो कहती हैं कि मुझे लगता है कि यह मुझे बदनाम करने और मेरी जिंदगी मुश्किल में डालने के लिए जानबूझकर किया गया है.
पीड़िता ने कहा कि उसकी पहचान और डीटेल्स लीक हो गई है, इसलिए उसे खुद के बारे में अक्सर कई गलत सोच वाले कमेंट्स सुनने को मिलते हैं.
"लोग मेरे बारे में तरह-तरह की बातें करते हैं. उन्हें लगता है कि मैं गलत हूं. बहुत से लोग, खासकर वे जो अशिक्षित हैं, मेरे बारे में बुरे कमेंट्स करते हैं. मुझे नहीं पता कि मुझे अब क्या करना चाहिए. मैं पिछले 10 सालों से लगातार लड़ रही हूं लेकिन मुझे अभी भी सुकून नहीं मिल सका है."
"कभी अपने गांव नहीं लौटूंगी"
मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान पीड़िता अपने गांव से बाहर चली गई और तब से कभी वापस नहीं आई. उसके पक्ष में फैसला आने के बाद भी, उसे अब भी यकीन है कि वह वापस नहीं लौटेगी.
"मैं कभी अपने गांव लौटने के बारे में नहीं सोची था. हम कैसे कर सकते थे? हमारा घर जला दिया गया, हमारा सारा सामान, हमारे मवेशी, कुछ भी नहीं बचा. उन्होंने मेरे साथ रेप किया. ऐसी जगह कौन वापस जा सकता है? अब भी, जब मैं उस जगह का नाम सुनती हूं तो सिहर उठती हूं."
रेप सर्वाइवर
लगभग दस सालों तक चली कानूनी कार्यवाही ने पाड़िता के दिमाग पर गहरा असर छोड़ा है.
"दस साल हो गए, लेकिन मैं इसे भूल नहीं पाई हूं. उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. असल में उन्होंने कोर्ट में मुझ पर हर तरह के आरोप लगाए. उन्होंने मेरे कैरेक्टर पर सवाल उठाए, मुझसे मेरे घर के बारे में अप्रासंगिक सवाल पूछे. मुझसे पूछा कि खेत (जहां मेरे साथ रेप हुआ था) कितना बड़ा है, खेत में गन्ने कितने लंबे हैं. मैंने सवालों के जवाब में कहा कि मैं गन्ने या खेत की लंबाई मापने के लिए वहां नहीं थी, मुझे अपनी भलाई के बारे में ज्यादा चिंता थी."
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"कई महिलाओं ने वापस ली शिकायतें"
रेप सर्वाइवर ने आगे बताया कि शुरुआत में कई महिलाओं ने एक ही पुरुष पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था, लेकिन धीरे-धीरे सभी शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायत वापस ले ली, सिवाय उसे छोड़कर. पीड़िता ने कहा कि...
"मुझे नहीं पता कि अन्य महिला शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायतें वापस क्यों ले लीं. हो सकता है कि उन्हें उसी तरह धमकी दी गई हो जैसे मुझे धमकी दी गई थी. केस दर्ज होने के बाद आरोपियों से जुड़े कुछ लोग एक बार मेरे घर भी आये थे. उन्होंने मेरे पड़ोसियों के जरिए मुझे समझाने की कोशिश की कि अगर मैं अपनी शिकायत वापस लेने के लिए राजी हो जाऊं तो वे मुझे पैसे देंगे."
डराने-धमकाने की तमाम कोशिशों के बावजूद पीड़िता ने समझौता करने से इनकार कर दिया.
मान लीजिए कि मैं समझौता करने के लिए सहमत हो जाती लेकिन मैं पहले ही अपनी इमेज, अपनी गरिमा...सब कुछ खो चुकी थी. मैं नहीं चाहती थी कि किसी और को उनके हाथों मेरी तरह मुश्किलें झेलनी पड़ें.
हालांकि, उसका संकल्प हमेशा इतना मजबूत नहीं था. यकीनन...शुरू में वह पुलिस को क्राइम की रिपोर्ट बिल्कुल नहीं करना चाहती थी.
"कत्ल की धमकी मिली"
रेप पीड़िता ने बताया कि मेरे साथ रेप करते वक्त वो लोग कहते रहे थे कि अगर तुम अपने पति को बताओगी, तो वह तुम्हें छोड़ देंगे...अगर तुमने पुलिस को बताया, तो हम तुम्हें मार डालेंगे.
पीड़िता बीते वक्त को याद करते हुए कहती हैं...
मैं कभी भी रिपोर्ट नहीं करना चाहती थी. मैंने अपने पति को भी यह बात बताई लेकिन जब मैंने अपने पति को बताया कि क्या हुआ था, तो उन्होंने कहा कि यह मेरी गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि वह मेरे साथ हैं और मुझे डरना नहीं चाहिए, उन्होंने मेरे लिए दवाइयां भी मंगवाईं.
'मैं अपने बच्चों से पढ़ रही हूं, यहां से बाहर जाना चाहती हूं'
मौजूदा वक्त में पीड़िता की जिंदगी जीने की स्थिति उथल-पुथल से भरी है. घर पर कुछ सिलाई का काम वाले उनके पति की इनकम बहुत कम है और इतनी नहीं कि वे अपने तीन बच्चों की मदद कर सकें.
पीड़िता ने कहा कि...
"मेरे बच्चे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन इनकम की समस्या के कारण मैं उन्हें अच्छी तरह से पढ़ाने में असमर्थ हूं. मैंने भी पढ़ने की कोशिश की. अब मुझे मेरे बच्चे पढ़ा रहे हैं. मैंने अंग्रेजी में चैट करना सीख लिया है. मैं हिंदी भी अच्छी तरह पढ़ लेती हूं. मैं अब बूढ़ी हो गई हूं, लेकिन कोशिश कर रही हूं. मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे अच्छा करें."
वह अब अपने बच्चों की किताबों से पढ़ाई करती हैं.
(फोटो- ऋभू चटर्जी)
अपनी तस्वीरें और नाम लीक होने को देखते हुए पीड़िता ने कहा कि वो अब उत्तर प्रदेश से बाहर जाना चाहती हैं.
"मैं यहां से शिफ्ट होना चाहती हूं. मैं दिल्ली-एनसीआर जाना चाहती हूं. जिंदगी में मेरा सिर्फ एक उद्देश्य अब अपने बच्चों को आगे बढ़ते देखना है. मेरा भविष्य बर्बाद हो गया है, लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे अच्छा करें. मैं नहीं चाहती कि यहां लोग मेरे बारे में जो भयानक बातें कहते हैं, वे उन तक पहुंचें. किसी दिन उन्हें इस बारे में पता चलेगा, लेकिन मुझे लगता है कि वे तब तक समझदार हो जाएंगे."