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रोड रेज केस (Road Rage Case) में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. सरेंडर के दौरान सिद्धू ने किसी से कोई बात नहीं की. इससे पहले उन्होंने सरेंडर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय देने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्हें SC से राहत नहीं मिली. आपको बात दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन दशक पुराने रोड रेज मामले में गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
इससे पहले पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कोर्ट में सरेंडर करने के लिए वक्त मांगा था. रोड रेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कुछ 'मेडिकल स्थितियों' का हवाला देते हुए अपने मुवक्किल को आत्मसमर्पण करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा था. लेकिन कोर्ट से सिद्धू को राहत नहीं मिली. जिसके बाद उन्हें सरेंडर करना पड़ा.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता सिद्धू ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, ‘‘कानून का सम्मान करूंगा.’’
दरअसल, 27 दिसंबर 1988 को पटियाला के मार्केट में एक विवाद हुआ था. यह विवाद पार्किंग को लेकर था. बताया जाता है कि जब पीड़ित और उसके साथ दो अन्य लोग बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे, उस समय सड़क पर जिप्सी खड़ी थी. जिप्सी को देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा. इसको लेकर बहसबाजी शुरू हो गई.
इस मामले में सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया था. लेकिन, 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की.
सिद्धू ने ही हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसी फैसले पर पीड़ित पक्ष की तरफ से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है.
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