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नागालैंड में हुई मौतों को लेकर NSF का आंदोलन, कोहिमा में भारी विरोध

नागालैंड के कई जिलों में नागरिकों की मौत को लेकर असहयोग आंदोलन

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>नागालैंड में हुई मौतों को लेकर NSF का आंदोलन, कोहिमा में भारी विरोध</p></div>
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नागालैंड में हुई मौतों को लेकर NSF का आंदोलन, कोहिमा में भारी विरोध

(फोटो- ट्विटर)

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पिछले दिनों नागालैंड (Nagaland) के सुदूर मोन जिले में सेना की चूक से हुई 14 नागरिकों की मौत के विरोध में राजधानी कोहिमा में विरोध शुरू हो गया है.

विद्यार्थियों के बीच काफी प्रभाव रखने वाला संगठन नागा स्टूडेंट फेडरेशन (NSF) की तरफ से एक विशाल रैली आयोजित की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए.

विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मारे गए लोगों के लिए न्याय और विवादास्पद कानून AFSPA निरस्त करने की मांग की गई.

प्रदर्शन करने वाले नागरिकों के हाथों में बैनर और तख्तियां थी, जिनमें लिखा था कि अफ्सपा को रद्द करने से पहले कितनी बार गोलियां चलाई जानी चाहिए, अफ्सपा से भारतीय सेना में डेविल को पनाह मिलती है.

17 दिसंबर का आंदोलन केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यह विरोध का तीसरा दिन है, बल्कि इसलिए भी कि यह नागा लोगों के लगातार बढ़ते विरोध का संकेत है.

कोन्याक नागा जनजाति का शीर्ष निकाय कोन्याक यूनियन द्वारा एक 'असहयोग आंदोलन' के रूप में विरोध शुरू हुआ, जो बुधवार को पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के साथ फाइट में बढ़ता गया.

कोन्याक यूनियन की तरह ईएनपीओ ने किसी भी राष्ट्रीय प्रोग्राम से दूर रहने का संकल्प लिया, सेना के नागरिक प्रोग्रामों में भाग न लेने का वादा किया और कहा कि यह क्षेत्र में भर्ती अभियान की अनुमति नहीं देगा.

गुरुवार को राज्य के पूर्वी हिस्से में विरोध तेज हो गए, मोन जिले में सुबह से शाम तक ‘बंद’ रहा, सरकारी और प्राइवेट कार्यालय बंद रहे और वाहनों का आवागमन भी बाधित रहा.
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कई जिलों में विरोध प्रदर्शन

मोन जिले के अलावा राज्य के पूर्वी हिस्से किफिर, त्युएनसांग, नोकलाक और लोंगलेंग जिलों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए, जहां दुकानें बंद कर दी गईं और गुस्साए हुए नागरिकों ने सड़कों पर पानी भर दिया.

पूरे सूबे में विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई मांगें सामने रखी गईं. 6 दिसंबर को संसद में गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा दिए गए बयान को भी वापस लेने की मांग की गई है.

पिछले दिनों अमित शाह ने कहा था कि सेना की यूनिट के द्वारा इसलिए गोलियां चलाई गईं क्योंकि नागरिकों को ले जा रहे ट्रक को रुकने का आदेश देने पर उसकी स्पीड और तेज हो गई. उन्होंने कहा था कि विद्रोह जैसी गतिविधि पर संदेह जताते हुए सैनिकों ने गोलियां चला दीं.

बता दें कि अमित शाह द्वारा दिए गए इस बयान के बाद विरोध और अधिक उग्र होता दिखा. विरोध करने वाले नागरिकों ने गृह मंत्री अमित शाह का पुतला भी जलाया.

नागरिकों के ट्रक से किसी भी प्रकार का कोई हथियार या गोला-बारूद नहीं पाया गया था. ट्रक में मौजूद सभी लोग कोयला खनिक थे.

इंडियन आर्मी ने नागरिकों की हत्याओं पर खेद प्रकट किया. इस मामले में मेजर-जनरल रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक इंटर्नल जांच चल रही है और घटना में शामिल सैनिकों पर पुलिस द्वारा मर्डर का केस दर्ज किया गया है.

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Published: 17 Dec 2021,04:37 PM IST

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