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पिछले दिनों नागालैंड (Nagaland) के सुदूर मोन जिले में सेना की चूक से हुई 14 नागरिकों की मौत के विरोध में राजधानी कोहिमा में विरोध शुरू हो गया है.
विद्यार्थियों के बीच काफी प्रभाव रखने वाला संगठन नागा स्टूडेंट फेडरेशन (NSF) की तरफ से एक विशाल रैली आयोजित की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए.
प्रदर्शन करने वाले नागरिकों के हाथों में बैनर और तख्तियां थी, जिनमें लिखा था कि अफ्सपा को रद्द करने से पहले कितनी बार गोलियां चलाई जानी चाहिए, अफ्सपा से भारतीय सेना में डेविल को पनाह मिलती है.
कोन्याक नागा जनजाति का शीर्ष निकाय कोन्याक यूनियन द्वारा एक 'असहयोग आंदोलन' के रूप में विरोध शुरू हुआ, जो बुधवार को पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के साथ फाइट में बढ़ता गया.
कोन्याक यूनियन की तरह ईएनपीओ ने किसी भी राष्ट्रीय प्रोग्राम से दूर रहने का संकल्प लिया, सेना के नागरिक प्रोग्रामों में भाग न लेने का वादा किया और कहा कि यह क्षेत्र में भर्ती अभियान की अनुमति नहीं देगा.
मोन जिले के अलावा राज्य के पूर्वी हिस्से किफिर, त्युएनसांग, नोकलाक और लोंगलेंग जिलों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए, जहां दुकानें बंद कर दी गईं और गुस्साए हुए नागरिकों ने सड़कों पर पानी भर दिया.
पिछले दिनों अमित शाह ने कहा था कि सेना की यूनिट के द्वारा इसलिए गोलियां चलाई गईं क्योंकि नागरिकों को ले जा रहे ट्रक को रुकने का आदेश देने पर उसकी स्पीड और तेज हो गई. उन्होंने कहा था कि विद्रोह जैसी गतिविधि पर संदेह जताते हुए सैनिकों ने गोलियां चला दीं.
बता दें कि अमित शाह द्वारा दिए गए इस बयान के बाद विरोध और अधिक उग्र होता दिखा. विरोध करने वाले नागरिकों ने गृह मंत्री अमित शाह का पुतला भी जलाया.
नागरिकों के ट्रक से किसी भी प्रकार का कोई हथियार या गोला-बारूद नहीं पाया गया था. ट्रक में मौजूद सभी लोग कोयला खनिक थे.
इंडियन आर्मी ने नागरिकों की हत्याओं पर खेद प्रकट किया. इस मामले में मेजर-जनरल रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक इंटर्नल जांच चल रही है और घटना में शामिल सैनिकों पर पुलिस द्वारा मर्डर का केस दर्ज किया गया है.
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