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60,00,000
मतलब 60 लाख...
ये कोई आम नंबर नहीं हैं, ये 60 लाख भारत के छात्र हैं. स्टूडेंट्स हैं जिनकी किस्मत का फैसला एक NTA के हाथों में है. ये 60 लाख वो बच्चे हैं जिन्होंने साल 2023 और 2024 में एनटीए के जरिए जेईई, प्री मेडिकल नीट एग्जाम, यूजीसी नेट जैस अलग-अलग एग्जाम में हिस्सा लिया. लेकिन कैंडिडेट्स को फेल-पास का सर्टिफिकेट बांटने वाली एनटीए खुद बार-बार फेल हो रही है. डॉक्टर बनाने वाले एग्जाम यानी कि NEET में गड़बड़ी सामने आई है. छात्र हमेशा की तरह विरोध कर रहे हैं, मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं.
लेकिन लाखों बच्चों के फ्यूचर को एक क्लिक में पास-फेल करने वाली NTA का क्या?
यह सवाल सिर्फ हमारा नहीं है, सवाल भारत के करोड़ों बच्चों का है जो मेहनत करके, वक्त, पैसा, इमोशन सब लगाकर एग्जाम की तैयारी करते हैं और NTA जैसी संस्था की एक गलती उनकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख देती है.. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
सरकार ने कैसे पल्ला झाड़ा है? वो आपको आगे बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लीजिए लाखों बच्चों की मेहनत और मानसिक हालात पर कैसे हमला किया जा रहा है.
दरअसल, 5 मई को जिस दिन नीट यूजी का एग्जाम था, उसी दिन बिहार पुलिस और इकनॉमिक ऑफेंस यूनिट ने नीट पेपर लीक से जुड़े एक गैंग को पकड़ा था. पटना के शास्त्री नगर थाने के थाना अध्यक्ष अमर कुमार ने इस मामले में एक FIR खुद दर्ज कराई है. जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे पटना के एक हॉस्टल में कई लड़कों को पहले से क्वेश्चन पेपर मिल गया था. बिहार में NEET की परीक्षा में सॉल्वर गैंग के 19 लोग गिरफ्तार हुए हैं. पटना पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं, पूर्णिया से भी 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई. सभी मेडिकल स्टूडेंट थे. इसके साथ ही गोपालगंज पुलिस ने भी एक छात्र को गिरफ्तार किया था.
अब आप शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बयान पढ़िए..
शिक्षा मंत्री ने किस जांच के आधार पर ये बयान दिया? क्या पटना पुलिस से उन्होंने कोई जानकारी हासिल की थी? एनटीए को पेपर लीक पर इतनी जल्दी क्लीनचीट क्यों दी गई? क्या शिक्षा मंत्री ने किसी और एजेंसी से जांच कराई थी?
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक- पुलिस ने दावा किया है कि नीट के क्वेश्चन पेपर के लिए 30-50 लाख रुपए दिए गए. मतलब डॉक्टर बनने का सपना लिए मेहनत से पढ़ने वाले बच्चे और उनका परिवार ये मान ले कि पैसे का ही खेल है? शिक्षा मंत्री की बातों को मानें या पटना पुलिस को?
बता दें कि साल 2017-18 के बजट में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के गठन की घोषणा की थी. फिर पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने एनटीए के गठन को मंजूरी दे दी. मतलब हायर स्टडीज के लिए अहम एंट्रेस एग्जाम करवाने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को दी गई.
चलिए आप अब एनटीए के कामकाज की कहानी देखिए..
नीट यूजी 2024 रिजल्ट 14 जून, 2024 को जारी होना था लेकिन इसे 10 दिन पहले यानी 04 जून, 2024 को ही रिलीज कर दिया गया. 4 जून यानी जिस दिन लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आए थे. 10 दिन पहले और लोकसभा चुनाव के दिन ही क्यों रिजल्ट जारी किया गया?
दूसरी घटना देखिए
12 जून 2024 को नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (NCET) 2024 होना था, लेकिन परीक्षा सभी केंद्रों पर शुरू नहीं हो सकी और इसलिए इसे स्थगित कर दिया गया. एनटीए ने इसे तकनीकी गलती बताई. बता दें कि एनसीईटी 2024 के लिए कुल 40,233 छात्रों ने रेजिस्ट्रेशन कराया था और बायोमेट्रिक रेजिस्ट्रेशन के हिसाब से देश भर के लगभग 29,000 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए.
NTA की एक और कहानी देखिए -
देश की दूसरी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET- UG) का 15 मई 2024 को एग्जाम होना था, परीक्षा से कुछ घंटे पहले नोटिस जारी करके नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि दिल्ली में एग्जाम पोस्टपोन कर दिया गया है और अब ये 29 को होगी. ऐसा क्यों हुआ? जिन बच्चों ने ट्रेन से बसे से फ्लाइट से टिकट ली होगी उनका क्या? कोई एग्जाम की वजह से किसी दूसरे शहर पहुंचा होगा, होटल में रुका होगा, पैसे खर्च हुए होंगे उनका क्या? इसका जिम्मेदार कौन होगा? शिक्षा मंत्री और एनटीए के पास इसका कोई जवाब है?
दिसंबर 2023 में दिल्ली के एक सेंटर पर यूजीसी नेट की परीक्षा एक घंटे देरी से शुरू हुई.
17 अगस्त 2022 को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी ने बताया कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-यूजी के चौथे फेज के एग्जाम 13 सेंटर्स पर "Unavoidable Technical Reasons" से रद्द कर दिया गया. जिसकी वजह से 1,45,885 उम्मीदवारों में से कुल 8693 कैंडिडेट प्रभावित हुए.
थोड़ा और पीछे जाएंगे तो पाएंगे कि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण परीक्षा को कई बार इसी तरह स्थगित किया गया था. 2022 में CUET के दूसरे फेज में भी इसी तरह टेक्निकल गड़बड़ी का नाम लेकर कई सेंटर पर एग्जाम कैंसिल किया गया था.
5 अगस्त 2022 को दिल्ली के एक सेंटर पर छात्रों को Sociology की परीक्षा में Psychology के सवाल पूछे गए.
क्या छात्रों को अब एग्जाम के बाद अदालत जाने की भी कोचिंग लेनी चाहिए? मुझे लगता है अब छात्रों को एक नहीं कई एग्जाम की तैयारी एक साथ करनी चाहिए, कहीं एक एग्जाम रद्द हो जाए तो दूसरा दे सकें. कहीं पेपर लीक हो तो कम से कम दूसरा ऑप्शन तो हो.. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
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