advertisement
न्यूजक्लिक (Newsclick Raids) से जुड़े पत्रकारों पर 04 अक्टूबर को हुई छापेमारी और उसके संस्थापक-संपादक 76 वर्षीय प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha arrest) की गिरफ्तारी के एक दिन बाद माहौल गर्म रहा. प्रेस क्लब में पत्रकारों का बड़ा जमावड़ा लगा. प्रेस क्लब, DIGIPUB सहित कई मीडिया संगठनों ने CJI चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. वहीं न्यूजक्लिक ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से एक बयान जारी किया है.
न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकारों पर हुई छापेमारी और प्रबीर पुरकायस्थ और उनके एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के खिलाफ छात्र संगठनों समेत कई सामाजिक संगठनों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.
न्यूजक्लिक से जुड़े लोगों पर मंगलवार को हुई छापेमारी के विरोध में कई पत्रकार बुधवार, 4 अक्टूबर को नई दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में इकठ्ठा हुए. कथित तौर पर छापेमारी 46 लोगों के आवासों पर हुई.
न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ ने अपने खिलाफ एफआईआर की कॉपी की मांग करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया है. पुरकायस्थ की याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मांग की कि सरकार को मामले का विवरण सामने लाना चाहिए.
यह न्यूजक्लिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में एक सार्वजनिक बैठक थी. पत्रकारों ने शुरू में जंतर-मंतर तक मार्च की योजना बनाई थी लेकिन अनुमति नहीं दी गई. प्रेस क्लब में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, लेखिका अरुंधति रॉय, राजद सांसद मनोज कुमार झा और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया सहित 15 प्रेस संगठनों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा, जिसमें अदालतों से तीन बिंदुओं पर विचार करने के लिए कहा गया: पत्रकारों के उपकरणों की जब्ती को रोकने के लिए मानदंड तैयार करना; बरामदगी और पत्रकारों से पूछताछ के लिए दिशानिर्देश; और राज्य एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के तरीके खोजना.
वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी ने यह भी घोषणा की है कि पीसीआई ने सीजेआई से मिलने का समय मांगने का फैसला किया है.
न्यूजक्लिक ने पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से एक बयान जारी करते हुए लिखा कि, "कल, 3 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा न्यूजक्लिक के कार्यालयों, पत्रकारों और कर्मचारियों के आवासों - पूर्व और वर्तमान, सलाहकारों और न्यूजक्लिक से जुड़े फ्रीलांसरों सहित विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए."
"हमें FIR की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई है और न हमें उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित किया गया है जिनके लिए हम पर आरोप लगाए गए हैं. बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए जैसे कि जब्ती मेमो (seizure memos) का प्रावधान, जब्त किए गए डेटा के हैश मान (hash values), यहां तक कि डेटा की प्रतियां आदि के बिना न्यूजक्लिक परिसर और कर्मचारियों के घरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया गया. हमें अपनी रिपोर्टिंग जारी रखने से रोकने के एक जबरदस्त प्रयास में न्यूजक्लिक के कार्यालय को भी सील कर दिया गया है."
इसके साथ ही न्यूजक्लिक की ओर से कहा गया है कि, फिर भी, एक ऐसी सरकार जिसके पास सारी जानकारी, दस्तावेज और संचार होने के बावजूद न्यूजक्लिक के खिलाफ कोई भी आरोप को साबित करने में सक्षम नहीं है. उसे कड़े यूएपीए को लागू करने और उन स्वतंत्र और निडर आवाज़ों को दबाने, जो असली भारत- किसानों, मजदूरों और समाज के अन्य उपेक्षित वर्गों की बात सामने रखते हैं, को खामोश करवाने के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक प्रेरित और फर्जी लेख की जरूरत पड़ी."
इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि "हम जो बता पाने में सक्षम हैं वह यह है कि न्यूजक्लिक पर अपनी वेबसाइट पर कथित तौर पर चीनी प्रचार करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है."
नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (दिल्ली यूनिट) ने पत्रकारों के घरों पर पुलिस छापे की निंदा की और प्रेस की स्वतंत्रता पर इसके दूरगामी प्रभाव पर जोर दिया.
वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WJAI) ने इस मामले की निंदा करते हुए बयान जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है, "WJAI, केंद्र सरकार के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करने में मुखर रहने वाले पत्रकारों के खिलाफ पुलिस के अड़ियल रवैये की कड़ी निंदा करता है."
अखिल भारतीय वकील संघ ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर हमला बताया. एआईएलयू के अध्यक्ष विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि न्यूजक्लिक के खिलाफ कार्रवाई "सुनियोजित, अवैध और असंवैधानिक" थी.
गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, DIGIPUB न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई सरकार के "मनमाने और डराने-धमकाने वाले व्यवहार" को एक नए चरम पर ले जाती है.
एक संयुक्त बयान में, 28 विपक्षी राजनीतिक दलों के गठबंधन, INDIA ब्लॉक ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले नौ वर्षों में उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का उपयोग करके मीडिया पर अत्याचार किया है. गठबंधन ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की ज़बरदस्त कार्रवाई केवल उन मीडिया संगठनों और पत्रकारों के खिलाफ है जो सत्ता के लिए सच बोलते हैं."
दूसरी तरफ न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तारी के एक दिन बाद बुधवार को सात दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. बता दें कि मंगलवार को, दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ सहित दो लोगों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और अन्य धाराओं के तहत उनके परिसरों पर छापेमारी और पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)