कुछ दिन पहले नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में सेना के एक ऑपरेशन में कुछ नागरिकों की मौत हो गई थी. जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी.
अब परिजनों ने कहा कि वो मुआवजा तब तक नहीं लेंगे जब तक आम नागरिकों को मारने वालों में शामिल सेना के जवानों को सजा न मिल जाए और अफस्पा यानी सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 को निरस्त ना किया जाए.
ओटिंग की ग्राम परिषद द्वारा जारी एक बयान में स्पष्ट किया गया है कि उनके पास जिले के एक मंत्री और उपायुक्त द्वारा ₹18,30,00 का एक लिफाफा लाया गया था. लेकिन बयान के अनुसार "इसे ग्राम परिषद ओटिंग माननीय मंत्री पाइवांग कोन्याक से प्यार और उपहार के प्रतीक के रूप में मानती है."
हालांकि, उनका कहना है कि उन्हें बाद में पता चला कि यह पैसा राज्य सरकार द्वारा भुगतान की जाने वाली मुआवजे की एक किश्त है. ग्राम परिषद ओटिंग और पीड़ितों के परिवारों ने तब तक मुआवजा प्राप्त नहीं करने का फैसला किया जब तक कि "भारतीय सेना के 21वें पैरा कमांडो के अपराधी को सजा नहीं मिल जाती" और पूरे उत्तर-पूर्वी से अफस्पा को निरस्त नहीं किया जाता है.
नागालैंड सरकार ने गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 5-5 लाख रुपये के भुगतान को मंजूरी दी है. घायलों में से प्रत्येक को 50,000 रुपए दिेए जाएंगे.
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