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मुजफ्फरपुर कांड का मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर क्यों लगा रहा था ठहाके

ब्रजेश ठाकुर का बिहार सरकार में जमा था सिक्का. सैकड़ों में सर्कुलेशन, लाखों में विज्ञापन

क्विंट हिंदी
भारत
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रेप कांड का आरोपी ब्रजेश ठाकुर
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रेप कांड का आरोपी ब्रजेश ठाकुर
(फोटोः Twitter)

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शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार का आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तारी के बाद भी ठहाके क्यों लगा रहा था? हाथों में हथकड़ी चारों तरफ पुलिस वालों का घेरा फिर भी ब्रजेश ठाकुर इतना बेफिक्र क्यों था? आइए आपको बताते हैं कि इतने जघन्य अपराध के बाद भी इस आरोपी के चेहरे में डर के बजाए अजीब सा आनंद क्यों दिख रहा था?

ब्रजेश ठाकुर ही वो शख्स है, जो लंबे वक्त से सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम का एनजीओ चलाता था और इस एनजीओ को चलाने के लिए बिहार सरकार से करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा था, कोई देखने वाला नहीं, कोई निगरानी नहीं.

ये आदमी एक छोटा से छोटा सा अखबार चलाता है जिसे मुजफ्फरपुर के ही 200 लोग नहीं पढ़ते पर बिहार की नीतीश कुमार सरकार से सालाना लाखों का विज्ञापन मिलता है.

कौन है ब्रजेश ठाकुर?

  • ब्रजेश ठाकुर मुजफ्फरपुर का ही रहने वाला है.
  • इसके पिता राधामोहन ठाकुर ने साल 1982 में मुजफ्फरपुर से एक हिंदी अखबार 'प्रातः कमल' शुरू किया था.
  • पिता की मौत के बाद ब्रजेश ठाकुर अखबार चलाने लगा
  • प्रॉपर्टी में ब्रजेश ठाकुर ने राजनीति में हाथ आजमाया.
  • साल 1993 में ब्रजेश ठाकुर आनंद मोहन की पार्टी बिहार पीपल्स पार्टी में शामिल हो गया.
  • मुजफ्फरपुर की कुढ़नी विधानसभा सीट से लगातार दो बार हारा
  • ब्रजेश ठाकुर ने आनंद मोहन के जरिए आरजेडी और जेडीयू में पैठ बनाई.
  • साल 2012 में ब्रजेश ठाकुर ने News Next नाम से अंग्रेजी अखबार शुरू किया.
  • साल 2013 में उसने सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम से एनजीओ बनाया.
  • एनजीओ के जरिए ठाकुर ने बालिका गृह की शुरुआत की.
  • इसी बीच ठाकुर ने उर्दू अखबार हालात-ए-बिहार की शुरुआत की.
  • ठाकुर के तीनों अखबारों को बिहार सरकार से लाखों रुपये का विज्ञापन मिलता है.
  • बिहार सरकार ने इस एनजीओ को बालिक गृह के अलावा कई और भी काम सौंपे थे.
  • एनजीओ को बालिका गृह, वृद्धाश्रम, अल्पावास गृह, स्वाधार गृह और खुला आश्रम चलाने के लिए बिहार सरकार हर साल 1 करोड़ रुपए देती थी
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300 कॉपी के अखबार को लाखों का विज्ञापन

ब्रजेश ठाकुर के अखबार प्रातः कमल की हर रोज कुल 300 कॉपी छपा करती थीं. लेकिन उसने अखबार का सर्कुलेशन 60 हजार से ज्यादा का बताया हुआ था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रातः कमल अखबार को बिहार सरकार से सालाना 30 लाख रुपये का विज्ञापन मिलता था.

जांच टीम के मुताबिक, ठाकुर के इस अखबार में काम करने के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ था और ना ही अच्छी प्रिंटिंग मशीन. तीनों अखबारों में केवल कंप्यूटर ऑपरेटर, समाचार संपादक और ब्रजेश ठाकुर की बेटी निकिता आनंद ही काम कर रहे थे. तीनों ही अखबार उसी परिसर में छपते थे, जिसमें शेल्टर होम चल रहा था.

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Published: 31 Jul 2018,03:29 PM IST

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