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दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 जून को UAPA के तहत दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) केस में गिरफ्तार किए गए नताशा नरवाल (Natasha Narwal), देवांगना कलिता (Devangana Kalita) और आसिफ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha) को जमानत दे दी. कोर्ट ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माना कि विरोध जताना कोई आतंकी गतिविधि नहीं है. करीब एक साल बाद बेल मिलने पर द क्विंट ने तीनों के परिवारों से संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया जानी.
नताशा को जमानत मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए उनके 27 साल के भाई आकाश नरवाल ने कहा, “उनकी जमानत याचिका स्वीकार किए जाने की खबर मेरे लिए आश्चर्य की बात थी. मुझे इस समय में ऐसी अच्छी खबर की उम्मीद नहीं थी, जब सब कुछ खराब ही हो रहा है.”
आकाश ने आगे कहा, “इतने पावरफुल जमानत आदेश को पढ़कर मेरा न्यायपालिका में विश्वास फिर से जाग गया है और इससे मुझे उम्मीद है कि हर किसी को, जिसे गलत तरीके से आरोपी बनाया गया और कैद किया गया है, उसे भी न्याय मिले.”
डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और एप्लाइड जियोलॉजी की डिपार्टमेंट हेड, देवांगना की 60 साल की मां, कल्पना देका कलिता कहती हैं कि वो बेटी के घर आने पर उनका पसंदीदा खाना बनाएंगी.
कल्पना कहती हैं कि उन सभी ने खुद को इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि देवांगना को कुछ और साल जेल में बिताने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा, “हर चिट्ठी में हम उसे कहते थे कि ये मुश्किल समय नहीं, बल्कि उसके लिए गोल्डन मूमेंट है, जिसमें वो लेखन और विचार में समय बिता सकती है.”
आसिफ इकबाल तन्हा के 27 साल के भाई, शहनवाज हुसैन दूसरे UAPA आरोपियों की भी जल्द रिहाई की मांग करते हैं.
आसिफ की 57 वर्षीय मां, जहान आरा अपने उत्साह को रोक नहीं पातीं. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में उनके विश्वास का जवाब दिया गया है, “हमें पूरा विश्वास था कि उसे जमानत मिल जाएगी. मेरे बेटे पर ये निराधार आरोप थे, वो बहुत पढ़ता था और अब जल्द ही घर आएगा. मैं केवल इस बारे में सोच रही हूं कि जब मैं उसे देखूंगी तो उसे कैसे कसकर गले लगाउंगी.”
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