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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार महिला बनीं वाइस चांसलर, नईमा खातून कौन हैं?

AMU VC Naima Khatoon: AMU के पूर्व कार्यवाहक वाइस चांसलर मोहम्मद गुलरेज की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पिछले साल वाइस चांसलर पद के लिए पांच उम्मीदवारों का नाम चुना था.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार महिला बनीं वाइस चांसलर, नईमा खातून कौन हैं?</p></div>
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार महिला बनीं वाइस चांसलर, नईमा खातून कौन हैं?

फोटो- क्विंट हिंदी 

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में नईमा खातून (Naima Khatoon) नई वाइस चांसलर बनीं हैं. यूनिवर्सिटी ने चिट्ठी जारी कर कहा है कि 22 अप्रैल की दोपहर को नईमा खातून ने AMU के वाइस चांसलर पद का चार्ज ले लिया. गौरतलब है कि नईमा खातून AMU के पूर्व वाइस चांसलर मोहम्मद गुलरेज की पत्नी हैं. इस तरह पहली बार AMU को कोई महिला वाइस चांसलर मिली है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू को तीन नाम भेजे गए थे. इस नामों में नईमा खातून का नाम चुना गया.

AMU की पहली चांसलर भोपाल की बेगम सुल्तान जहां थीं, जिन्हें 1920 में उस समय नियुक्त किया गया था, जब तत्कालीन विधान परिषद के एक अधिनियम द्वारा मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज को एक पूर्ण केंद्रीय विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया था.

कौन हैं नईमा खातून? 

नईमा खातून अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल और प्रोफेसर भी रह चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ रवांडा में बतौर सहायक प्रोफेसर भी सेवाएं दी हैं.

नईमा खातून ने साइकोलॉजी में पीएचडी भी है. उन्होंने "हिंदू और मुस्लिम युवाओं के बीच राजनीतिक-अलगाव के पैटर्न और उनके सामाजिक-मनोवैज्ञानिक संबंधों का तुलनात्मक अध्ययन" विषय पर पीएचडी की है.

नईमा खातून ने AMU से ही बैचलर, मास्टर्स, एमफिल और पीएचडी की डिग्री ली है.
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नियुक्ति पर क्यों हुआ विवाद?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक वाइस चांसलर मोहम्मद गुलरेज की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पिछले साल वाइस चांसलर पद के लिए पांच उम्मीदवारों का नाम चुना था. इसमें नईमा खातून का नाम भी था. इसके बाद सीमिति के फैसले को लेकर सवाल भी उठे थे.

तत्कालीन कार्यवाहक वाइस चांसलर मोहम्मद गुलरेज और उनकी पत्नी की नाम के चुने जाने के बाद 'हितों के टकराव' का मुद्दा भी सामने आया था.

जिन पांच लोगों को चुना गया था वे थे प्रोफेसर फैजान मुस्तफा (कुलपति, चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, पटना और पूर्व वाइस चांसलर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, हैदराबाद), प्रोफेसर एम यू रब्बानी (पूर्व डीन, मेडिसिन संकाय, एएमयू); प्रोफेसर नईमा खातून (प्रिंसपल, वीमेंस कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी), फुरकान कमर (पूर्व कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय और पहले वाइस चांसलर, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय) और प्रोफेसर कय्यूम हुसैन (वाइस चांसलर, क्लस्टर विश्वविद्यालय, श्रीनगर जम्मू-कश्मीर).

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