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Newsclick Raid: पत्रकार बोले- CAA, किसान आंदोलन पर रिपोर्टिंग को लेकर हुई पूछताछ

दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और मुंबई में हुई तलाशी मंगलवार तड़के शुरू हुई और सात से आठ घंटे तक चली.

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भारत
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एक आम दिन सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर एक 30 साल की पत्रकार को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली पुलिस, दक्षिणी दिल्ली में उसके किराए के मकान पर दस्तक देगी.

ये 30 वर्षीय पत्रकार उन 46 लोगों में शामिल हैं, जिन पर न्यूजक्लिक (Newsclick) की फंडिंग की जांच के सिलसिले में मंगलवार, 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल ने छापा मारा और पूछताछ की.

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बता दें कि न्यूजक्लिक के खिलाफ अगस्त महीने में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज किया गया था.

न्यूजक्लिक की यह पत्रकार, जो पिछले तीन सालों से पोर्टल के साथ हैं उन्होंने ने द क्विंट को बताया:

"मैं दूसरों की तुलना में कार्यालय में जूनियर हूं. लेकिन फिर भी उन्होंने मुझ पर छापा मारा. कार्यालय या संस्थापकों पर छापा मारना एक बात है लेकिन किसी जूनियर व्यक्ति के घर पर जाना अप्रत्याशित है."

दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और मुंबई में हुई तलाशी मंगलवार तड़के शुरू हुई और सात से आठ घंटे तक जारी रही.

एक बयान में, दिल्ली पुलिस ने कहा, "कुल 37 पुरुष संदिग्धों से परिसर में पूछताछ की गई है, 9 महिला संदिग्धों से उनके घरों पर पूछताछ की गई है और डिजिटल उपकरणों, दस्तावेजों आदि को जांच के लिए जब्त/एकत्रित किया गया है." यह कहते हुए कि "कार्रवाई अभी भी जारी है." उन्होंने न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया है.

न्यूजक्लिक से जुड़े कई पत्रकारों, तकनीशियनों और कंट्रीब्यूटर्स को भी तलाशी का सामना करना पड़ा, जिनमें से कई लोगों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त कर लिए गए. मंगलवार को क्या हुआ, यह समझने के लिए द क्विंट ने उनमें से कुछ लोगों से बातचीत की है.

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'तीन घंटे तक पूछताछ की गई, हमारे काम के बारे में पूछा गया'

"क्या आपने शाहीन बाग में सीएए विरोध प्रदर्शन को कवर किया था?"

"ऐसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय आपका इरादा क्या था?"

"क्या आपको इन घटनाओं पर रिपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त भुगतान किया गया था?"

ये कुछ ऐसे सवाल थे जो कथित तौर पर उन 46 व्यक्तियों में से कुछ से पूछे गए थे जिन पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छापेमारी की थी और पूछताछ की थी. जिन लोगों से पूछताछ की गई उनमें पत्रकार अभिसार शर्मा, भाषा सिंह, उर्मिलेश, राजनीतिक टिप्पणीकार और वरिष्ठ पत्रकार औनिंद्यो चक्रवर्ती, परंजॉय गुहा ठाकुरता, सत्यम तिवारी, सुबोध वर्मा, कार्टूनिस्ट इरफान, इतिहासकार सोहेल हाशमी और व्यंग्यकार संजय राजौरा शामिल थे.

मुंबई में तीस्ता सीतलवाड़ के घर और दफ्तर की भी तलाशी ली गई.

पुलिस ने कथित तौर पर पत्रकारों के बैंक स्टेटमेंट की भी जांच की. इसके अलावा, उनसे उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके काम की हिस्ट्री के बारे में व्यक्तिगत विवरण भी लिया.

द क्विंट से बात करते हुए 30 वर्षीय पत्रकार ने कहा कि मंगलवार को उनसे तीन घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की गई. उन्होंने कहा, "उन्होंने मेरे पूरे घर की तलाशी ली, मेरे सारे सामान की जांच की. शुरू में, मुझे लगा कि यह किसी सोर्स के बारे में है जिसके साथ मैं संपर्क में थी या कुछ और. बाद में मुझे बताया गया कि यह न्यूजक्लिक के खिलाफ यूएपीए मामले के संबंध में था."

पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर पत्रकार से कहा कि उन्हें जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग करने की अनुमति है. उन्होंने कहा, "उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें क्रूर बल का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन वे इसका इस्तेमाल नहीं करना चाह रहे हैं. उन्होंने मुझसे सहयोग करने के लिए कहा, जो मैंने किया."

इनमें से कुछ आरोपों पर द क्विंट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों से संपर्क किया. उन्होंने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनके वापस आने पर उनकी प्रतिक्रियाएं अपडेट की जाएगी.

पत्रकार ने द क्विंट को बताया कि पुलिस अधिकारियों ने उनसे करीब 25 सवाल किए, जिनमें से ज्यादातर पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों, किसानों के विरोध प्रदर्शन और COVID​​-19 महामारी के दौरान उनके काम से संबंधित थे.

"उन्होंने मुझसे मेरे व्यक्तिगत विवरण और किसानों के विरोध प्रदर्शन, दिल्ली दंगों और भारत में COVID-19 महामारी के दौरान मेरे काम के बारे में सवाल किए. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि उन कहानियों को कवर करने के दौरान मेरा इरादा क्या था. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि क्या मुझे अतिरिक्त भुगतान मिला है इन मुद्दों को कवर करने के लिए. वे यह भी जानना चाहते थे कि मैंने देश और सरकार के खिलाफ स्टोरीज क्यों लिखीं. उनके पास कोई फॉलो-अप सवाल नहीं था, बस एक परफॉर्मा था जिसे वे पढ़ रहे थे."
30 वर्षीय पत्रकार ने द क्विंट को बताया
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'क्या आप जेएनयू छात्र राजनीति में रुचि रखते हैं?'

मंगलवार सुबह 6:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक जर्नलिस्ट अभिसार शर्मा से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. दिल्ली पुलिस, सीआईएसएफ कर्मियों और यूपी पुलिस के साथ, पूछताछ के लिए उनके नोएडा आवास पर पहुंची, जिसके बाद उन्हें पूछताछ के लिए लोधी कॉलोनी में विशेष सेल कार्यालय ले जाया गया.

बुधवार, 4 अक्टूबर को जारी एक वीडियो बयान में, अभिसार शर्मा ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बताया कि "वे मेरे कथित आतंकी संबंधों के बारे में पूछताछ करने के लिए आए थे."

अभिसार शर्मा ने कहा कि, "क्या आप सीएए विरोध प्रदर्शन को कवर करने गए थे? क्या आपने किसानों के विरोध पर रिपोर्टिंग की थी? क्या आपने पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के लोगों से बात की है? क्या आपको वहां से फोन आते हैं? चार पुलिस अधिकारियों ने मुझसे सात घंटे से ज्यादा देर तक बार-बार यही सवाल पूछे."

उन्होंने कहा, "मैंने उनसे कहा कि मैं मुद्दों को कवर करने के लिए मैदान पर नहीं जाता, बल्कि अपने स्टूडियो से समाचार विश्लेषण रिकॉर्ड करता हूं. मैंने उन्हें कई बार यह समझाया."

कथित तौर पर अभिसार शर्मा से यह भी पूछा गया कि क्या वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्र राजनीति को कवर करने में रुचि रखते हैं. शर्मा ने अपने वीडियो में कहा, "मैंने उनसे कहा कि हां, मैंने सभी मुद्दों को कवर किया है - और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा."

अभिसार शर्मा को शाम करीब साढ़े पांच बजे रिहा कर दिया गया. इसके बाद शाम करीब साढ़े छह बजे परंजॉय गुहा ठाकुरता की रिहाई हुई.

अपनी रिहाई के बाद पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रणंजय ठाकुरता ने कहा,

"गुरुग्राम में सुबह 6:30 बजे नौ पुलिसकर्मी मेरे घर आए. उन्होंने मुझसे कई सवाल पूछे. मैं स्वेच्छा से उनके साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में आया. सवालों का एक ही सेट बार-बार पूछा गया. पूछा गया अगर मैं न्यूजक्लिक का कर्मचारी हूं, तो मैंने कहा 'नहीं, मैं एक सलाहकार हूं.' यहां आने के बाद, मुझे पता चला कि जाहिर तौर पर यूएपीए (UAPA) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है."

इस बीच, इतिहासकार सोहेल हाशमी की बेटी सारा हाशमी ने द क्विंट को बताया कि छह अधिकारी मंगलवार सुबह 6 बजे उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे - और 1.5 घंटे से अधिक समय तक तलाशी ली.

सारा ने यह भी दावा किया कि सोहेल हाशमी का न्यूजक्लिक और मामले से कोई संबंध नहीं है.

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आलोचना को 'देशद्रोह' मानने की सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हैं: न्यूजक्लिक की प्रतिक्रिया

एक आधिकारिक बयान में, समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक ने सरकार के कार्यों की "कड़ी" निंदा की, "जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सम्मान करने से इनकार करती है, और आलोचना को देशद्रोह या 'राष्ट्र-विरोधी' प्रचार मानती है."

समाचार पोर्टल ने आगे आरोप लगाया कि उसे न तो एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराई गई और न ही उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित किया गया जिनके तहत पत्रकारों पर आरोप लगाए गए हैं.

बयान में उनके कार्यालय को सील करने और उन्हें रिपोर्टिंग करने से रोकने को "एक जबरदस्त प्रयास" कहा गया है.

न्यूजक्लिक के बयान में 2021 के बाद से जांच एजेंसियों द्वारा उस पर कथित "टार्गेटेड" हमलों के बारे में भी बात की गई है. बयान में कहा गया है कि सरकार के पास न्यूजक्लिक से जुड़े सभी दस्तावेज और जानकारियां हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार आरोप नहीं साबित कर पाई है.

बयान में कहा गया है, "न्यूजक्लिक अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रचार नहीं करता है. न्यूजक्लिक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री के संबंध में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेता है."

न्यूजक्लिक ने अपने बयान के अंत में कहा कि "उसे अदालतों और न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है."

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