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कोरोना वायरस महमारी के इस दौर में पूरा देश ऑनलाइन मोड में हैं. इसका बड़ा असर शिक्षा पर पढ़ा है, लॉकडाउन के बाद अचानक ही छात्रों और शिक्षकों को ऑनलाइन एजुकेशन का रास्ता अपनाना पड़ा. लेकिन क्या अपना देश और इंफ्रास्ट्रक्चर ऑनलाइन एजुकेशन के लिए तैयार हैं. कई रिपोर्ट में इसको लेकर गहरी चिंता जताई जा चुकी है. अब NCERT का सर्वे सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि हर तीन में से एक छात्र को ऑनलाइन क्लासेज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खासकर ये दिक्कतें खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी, इलेक्ट्रिक सप्लाई में दिक्कत और डिवाइसेज जैसे मोबाइल-लैपटॉप के न होने के कारण आ रही हैं. स्टूडेंट्स का मानना ये भी है कि सांइस और गणित ऑनलाइन मोड में सबसे कठिन विषय हैं. NCERT के इस सर्वे में एजुकेशन मिनिस्ट्री के द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों और सीबीएसई के स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों में शामिल हुए थे. इंडियन एक्सप्रेस ने इस सर्वे पर एक रिपोर्ट की है, उसकी अहम बाते हैं-
UNESCO के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में COVID-19 के कारण लॉकडाउन का असर कुल 32 करोड़ छात्रों पर पड़ा है. ये छात्र प्री-प्राइमरी से लेकर ग्रेजुएशन-पीजी तक के छात्र हैं. वहीं दुनियाभर की बात करें तो 191 देशों में स्कूलों के बंद होने से करीब 150 करोड़ छात्र और 6.3 करोड़ प्राइमरी और सेकेंडरी टीचर प्रभावित हुए हैं.
वहीं कुछ महीने पहले आई Quacquarelli Symonds (QS) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर अभी ऑनलाइन लर्निंग पर शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं है. QS दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग तैयार करता है. "COVID-19: A wake up call for telecom service providers" नाम की ये रिपोर्ट QS के एक सर्वे पर आधारित है. रिपोर्ट में कनेक्टिविटी और सिग्नल की दिक्कतों पर बात की गई है. बताया गया है कि ऑनलाइन क्लासेज के दौरान छात्र इन दिक्कतों का सबसे ज्यादा सामना करते हैं.
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