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लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सरकार ने अपराध के आंकड़े जारी कर दिए हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपना डेटा जारी किया है. जिसमें लगभग सभी तरह के अपराधों का ब्यौरा दिया गया है. लेकिन क्राइम के इन आंकड़ों में लिंचिंग, धर्म के नाम पर हत्या और खाप पंचायतों के फैसले पर दी गई मौत के आंकड़े शामिल नहीं हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जब आंकड़े जुटाए जा रहे थे तो लिंचिंग, खाप पंचायत और धार्मिक हत्याएं भी इसमें शामिल थीं. इसे भी एक सब हेड बनाया गया था. लेकिन जब आंकड़े जारी हुए थे इन सभी को लिस्ट से हटा दिया गया. इस रिपोर्ट में बताया गया है-
बताया गया है कि लिंचिंग जैसे मामलों का डेटा पूरी तरह से तैयार था. साल 2016 से ही इसके आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए गए थे. आंकड़ों को कलेक्ट करने वाली टीम से एक अधिकारी ने बताया कि सिर्फ टॉप अधिकारी ही इस बारे में जानते हैं कि इस डेटा को आखिर क्यों जारी नहीं किया गया है.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकारों के खिलाफ किए गए अपराधों में भारी बढ़ोतरी हुई हुई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे अपराधों में 2016 के मुकाबले 30 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. इस केटेगरी में राजद्रोह, पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराध शामिल हैं. साल 2016 में ऐसे 6986 मामले सामने आए थे, जबकि एक साल बाद ऐसे 9013 मामले सामने आए.
राजद्रोह के सबसे ज्यादा मामले असम में दर्ज किए गए हैं. यहां राजद्रोह के 19 मामले दर्ज हुए. वहीं हरियाणा में ऐसे 13 मामले दर्ज किए गए हैं. हैरानी की बात है कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ एक राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ है.
एनसीआरबी के नए डेटा में एंटी नेशनल एलिमेंट्स की एक नई कैटेगरी जोड़ी गई है. जिसमें बताया गया है कि सबसे ज्यादा ऐसे काम लेफ्ट विंग चरमपंथियों ने किए. उन पर 652 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर नॉर्थ ईस्ट के विद्रोही शामिल हैं. इन पर 421 मामले दर्ज हैं. तीसरे नंबर पर आतंकी और जिहादी हैं. ऐसे 371 मामले दर्ज किए गए हैं.
इनमें से सबसे ज्यादा हत्याओं के मामले लेफ्ट विंग चरमपंथियों पर दर्ज हैं. इन चरमपंथियों ने 82 हत्याएं की हैं. जिनमें से 72 हत्याएं छत्तीसगढ़ में कई गई हैं. इसके बाद आतंकियों ने 36 हत्याओं को अंजाम दिया है. जिसमें 34 सिर्फ जम्मू-कश्मीर में की गई हैं. वहीं नॉर्थ ईस्ट विद्रोही संगठनों पर 10 हत्या के मामले दर्ज हैं.
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