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NCERT की किताबों में क्या अब 'इंडिया' की जगह 'भारत' लिखा होगा? यह सवाल इसलिए उठा रहा है क्योंकि एनसीईआरटी की एक 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने सामाजिक विज्ञान की किताबों में इंडिया की जगह भारत लिखने की सिफारिश की है.
प्रस्ताव देने वाली कमेटी के अध्यक्ष और इतिहासकार प्रोफेसर सीआई आईजैक ने द क्विंट से इस बात की पुष्टि की है.
यह सिफारिश एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए गठित प्रोफेसर 'सीआई आईजैक' की अध्यक्षता वाली समिति ने की है. सिफारिश के मुताबिक प्राथमिक से लेकर हाई-स्कूल स्तर तक स्कूली पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम इंडिया नहीं, बल्कि भारत होना चाहिए.
द क्विंट से बातचीत में आईजैक ने कहा कि, एनसीईआरटी स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए सात सदस्यीय 2022 सामाजिक विज्ञान समिति द्वारा दिया गया सुझाव "सर्वसम्मत" है और इसे "एनसीईआरटी के आधार पर अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किए जाने की संभावना है."
समिति की अन्य सिफारिशें:
इतिहास की किताब में भारतीय इतिहास की अवधि को तीन स्तरों पर वर्गीकृत किया गया है - प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक, इसे भी खत्म किया जाना चाहिए. एनसीईआरटी की इस समिति का तर्क है कि प्राचीन शब्द की बजाए पुस्तकों में शास्त्रीय या फिर क्लासिकल शब्द का उपयोग होना चाहिए.
इसके अलावा आईजैक ने कहा कि मौजूदा पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकें इतिहास में हुई लड़ाइयों में हिंदू हार पर बहुत अधिक जोर देती हैं. जबकि, हिंदू जीत का उल्लेख नहीं किया गया है. हमारी पाठ्य पुस्तकें हमारे छात्रों को यह क्यों नहीं सिखाती कि मुहम्मद गोरी को भारतीय आदिवासियों ने उस समय मार डाला था, जब वह भारत को लूटने के बाद लौट रहा था.
उन्होंने कहा कि, "अब तक, हमारे पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में केवल युद्धों में हिंदुओं की हार पर जोर दिया गया है. वर्तमान में पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है. लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का उल्लेख नहीं है. कोलाचेल की लड़ाई (त्रावणकोर साम्राज्य बनाम डच ईस्ट इंडिया कंपनी) हमारी पाठ्यपुस्तकों से गायब क्यों है? 1975 के आपातकाल को विस्तार से क्यों नहीं पढ़ाया जाता?"
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मीडिया रिपोर्टों पर एनसीईआरटी का कहना है कि, "चूंकि नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का विकास प्रक्रिया में है. इसलिए, संबंधित मुद्दे पर मीडिया में चल रही खबरों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी."
वहीं एनसीईआरटी के एक पैनल के इस प्रस्ताव पर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि, "हम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्यों कहते हैं, इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस और इंडियन फॉरेन सर्विस क्यों कहते हैं? हमारे पासपोर्ट पर रिपब्लिक ऑफ इंडिया लिखा है... इस सरकार को कुछ गलत फहमी हो गई है... वे इंडियन लोगों के दिमाग को क्यों उलझा रहे हैं, जो भी उन्होंने कदम उठाया है वो एंटी पीपल, एंटी इंडिया और एंटी भारत है. मैं कह रहा हूं कि उन्हें (एनसीईआरटी) एनडीए की सरकार ने ये सब करने के लिए जोर दिया है. ये पूरी तरह से गलत है...आप इंडिया के इतिहास को नहीं बदल सकते. कर्नाटक वही करेगा जो पहले से है."
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, "ये राजनीतिक निर्णय है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर INDIA गठबंधन बनाया. तब से ये लोग इंडिया नाम से नफरत करने लगे हैं...हम भारत से नफरत नहीं करेंगे क्योंकि भारत हमारा ही है, भारत हमारा देश है. संविधान में भारत का जिक्र है लेकिन इंडिया हो या भारत, देश-देश है लेकिन आप एक निर्णय लेने जा रहे हैं कि इंडिया की जगह भारत करने की तो क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं है कि सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस बारे में चर्चा करें. भारत हो या इंडिया हो हम तो एक हैं और जल्दी ही आपको पता चलेगा कि 2024 में इंडिया जीतेगा और भारत भी."
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