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मोदी सरकार में कामगार पुरुषों की संख्या में आई भारी गिरावट:रिपोर्ट

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि भारत में फिलहाल 28.6 करोड़ पुरुष कामगार हैं.

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भारत
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 इस वक्त देश में रोजगार की हालत पिछले 45 सालों में सबसे खराब है  
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इस वक्त देश में रोजगार की हालत पिछले 45 सालों में सबसे खराब है  
(फोटो: द क्विंट)

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साल 1993-94 के बाद भारत में पहली बार नौकरीपेशा पुरुषों या कहें कि काम करने वाले पुरुषों की संख्या में भारी गिरावट आई है.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मुताबिक, साल-2017-18 के नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि भारत में फिलहाल 28.6 करोड़ पुरुष कामगार हैं. बता दें कि इस सर्वे को लेकर सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि वो जान-बूझकर इस सर्वे को सार्वजनिक नहीं कर रही है.

साल 1993-94 में कामगार पुरुष की तादाद 21.9 करोड़ थी. वहीं 2011-12 में जब एनएसएसओ ने आखिरी बार सर्वे किया था, तब ये आंकड़ा बढ़कर 30.4 करोड़ तक जा पहुंचा. लेकिन पिछले पांच सालों में मेल वर्कफोर्स में गिरावट देखने को मिल रही है.

शहर और ग्रामीण, दोनों इलाकों में आई गिरावट

सर्वे के मुताबिक, मेल वर्कफोर्स में गिरावट ग्रामीण और शहरी, दोनों ही इलाकों में आई है. हालांकि ये गिरावट ग्रामीण इलाके में ज्यादा है. जहां ग्रामीण इलाके में मेल वर्कफोर्स में 6.4 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं शहरी इलाके में ये आंकड़ा 4.7 फीसदी रहा. हालांकि पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट जारी होना बाकी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, शहरों में बेरोजगाजी दर 7.1 फीसदी और गांवों में 5.8 फीसदी है.

NSSO के आंकड़े बताते हैं कि देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ रोजगार (30.0 करोड़ 2011-12 से 26.6 करोड़ 2017-18) 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच कम हुए हैं. वहीं शहरी क्षेत्रों में करीब 40 लाख रोजगार कम हुए हैं. ग्रामीण इलाकों में रोजगार कम होने के सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है. कुल मिलाकर 2011 से 2012 के बीच भारत में कामगारों की संख्या में 4.7 करोड़ की कमी आई है, जो सऊदी अरब की जनसंख्या से भी ज्यादा है.

NSSO के दो सदस्य ने दिया था इस्तीफा

अखबार के मुताबिक, एनएसएसओ की यह रिपोर्ट जुलाई-2017 से जून- 2018 के बीच के आंकड़ों पर आधारित है. बता दें कि अभी हाल ही में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के कार्यकारी चेयरपर्सन रहे पीसी मोहनान और सदस्य जेवी मीनाक्षी ने रिपोर्ट जारी न करने पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) से इस्तीफा दे दिया था.

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