Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार: नए DGP की नियुक्ति पर क्यों उभर आया इस पिता का दर्द?

बिहार: नए DGP की नियुक्ति पर क्यों उभर आया इस पिता का दर्द?

बिहार के नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय नवरुणा अपहरण और हत्या केस को लेकर सुर्खियों में आए थे.

कौशिकी कश्यप
भारत
Updated:
31 जनवरी से बिहार पुलिस महकमे का कार्यभार संभाल चुके नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय नवरुणा केस को लेकर सुर्खियों में आए थे.
i
31 जनवरी से बिहार पुलिस महकमे का कार्यभार संभाल चुके नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय नवरुणा केस को लेकर सुर्खियों में आए थे.
(फोटोः क्विंट हिंदी)

advertisement

“गुप्तेश्वर पांडेय को बिहार का डीजीपी नियुक्त किया गया है, मुझे जैसे ही इसकी जानकारी मिली, मुझे लगा कि करंट लगा हो जैसे. हम छोटे लोग न्याय की क्या आस करेंगे?”

ये एक बुजुर्ग पिता का बयान है, जो आज भी इंसाफ की आस में है.

ये बयान उन्होंने नीतीश कुमार के राज्य में आम चुनाव से ठीक पहले नियुक्त किए गए नए डीजीपी के संदर्भ में दिया है. मुजफ्फरपुर के 68 साल के अतुल्य चक्रवर्ती की बेटी नवरुणा के अपहरण और हत्या का मामला 6 साल बाद भी उलझा हुआ है.

31 जनवरी से बिहार पुलिस महकमे का कार्यभार संभाल चुके नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय नवरुणा केस को लेकर सुर्खियों में आए थे. इस केस में जांच का दायरा इन तक पहुंचा था.

जानिए क्या था नवरुणा केस

ये घटना बिहार के मुजफ्फरपुर की है. 18-19 सितंबर 2012 की बीच रात 12 साल की बच्ची नवरुणा का अपहरण उसके घर से हुआ था. उसके कमरे की खिड़की का ग्रिल काटकर इसे अंजाम दिया गया. अपहरण के बाद 26 नवंबर 2012 को घर से सटे नाले से उसकी हड्डियां बरामद हुई थीं. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था.

इस केस की जांच करने वाले अधिकारियों में एक गुप्तेश्वर पांडेय भी थे. वो उस समय मुजफ्फरपुर के आईजीपी थे.

पहले स्थानीय पुलिस, फिर सीआईडी और फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच को अपने हाथ में लिया.

सीबीआई जांच के दायरे में गुप्तेश्वर पांडेय

नवंबर 2018 में सीबीआई ने नवरुणा केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय बढ़ाने की मांग की थी. सीबीआई के एप्लीकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए आखिरी 6 महीने का वक्त दिया है. सीबीआई ने जिस एप्लीकेशन के आधार पर वक्त मांगा है, उसमें इस केस से जुड़े कुछ अफसरों की जांच का जिक्र किया गया है. उन अफसरों में गुप्तेश्वर पांडेय का नाम भी शामिल है.

सीबीआई का एप्लीकेशन जिसमें गुप्तेश्वर पांडेय के जांच की बात कही गई है. (फोटोः क्विंट हिंदी)

सीबीआई की दलील है कि तफ्तीश का दायरा नौकरशाह-माफिया की मिलीभगत तक बढ़ाने के लिए उन्हें और वक्त चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूर कर केस को सुलझाने का आखिरी मौका दिया है.

हार्ट और ब्लड प्रेशर से जूझ रहे नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती का आरोप है कि इस पूरे कांड में एक बहुत बड़े नेटवर्क ने काम किया जिसमें पुलिस अधिकारी, नगर निगम, भू-माफिया, नेता सब का रैकेट है. मुजफ्फरपुर में भू-माफिया और पुलिस अधिकारियों के गठजोड़ का आसान निशाना उनकी बेटी नवरुणा बनी.

अतुल्य बताते हैं, "नवरुणा की हत्या मुजफ्फरपुर के जवाहर रोड पर उनकी एक संपत्ति की खरीद-बिक्री के विवाद को लेकर हुई जिसपर कई भू-माफियाओं की नजर थी. नवरुणा की हत्या में दो सिंडिकेट ने काम किया. पहला जिन्होंने अपहरण किया और दूसरा जिन्होंने घर के पास नाले में हड्डी फेंकी ताकि हमें ऑनर किलिंग में फंसाया जा सके. पुलिस ने पहले इसे प्रेम-प्रसंग का रंग देने की कोशिश की थी."

अतुल्य का कहना है कि मामले की शुरुआत से ही उन्हें पुलिसिया जांच पर भरोसा नहीं था.

45 दिनों के बाद, फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची थी. 33 दिनों के बाद तत्कालीन जिला पुलिस प्रमुख राजेश कुमार और 40 दिनों बाद गुप्तेश्वर पांडेय परिवार से मुलाकात करने पहुंचे थे.
<b>अतुल्य चक्रवर्ती</b>

बता दें, प्रदेश में उस वक्त एनडीए का शासन था और कमान सीएम नीतीश कुमार के पास थी.

इस पूरे मामले पर क्विंट हिंदी ने गुप्तेश्वर पांडेय का कमेंट जानने की कोशिश की, जिसपर उनकी ओर से प्रतिक्रिया नहीं आई.  
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रिटायरमेंट के बाद सेवा में वापसी ने चौंकाया था

गुप्तेश्वर पांडेय 2009 में भी चर्चा में रहे थे. वजह था उनका वीआरएस लेकर रिटायर होना और 9 महीने बाद सेवा में वापसी. ये एडमिनिस्ट्रेटिव महकमे में ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ केस माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे और बीजेपी की ओर से उन्हें टिकट का भरोसा भी मिला था लेकिन बाद में बात बनी नहीं और तब उन्होंने वापस सेवा में आने की अर्जी लगाई.

बीजेपी-जेडीयू प्रशासन के तहत वापस उनकी नियुक्ति हुई थी.

इस बारे में क्विंट हिंदी ने उस समय बिहार के होम सेक्रेटरी रहे और पूर्व आईएएस अधिकारी (बिहार कैडर 1979) अफजल अमानुल्लाह से बात की. उन्होंने बताया,

“गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव लड़ना चाहते थे. उन्होंने वीआरएस की मांग की. सरकार ने मंजूरी दे दी, नोटिफिकेशन जारी कर दी गई. वो ड्यूटी से हट गए. लेकिन सेवा में उनकी वापसी किन नियमों के आधार पर हुई, इसकी मुझे जानकारी नहीं है, क्योंकि एक बार सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी करने और पद छोड़ने के बाद वापस कोई सर्विस में नहीं लौट सकता.”
<b> अफजल अमानुल्लाह</b>

क्विंट हिंदी के पास 2009 में गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस से जुड़ी एक फाइल नोटिंग मौजूद है जिसपर अफजल अमानुल्लाह के हस्ताक्षर हैं.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

इस कागज में साफ-साफ लिखा है कि नियमों के तहत ये मुमकिन नहीं था और मामले को भारत सरकार के पास भेजने की बात कही गई थी.

गुप्तेश्वर पांडेय को वापस सेवा में बहाल किए जाने तक अफजल अमानुल्लाह की जगह नए होम सेक्रेटरी नियुक्त हो चुके थे. अफजल अमानुल्लाह कहते हैं कि उनके जाने के बाद सरकार किन नियमों के तहत गुप्तेश्वर पांडेय को वापस लेकर आई इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.

कैसे मिली 'सुशासन' की जिम्मेदारी

गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. पैतृक घर बिहार के बक्सर जिले में ही है. इससे पहले उनके पास डीजी ट्रेनिंग और डीजी पुलिस अकेडमी की जिम्मेदारी थी.

इस बार बिहार में नए डीजीपी की नियुक्ति नए प्रावधानों के तहत की गई. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक, बिहार सरकार ने डीजी के पद पर तैनात 12 पुलिस अधिकारियों के नाम की सूची संघ लोक सेवा आयोग को भेजी थी. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के मद्देनजर उन 12 नामों में से 3 नामों का चयन किया. बिहार सरकार को डीजीपी पद के लिए इन 3 नामों में से एक को चुनना था.

साथ ही अब राज्य में जो भी डीजीपी बनेगा वो अगले 2 सालों तक इस पद पर बना रहेगा. इसलिए जरूरी था कि नियुक्ति वैसे अधिकारी की हो, जिसकी सर्विस कम से कम 2 साल बची हो.

ऐसे में बीजेपी-नीतीश सरकार ने राज्य में 'सुशासन' की जिम्मेदारी सीबीआई जांच के दायरे में रहे गुप्तेश्वर पांडेय के कंधे पर डाली है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 Feb 2019,02:00 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT