Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019महाराष्ट्र: अवॉर्ड सेरोमनी में लू लगने से 11 की मौत, क्या इसे रोका जा सकता था?

महाराष्ट्र: अवॉर्ड सेरोमनी में लू लगने से 11 की मौत, क्या इसे रोका जा सकता था?

Mumbai Heatstroke Deaths | महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड सेरोमनी में लू से 11 लोगों की मौत हो गई, डॉक्टर्स से हमने की बात

मैत्रेयी रमेश
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>नवी मुंबई में हीटस्ट्रोक से 11 की मौत</p></div>
i

नवी मुंबई में हीटस्ट्रोक से 11 की मौत

(फोटो: ट्विटर)

advertisement

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से नवी मुंबई (Navi Mumbai Heatstroke) में रविवार, 16 अप्रैल को आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 से ज्यादा लोग इससे पीड़ित हैं.

राज्य में किसी एक कार्यक्रम में लू से होनी वाली मौतों की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या हो सकती है.

लेकिन क्या इस घटना को बेहतर प्लानिंग से रोका जा सकता था? यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक लू की चपेट में रहता है, जैसा नवी मुंबई के भूषण सम्मान समारोह में हुआ, तो उसके शरीर पर क्या असर पड़ता है? द क्विंट की 'फिट' टीम डॉक्टर्स के पास इस सवाल का जवाब जानने पहुंची.

हीटस्ट्रोक और शरीर पर इसका प्रभाव

मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ निहार मेहता ने फिट को बताया,

"हीटस्ट्रोक तब होता है जब आपके शरीर का मुख्य तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है. आम तौर पर, हमारे शरीर का तापमान लगभग 36 से 37 डिग्री सेंटीग्रेड होता है. हालांकि, यह तब बदलता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक ज्यादा गर्मी के संपर्क में रहता है- जैसे कई घंटों तक चलने वाले कार्यक्रम में"

उन्होंने आगे कहा कि "ऐसी स्थिति में जहां लोग खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेट नहीं कर सकते, या खुद को ठंडा नहीं रख सकते, या पर्यावरण में भीषण गर्मी से खुद को नहीं बचा सकते, वे ज्यादा संवेदनशील होते हैं."

ये कार्यक्रम नवी मुंबई के खारघर में आयोजित हुआ था, और पास ही मुंबई के सांता क्रूज स्थित भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) केंद्र के अनुसार, घटना के दिन अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था.

उन्होंने कहा कि यह गर्मी, इलाके में उमस के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रमों को और खतरनाक बना सकती है.

फिट से बात करते हुए, नवी मुंबई स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स के जनरल मेडिसिन सलाहकार डॉ भरत अग्रवाल ने कहा, "अचानक कमजोरी और मतली के साथ चक्कर आना पहला संकेत है कि व्यक्ति हीटस्ट्रोक से पीड़ित है. अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो ये डिहाइड्रेशन, गुर्दे का फेल होना और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऐसे आयोजनों के दौरान हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों को कैसे रोकें?

ऑनलाइन शेयर की गई कई तस्वीरों से पता चलता है कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोग सीधी धूप में खड़े थे, कहीं भी छाया नहीं थी- ये एक कारण है जिसे कई मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

डॉ. मेहता विशेष रूप से गर्मियों के दौरान आयोजित किए जा रहे किसी भी ओपन-एयर इवेंट में निम्नलिखित कदम उठाने का सुझाव देते हैं,

  • जहां तक संभव हो, जहां लोग इकट्ठा होते हैं वहां छायादार वातावरण होना चाहिए, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां हम जानते हैं कि बहुत गर्मी है.

  • पानी और पर्याप्त हाइड्रेशन तक लोगों की पहुंच होनी चाहिए, क्योंकि ये कार्यक्रम लंबा चलते हैं.

  • चैनल या ऐसे रास्ते बनाए जाने चाहिए जिससे लोग खुद को उस माहौल से दूर कर सकें.

डॉ मेहता ने कहा कि, "अगर आप भीड़ में फंस गए हैं, तो बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसलिए, चैनल या रास्ते बनाए जाने चाहिए जहां से लोग बाहर निकल सकें. या भीड़-भाड़ वाली जगहो में प्रवेश करने वाले रास्तों को बंद कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां खड़े न हों. उन्होंने आगे कहा कि जमीन पर भी पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं होनी चाहिए,

"लोगों को आईवी लाइन, कूलिंग ब्लैंकेट, और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए री-हाइड्रेशन की जरूरत हो सकती है. दिल की धड़कनों और रक्तचाप (BP) पर भी नजर रखना होता है. जल्द से जल्द इसकी व्यवस्था भी की जानी चाहिए."

जहां कुछ मरीजों को कार्यक्रम में बनाए गए मेडिकल बूथों के लिए रेफर किया गया, वहीं हीटस्ट्रोक से पीड़ित अन्य लोगों को आयोजन स्थल के पास के विभिन्न अस्पतालों में ले जाया गया. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ लोग अब वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं.

अगर किसी को लू लग जाए तो तुरंत क्या किया जा सकता है?

डॉ अग्रवाल के अनुसार, ऐसे आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों को टोपी या छतरी से अपना सिर पर्याप्त रूप से ढकना चाहिए ताकि गर्मी के संपर्क में आने से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि, "हाइड्रेशन और तरल पदार्थ तक पहुंच सबसे जरूरी है."

डॉ मेहता ने कहा कि एक बार जब कोई व्यक्ति मिचली या डिहाइड्रेशन महसूस कर रहा हो, तो उसे खुद को वहां से दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि, "जब आप यह महसूस करने लगें कि गर्मी बहुत ज्यादा हो रही है, तो अपने आप को स्थिति से दूर करने की कोशिश करें और ऐसी जगह पर जाएं जहां आप कुछ बेहतर महसूस कर सकें."

यदि आपको हीटस्ट्रोक से पीड़ित होने का अधिक खतरा है, तो गर्मी के महीनों में दोपहर में होने वाले कार्यक्रमों से बचना बेहतर होगा, क्योंकि ये घातक हो सकता है.

उन्होंने कहा, "ये भी महत्वपूर्ण है कि मरीज जाने कि क्या उसे अधिक जोखिम हैं. यदि लोगों को हीटस्ट्रोक होने का खतरा अधिक है- जैसे जिन लोगों की उम्र ज्यादा है, या छोटे बच्चे, या वे लोग जिन्हें पहले से हृदय-गुर्दे की बीमारी है, या जिनका रक्तचाप सामान्य नहीं रहता, वे दोपहर के समय सूरज के संपर्क में आने से बचें."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT