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नरोदा पाटिया केसः माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी की सजा बरकरार

जानिए कौन हैं माया कोडनानी, जिन्हें निचली अदालत ने बताया था नरोदा पाटिया केस का ‘मास्टरमाइंड’

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भारत
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गुजरात हाई कोर्ट ने साल 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को निर्दोष करार दिया है. कोर्ट ने माया कोडनानी को आरोपों से बरी किया है. वहीं इसी केस में एक अन्य आरोपी बाबू बजरंगी को राहत नहीं मिली है. हाई कोर्ट ने बाबू बजरंगी समेत 31 आरोपियों की सजा को बरकरार रखा है.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि घटना वाली जगह पर माया कोडनानी की मौजूदगी साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.

जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए एस सुपेहिया की बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. अगस्त 2012 में स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम मामलों की स्पेशल कोर्ट ने राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

एक अन्य बहुचर्चित आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास और बाकी अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था. जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, वहीं स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

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क्या है नरोदा पाटिया केस?

  • करीब 16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को गुजरात में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में नरसंहार हुआ था.
  • फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन फूंके जाने के बाद भड़के दंगों में नरोदा पाटिया में हुई हिंसा सबसे जघन्य घटनाक्रमों में से एक है.
  • नरोदा पाटिया इलाके में दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के 97 लोगों की मौत हो गई थी. इस हिंसा में 33 लोग घायल हुए थे.
  • नरोदा पाटिया नरसंहार को गुजरात दंगों के दौरान हुआ सबसे भीषण नरसंहार बताया जाता है
  • नरोदा पाटिया कांड का केस अगस्त 2009 में शुरू हुआ था, इसमें कुल 62 आरोपी बनाए गए थे.
  • सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जजों ने नरोदा पाटिया इलाके का दौरा भी किया.
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SIT के मुताबिक, कोडनानी के कहने पर भड़के थे लोग

नरोदा पाटिया केस को लेकर स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने कोर्ट में कहा था कि घटना के दिन सुबह विधानसभा में शोकसभा आयोजित की गई थी. इसमें शामिल होने के बाद माया कोडनानी अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों से मिलने गईं थीं. एसआईटी के मुताबिक, यहां उन्होंने लोगों को अल्पसंख्यकों पर हमले के लिए उकसाया था. एसआईटी ने कोर्ट में कहा था, ‘माया कोडनानी जब वहां से चली गईं तो इसके बाद लोग दंगों पर उतर आए.’

हालांकि, स्पेशल कोर्ट के फैसले को कोडनानी के वकील ने ये कहते हुए चुनौती दी है कि उनके खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं.

बता दें कि गुजरात में साल 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी. डिब्बे में हुई कार सेवकों की मौत के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. इसी दौरान 28 फरवरी, 2002 को नरोदा पाटिया में दंगा हुआ था, जिसमें 97 लोगों की मौत हो गई थी.

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कौन हैं माया कोडनानी?

जब भी गुजरात दंगों की बात होती है तो कुछ चर्चित नाम सबसे पहले जहन में आते हैं. इन्हीं में से एक नाम माया कोडनानी का है. माया कोडनानी बीजेपी से तीन बार विधायक रह चुकी हैं. इसके अलावा वह गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुकी है. कोडनानी पहली महिला विधायक थीं, जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई.

आइए जानते हैं कौन हैं माया कोडनानी.

  • माया कोडनानी का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध में रहता था. बाद में उनका परिवार गुजरात आकर बस गया.
  • माया कोडनानी पेशे से गाइनकॉलजिस्ट हैं.
  • वह आरएसएस से भी जुड़ी रहीं हैं
  • नरोदा में उनका अपना मेटर्निटी हॉस्पिटल था. बाद में वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं.
  • अपनी भाषणों की वजह से वह बीजेपी में काफी लोकप्रिय हुईं.
  • उन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी का करीबी नेता माना जाता था.
  • साल 1998 में वह नरोदा से विधायक चुनी गईं.
  • साल 2002 के गुजरात दंगों में उनका नाम सामने आया.
  • साल 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की.
  • साल 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया को जीत मिली. इस बार उन्हें गुजरात सरकार में मंत्री बनाया गया.
  • साल 2009 में नरोदा केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी ने गठित की. इसी एसआईटी ने माया को पूछताछ के लिए समन किया.
  • बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई, और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
  • बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. इस दौरान वे विधानसभा जाती रहीं और उन पर मुकदमा भी चलता रहा.
  • 29 अगस्त 2012 में कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया केस में दोषी करार दिया.
  • माया कोडनानी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं. निचली अदालत ने उन्हें 'हिंसा का मास्टर माइंड' बताया था.

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