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'किसानों की मौत' और 'आर्यन की गिरफ्तारी' को अखबारों ने कुछ ऐसे किया कवर

इस वीकेंड की दो बड़ी खबरों, लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा और मुंबई में हुई ड्रग्स रेड को अखबारों में कितनी जगह मिली?

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फोटो - The Quint 

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इस हफ्ते के अंत में दो प्रमुख खबरें सामने आईं, पहली खबर यूपी में किसानों के विरोध प्रदर्शन में हिंसा (violence at farmers' protest in Uttar Pradesh) और दूसरी मुंबई के पास एक क्रूज जहाज पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की छापेमारी.

यूपी की घटना में, लखीमपुर खीरी में केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के दौरान हुई झड़पों में किसानों सहित कम से कम आठ लोगों के मारे जाने की सूचना है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (MoS) अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की कार की चपेट में आने से किसानों की मौत हो गई.

वहीं, दूसरी घटना, मुंबई के तट से, बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की कथित तौर पर ड्रग्स रखने के मामले में हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी ने सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद की यादों को ताजा कर दिया.

चलिए नजर डालते हैं कि इन दो बड़ी घटनाओं को अखबारों ने कितनी प्राथमिकता दी और किस तरह से कवर किया.

दैनिक समाचार पत्रों ने कुछ इस तरह इन खबरों को कवर किया.

एक तरफ लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसान, तीन बीजेपी कार्यकर्ता, एक ड्राइवर और पत्रकार की जान चली गई, लेकिन यह आर्यन खान की गिरफ्तारी थी जो कई हिंदी अखबारों के पहले पन्नों पर सामने आई.

तुलनात्मक रूप से, गुजरात के कच्छ जिले में सितंबर से अडानी द्वारा संचालित मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से 2,988.21 किलोग्राम हेरोइन की जब्ती पर आर्यन की गिरफ्तारी की तरह लगभग सभी का ध्यान नहीं गया.

हालांकि यूपी की घटना को भी साथ में दिखाया गया था, लेकिन दैनिक जागरण जैसे कुछ अखबारों ने हिंसा का दोष पूरी तरह से "बेकार किसानों" पर मढ़ दिया.

अखबार के पहले पन्ने की हेडलाइन में लिखा था ' उत्तर प्रदेश में अराजक किसानों का उपद्रव, 6 की गई जान '

दरअसल, न तो दैनिक भास्कर और न ही नवभारत टाइम्स ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (MoS) अजय मिश्रा के बेटे पर लगे आरोपों का जिक्र अपनी बड़ी बोल्ड हेडलाइन्स में किया.

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लेकिन यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि समाचार पत्र कैसे दो घटनाओं की रिपोर्ट कर रहे हैं, कवरेज यह भी बता रहा है कि सुरक्षा बलों और जांच एजेंसियों से दो मामलों को किस तरह का महत्व मिल रहा है.

एनसीबी की छापेमारी के बाद जहां आर्यन खान को पांच अन्य लोगों के साथ फौरन गिरफ्तार कर लिया गया, वहीं यूपी पुलिस ने आशीष मिश्रा के खिलाफ हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

प्रमुख हिंदी दैनिकों में अमर उजाला उन कुछ लोगों में से एक था, जिन्होंने अपने पहले पन्ने पर मिश्रा के खिलाफ लगे आरोपों पर प्रकाश डाला था.

कैसे प्रमुख अंग्रेजी अखबारों ने दो कहानियों को कवर किया

कुछ शीर्ष हिंदी दैनिकों के उलट, कुछ प्रमुख अंग्रेजी दैनिकों जैसे द ट्रिब्यून, टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने पहले पन्ने पर दोनों कहानियों को संतुलित करने का प्रयास किया.

हालांकि ड्रग्स मामले में आर्यन खान की संलिप्तता के बारे में विशिष्ट विवरण के बारे में जानकारी अभी भी अस्पष्ट है, एनसीबी छापे के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया की हेडलाइन ने कहा कि "एसआरके के बेटे ने चरस का सेवन किया"

यह लगभग उस तरह के अनुमानों की याद दिलाता है जो एक साल पहले रिया चक्रवर्ती गाथा के आसपास रिपोर्ट और प्राइम-टाइम समाचारों पर विचार-विमर्श करते थे. मामले के बारे में अब तक हम जो जानते हैं, वह यह है कि एनसीबी ने एक क्रूज लाइनर में कथित "रेव पार्टी" पर छापेमारी में 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरस, एमडीएमए की 22 गोलियां और 5 ग्राम एमडी बरामद किया था.

आर्यन खान के खिलाफ आरोपों में प्रतिबंधित पदार्थों की खरीद, कब्जा और उपयोग शामिल है, हालांकि, आर्यन के वकील सतीश मानेशिंदे ने रविवार को अदालत को बताया कि उनके पास कोई प्रतिबंधित पदार्थ नहीं पाया गया था और न ही खपत का कोई सबूत था.

द टेलीग्राफ उन कुछ अंग्रेजी दैनिकों में से एक था जिसमें किसानों की मौत पर प्रकाश डाला गया था, जबकि एनसीबी छापे का उल्लेख केवल चौथे पृष्ठ में हुआ था.

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