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NEET-SS 2021: एग्जाम पैटर्न में आखिरी मिनट के बदलाव पर SC ने जारी किया नोटिस

NEET-SS 2021 की निर्धारित तारीख से ठीक 2 महीने पहले परीक्षा पैटर्न में बदलाव की सूचना दी गई थी

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>सुप्रीम कोर्ट  </p></div>
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सुप्रीम कोर्ट

(फोटो:PTI)

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 20 सितंबर को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-सुपर स्पेशियलिटी (NEET- SS) 2021 के पेपर पैटर्न में किए गए "अचानक" और "अंतिम मिनट में बदलाव" को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका को लेकर नोटिस जारी किया है.

याचिका देशभर के 41 स्नातकोत्तर डॉक्टरों की तरफ से दायर की गई थी, जिसमें मेडिकल प्रवेश के लिए एक महीने से पहले, मनमाने ढंग से किए गए बदलावों को रद्द करने के लिए कहा गया था.

याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने सुनवाई की

याचिका में कहा गया है कि हालांकि NEET-SS 2021 की तारीखों की घोषणा 23 जुलाई को की गई थी, लेकिन पैटर्न में बदलाव को एक महीने से अधिक समय बाद 31 अगस्त को अधिसूचित किया गया था, 13-14 नवंबर को होने वाली परीक्षाओं में केवल दो महीने शेष हैं

6 महीने का अग्रिम नोटिस नहीं

लाइव लॉ ने बताया, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि वो पिछले तीन वर्षों के पिछले पैटर्न के अनुसार तैयारी कर रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने कहा, पहले जब पैटर्न में बदलाव की घोषणा की गई थी, तो उन्हें "तैयारी करने के लिए छात्रों को पर्याप्त समय" की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए छह महीने पहले बताया गया था.

याचिका में यह भी बताया गया है कि 23 जुलाई के नोटिस में पैटर्न में बदलाव का कोई संकेत नहीं था, यही कारण है कि यह सोचने का कोई कारण नहीं था कि इस तरह का कोई भी कठोर बदलाव आखिरी तारीख के करीब और वैध अधिकार के बिना किया जाएगा.

इसके अलावा, याचिका आगे चुनौती देती है कि न तो एनबीई और न ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के पास परीक्षा के पैटर्न को बदलने का अधिकार है. लाइव लॉ ने बताया कि पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 2000 के रेगुलेशन 9 का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से केवल केंद्र सरकार ही परीक्षा पैटर्न में बदलाव कर सकती है.

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डॉक्टरों का क्या तर्क?

इसके अलावा, डॉक्टरों ने तर्क दिया है कि पिछले पैटर्न को अवधारणात्मक रूप से उन विषयों में उम्मीदवारों का परीक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया था, जिनमें वे बुनियादी विषयों को कुछ प्रतिशत देते हुए विशेषज्ञता चाहते हैं. इसके विपरीत, नया परीक्षा पैटर्न उम्मीदवारों को सुपर स्पेशियलिटी विषय लेने के लिए मजबूर करेगा जो उन्हें पसंद भी नहीं है.

याचिका में कहा गया है, "अंत में, यह प्रणाली ऐसे डॉक्टरों का तैयार करेगी जिनके पास सुपर-स्पेशियलिटी के लिए पूर्ण जुनून नहीं है."

याचिका पर अगले सोमवार यानी 27 सितंबर को सुनवाई होगी. डॉक्टरों ने शीर्ष अदालत से 31 अगस्त के नोटिस को अवैध और एनबीई और एनएमसी द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रतिनिधिमंडल से अधिक घोषित करने की मांग की है. इसके अलावा, याचिका में यह घोषणा करने की भी मांग की गई है कि केवल केंद्र सरकार को मौजूदा कानूनों के तहत NEET SS परीक्षा में बदलाव करने का अधिकार हैं.

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