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गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगा केस में माया कोडनानी को बरी कर दिया है. साथ ही 32 में से 17 आरोपी बरी हो चुके हैं. ऐसे में दंगे के पीड़ित नाराज हैं. उनका कहना है कि अगर कोई आरोपी, दोषी है ही नहीं तो क्या हमने खुद अपने परिवारवालों को मार दिया था.
माया कोडनानी को इस मामले में बरी करने के फैसले पर कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों ने भी हैरानी जताई है.
करीब 16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में हुए नरसंहार में 97 लोगों की मौत हो गई थी. इस हिंसा में 33 लोग घायल हुए थे. साल 2009 में नरोदा केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी ने गठित की. इसी एसआईटी ने माया को पूछताछ के लिए समन किया, निचली अदालत माया कोडनानी को इस हिंसा का 'मास्टर माइंड' बता चुकी है.
जब भी गुजरात दंगों की बात होती है तो कुछ चर्चित नाम सबसे पहले जहन में आते हैं. इन्हीं में से एक नाम माया कोडनानी का है. माया कोडनानी बीजेपी से तीन बार विधायक रह चुकी हैं. इसके अलावा वह गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुकी है. कोडनानी पहली महिला विधायक थीं, जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई. पेशे से डॉक्टर कोडनानी आरएसएस से भी जुड़ी रहीं हैं, उन्हें लालकृष्ण आडवाणी का करीबी माना जाता है. अपनी भाषणों की वजह से वो बीजेपी में काफी लोकप्रिय हुईं.
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