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पिछले साल देश के 50 फीसदी लोगों को नहीं मिली नौकरी, ऐसे हुआ खुलासा

NSSO के डेटा के मुताबिक पिछले एक साल में नहीं मिली आधी आबादी को नौकरी

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पिछले दिनों जारी हुए NSSO के डेटा पर मचे बवाल के बाद अब एक और नया डेटा लीक हुआ है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के एक सर्वे में पता चला है कि पिछले साल देश की आधी आबादी को रोजगार नहीं मिल पाया. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) 2011-12 के 55.9 फीसदी की तुलना में 2017-18 में घटकर 49.8 फीसदी रही.

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इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन की राधिका कपूर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, यह काफी चिंता की बात है कि आप डिविडेंड फैक्टर का उपयोग करने में असमर्थ हैं. खासतौर पर तब, जब आपको पता है कि देश की 65 प्रतिशत आबादी वर्किंग एज ग्रुप में आती है.

महिलाओं को कम रोजगार

लेबर फोर्स पार्टिशिपेशन रेट (एलएफपीआर) में महिलाओं के आंकड़े पर अगर नजर डालें तो यह काफी हैरान कर देने वाला है. 2011-12 की तुलना में 2017-18 में महिलाओं के लिए एलएफपीआर 8 फीसदी गिरकर 23.3 फीसदी रहा. वहीं पुरुषों के लिए 4 फीसदी गिरावट के साथ एलएफपीआर 75.8 फीसदी रहा. ऐसे में पता चलता है कि देश की सिर्फ एक चौथाई महिलाएं ही काम कर रही हैं.

सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वो जानबूझकर इस सर्वे को सार्वजनिक नहीं कर रही है. लेकिन सरकार की तरफ से सफाई दी गई है कि NSSO जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 के आंकड़ों को एक बार फिर देख रही है, जिसके बाद अंतिम रिपोर्ट दी जाएगी
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पहले भी हुआ था खुलासा

इससे पहले NSSO की रिपोर्ट में बताया गया था कि 2017-18 की बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है. देश के शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 5.3 फीसदी है. 15-29 साल के शहरी पुरुषों के बीच बेरोजगारी की दर 18.7 फीसदी है. 2011-12 में ये दर 8.1 फीसदी थी. 2017-18 में शहरी महिलाओं में 27.2 फीसदी बेरोजगारी है जो 2011-12 में 13.1 फीसदी थी. हालांकि इसके बाद नीति आयोग ने इस रिपोर्ट पर सफाई दी थी. आयोग की दलील थी कि NSSO रिपोर्ट अभी फाइनल नहीं है. ऐसे में इस पर बहस करना और इसके आधार पर अर्थव्यवस्था की खामियां गिनाना गलत होगा.

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