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BJP उपाध्यक्ष पद से हटने पर नेताजी के पोते-कई बातें नहीं थीं मंजूर

‘CAA का विरोध नहीं किया, सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा’

इशाद्रिता लाहिड़ी
भारत
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‘CAA का विरोध नहीं किया, सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा’
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‘CAA का विरोध नहीं किया, सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा’
(फोटो: क्विंट)

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बीजेपी की पश्चिम बंगाल यूनिट का 2 जून को पुनर्गठन किया गया और जो बदलाव सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस का एग्जीक्यूटिव काउंसिल से बाहर निकाला जाना रहा.

बोस इससे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष थे. पुनर्गठन के बाद राज्य में बीजेपी के प्रमुख अभी भी दिलीप घोष हैं. साथ ही 12 उपाध्यक्ष हैं, जिसमें पूर्व TMC विधायक और मौजूदा बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह भी शामिल हैं.

क्विंट से बातचीत में बोस ने बताया कि उन्हें पार्टी का फैसला उसके सार्वजानिक होने के बाद पता लगा. उन्होंने कहा कि उससे पहले किसी ने उनसे बात नहीं की.

'CAA का विरोध नहीं किया, सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा'

पिछले साल संसद में नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद बोस ने पार्टी लाइन से हटकर इस कानून पर सवाल उठाए थे. जब उनसे पूछा गया कि क्या ये एग्जीक्यूटिव काउंसिल से निकाले जाने की वजह हो सकता है, तो उन्होंने कहा, "मैंने CAA का विरोध नहीं किया था, बस स्पष्टीकरण और उसमें कुछ बदलाव की बात कही थी."

अमित शाह ने कहा था कि कानून धर्म पर आधारित नहीं है. मेरा सवाल है कि फिर हम अलग से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन क्यों कह रहे हैं. उन्हें सिर्फ कहना चाहिए था कि ‘प्रताड़ित लोगों’ को नागरिकता मिलेगी. जैसे ही आप एक समुदाय की बात नहीं करते हैं, आप उसे अलग कर देते हैं. 
चंद्र कुमार बोस

चंद्र कुमार बोस ने कहा, "देशभर में हुए प्रदर्शनों में सिर्फ मुस्लिम शामिल नहीं थे, वहां छात्र और यूथ मौजूद था. सिर्फ JNU और जादवपुर ही नहीं, IIT और IIM जैसे बिना किसी राजनीतिक संबंध वाली यूनिवर्सिटी भी शामिल रही. सरकार को अशांति नहीं फैलानी चाहिए या लोगों को दिक्कत नहीं देनी चाहिए."

बोस ने कहा कि पुनर्गठन के बाद पदों के ऐलान के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था. उन्होंने कहा कि मैंने कैलाश विजयवर्गीय से बात की है, जिन्होंने मुझे 'कोई दूसरी जिम्मेदारी' देने की बात कही.

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'विकास के मुद्दे पर बीजेपी में आया, हिंदू-मुस्लिम नहीं'

चंद्र कुमार बोस का कहना है कि उन्होंने बीजेपी विकास के मुद्दे पर ज्वॉइन की थी, न कि हिंदू-मुस्लिम और धर्म के मुद्दे पर.

बोस ने कहा, "मैंने मोदी को मसीहा के रूप में देखा था जो इकनॉमी को बूस्ट करेगा. मुझे बीजेपी और आरएसएस की कई बातें मंजूर नहीं, लेकिन मैंने मोदी को अलग नजरिये से देखा. मुझे लगा कि वो सुभाष चंद्र बोस के सच्चे प्रशंसक हैं. किसी भी नेता ने इतने सकरात्मक ढंग से बोस परिवार की तरफ नहीं देखा था. लेकिन देश को बचाने के लिए बीजेपी को सुभाष चंद्र बोस की सबको साथ लेकर चलने की पॉलिसी अपनानी होगी."

उन्होंने कहा, "मैं शायद वहीं फेल हो गया. मैं अपनी पार्टी और साथियों को समझा नहीं पाया. मुझे लगता है पीएम मोदी को मैं समझा पाया लेकिन आप मोदी से रोज बात नहीं कर सकते."

2016 में बीजेपी में शामिल होने के बाद से बोस ने दो बार असफल चुनाव लड़ा. 2016 में वो ममता बनर्जी के खिलाफ भवानीपुर से विधानसभा चुनाव लड़े थे. 2019 में वो साउथ कोलकाता से लोकसभा चुनाव हारे थे.

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