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शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार का आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तारी के बाद भी ठहाके क्यों लगा रहा था? हाथों में हथकड़ी चारों तरफ पुलिस वालों का घेरा फिर भी ब्रजेश ठाकुर इतना बेफिक्र क्यों था? आइए आपको बताते हैं कि इतने जघन्य अपराध के बाद भी इस आरोपी के चेहरे में डर के बजाए अजीब सा आनंद क्यों दिख रहा था?
ब्रजेश ठाकुर ही वो शख्स है, जो लंबे वक्त से सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम का एनजीओ चलाता था और इस एनजीओ को चलाने के लिए बिहार सरकार से करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा था, कोई देखने वाला नहीं, कोई निगरानी नहीं.
ये आदमी एक छोटा से छोटा सा अखबार चलाता है जिसे मुजफ्फरपुर के ही 200 लोग नहीं पढ़ते पर बिहार की नीतीश कुमार सरकार से सालाना लाखों का विज्ञापन मिलता है.
ब्रजेश ठाकुर के अखबार प्रातः कमल की हर रोज कुल 300 कॉपी छपा करती थीं. लेकिन उसने अखबार का सर्कुलेशन 60 हजार से ज्यादा का बताया हुआ था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रातः कमल अखबार को बिहार सरकार से सालाना 30 लाख रुपये का विज्ञापन मिलता था.
जांच टीम के मुताबिक, ठाकुर के इस अखबार में काम करने के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ था और ना ही अच्छी प्रिंटिंग मशीन. तीनों अखबारों में केवल कंप्यूटर ऑपरेटर, समाचार संपादक और ब्रजेश ठाकुर की बेटी निकिता आनंद ही काम कर रहे थे. तीनों ही अखबार उसी परिसर में छपते थे, जिसमें शेल्टर होम चल रहा था.
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