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नरेंद्र मोदी सरकार के निजीकरण नीतियों का अब उनके ही कई प्रमुख मंत्रालयों की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ब्लूमबर्ग क्विंट ने एक रिपोर्ट के हवाले से इस बात का दावा किया है. अहम मंत्रालयों द्वारा भारी दबाव और चिंताओं के बावजूद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 2021-22 के केंद्रीय बजट में न्यू पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज पॉलिसी की घोषणा की.
सबसे पहले मई 2020 में COVID-19 महामारी के बीच आर्थिक पैकेज के एक भाग के रूप में घोषित किया गया था, वित्त मंत्रालय के निवेश और सार्वजनिक उद्यम विभाग को पॉलिसी तैयार करने का काम सौंपा गया था.
नीति अयोग समेत 49 मंत्रालयों और विभागों को 6 जुलाई को टिप्पणी करने के लिए कहा गया और उन्हें अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया था.
इस दौरान 21 मंत्रालयों और विभागों ने बिना किसी महत्वपूर्ण टिप्पणी की पेशकश के नीति का समर्थन किया, सात विभाग चाहते थे कि उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्र स्ट्राटेजिक लिस्ट में हो, वहीं सात मंत्रालयों ने पॉलिसी में छूट मांगी.
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में कहा गया है कि, बाकी विभागों में, अंतरिक्ष विभाग ने 24 जुलाई 2020 को एक पत्र लिखा, जिसमें सुझाव दिया गया कि दो राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों के नियंत्रण में - एंट्रिक्स कॉर्प और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड - को निजीकरण के लिए नहीं माना जाना चाहिए.
चिट्ठी में कहा गया है,
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी रणनीतिक क्षेत्र के रूप में स्वास्थ्य सेवा को शामिल न करने का विरोध करते हुए एक चिट्ठी लिखी है.
चिट्ठी में कहा गया है कि इसने प्रस्तावित निजीकरण नीति का समर्थन किया "एक रणनीतिक क्षेत्र के रूप में स्वास्थ्य सेवाओं के समावेश के अधीन" जहां एक सरकार के स्वामित्व वाली इकाई की मौजूदगी की जरूरत है. चिट्ठी में अपनी बात साफ करने के लिए COVID-19 से निपटने के अनुभव का हवाला दिया गया है.
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