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संसद में नए मैप को पेश करने के बीच नेपाल करना चाहता है भारत से बात

मैप में विवादित लिम्पियाधूरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके शामिल हैं

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मैप में विवादित लिम्पियाधूरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके शामिल हैं
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मैप में विवादित लिम्पियाधूरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके शामिल हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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नेपाल की सरकार उस बिल को पास कराने के आखिरी स्टेज पर है, जो देश के संविधान में संशोधन कर एक नए मैप को मंजूरी दे देगा. इस मैप में विवादित लिम्पियाधूरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके शामिल हैं. बिल पर 9 जून को नेपाल की संसद के निचले सदन में चर्चा की उम्मीद है.

एक तरफ जहां नेपाल की संसद इस विवादित मैप पर चर्चा करने जा रही है, न्यूज एजेंसी ANI ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली के हवाले से बताया,

नेपाल, भारत के साथ बातचीत करना चाहता है. इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है.

एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट बताती है कि नेपाल के विदेश मंत्री ने 8 जून को कहा कि वो अभी भी सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत पर भारत के जवाब का इंतजार कर रहे हैं. इस विवाद की वजह से दोनों पड़ोसी देशों के रिश्ते तनावग्रस्त हो गए हैं.

बिल के पास होने पर भारत और नेपाल के बीच राजनयिक संकट और बढ़ने के आसार हैं.

नए मैप के लिए बिल

बिल को संसद में कानून मंत्री शिवमाया तुंबाहांफे ने 31 मई को पेश किया था. बिल के जरिए नए मैप के लिए लीगल स्टेटस मांगा जा रहा है. इस मैप में उन हिस्सों को भी शामिल किया गया है, जो भारत का हिस्सा हैं. नेपाल की सरकार कहती आई है कि भारत के मैप पर दिखने वाले लिम्पियाधूरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके उसके हैं.

लिपुलेख पास भारत और नेपाल के विवादित बॉर्डर इलाके कालापानी के पश्चिमी छोर पर पड़ता है. नेपाल और भारत दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न अंग बताते हैं. भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है. वहीं नेपाल इसे धारचूला जिले का हिस्सा कहता है.   

सरकार ने बिल को तभी पेश किया, जब वो संसद के निचले सदन में दो-तिहाई बहुमत के लिए आश्वस्त हो गई. ये बहुमत मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन के बाद सुनिश्चित हुआ.

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तनाव बढ़ा

13 मई को नेपाल ने बॉर्डर पर अपनी तरफ कालापानी के पास छांगरू में आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) को तैनात कर दिया. ये तैनाती भारत के रणनीतिक तौर पर अहम लिपुलेख पास को जोड़ने वाली एक लिंक रोड को बनाने के जवाब में की गई थी.

इसके बाद भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि नेपाल की हालिया आपत्ति किसी और के कहने पर थी, ऐसा मानने का कारण है. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव है.

भारत शांत रहा

नेपाल इस विवादित बिल को पास कराने के करीब है, लेकिन भारत इस मामले पर शांत रहा है. नेपाल की तरफ से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद भारत की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

इस बीच द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि नेपाल में चीन की सेना की मेडिकल यूनिट के लोगों का एक डेलिगेशन कोरोना वायरस महामारी संभालने के लिए आने वाला है.

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