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एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार कवि और सोशल एक्टिविस्ट वरवर राव हाल ही में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. जेल में ही उन्हें कोरोना हो गया था. जिसके बाद मेडिकल आधार पर उन्हें जमानत की मांग उठ रही थी, लेकिन एनआईए लगातार इसका विरोध कर रही है. वरवर राव की तरफ से कोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई थी, जिसके खिलाफ एनआईए ने एक एफिडेविट फाइल किया है, जिसमें कहा गया है कि वरवर राव कोरोना वायरस और अपनी उम्र का नाजायज फायदा उठाकर जमानत लेना चाहते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए ने अपने एफिडेविट में वरवर राव को किसी भी हालत में जमानत दिए जाने का विरोध किया है. एनआईए ने आगे कहा कि,
इसके अलावा एनआईए ने कोर्ट में ये भी बताया कि वरवर राव को समय रहते सभी स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गईं. एनआईए ने पुराने मामलों का भी जिक्र करते हुए कहा कि मई में भी वरवर राव की तबीयत खराब हुई थी, तब भी उन्हें जेजे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद वो ठीक होकर वापस लौटे थे.
राव ने 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. बता दें कि वरवर राव की जेल में अचानक तबीयत बिगड़ी थी. जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल लाया गया और उनका कोरोना टेस्ट हुआ. कोरोना टेस्ट होने के बाद वो पॉजिटिव पाए गए, जिसके आधार पर उन्होंने कोर्ट से जमानत मांगी है.
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में एनआईए और महाराष्ट्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने पूछा था कि क्या 80 साल के वरवर राव से उनके परिवार के सदस्य एक उचित दूरी बनाते हुए मिल सकते हैं? अब इस जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होनी है.
इससे पहले ऐसी खबरें भी आई थीं कि वरवर राव की जेल में मौत हो चुकी है. लेकिन इन खबरों के ठीक बाद 12 जुलाई को राव के परिवार ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उनकी मौत की अफवाहों को खारिज किया. परिवार ने बताया कि वरवरा राव जिंदा हैं और ‘लड़’ रहे हैं. परिवार ने कहा कि वो उनकी बिगड़ती तबीयत की वजह से चिंता में है. उनकी बेटी पी पवन ने कहा, "काफी समय से वो बीमार चल रहे हैं, हालांकि हाल ही में टेलीफोन पर हुई बातचीत से समझ आया कि उनका स्वास्थ्य अस्थिर है."
जेल अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए वरवरा राव के परिवार ने मांग की थी कि सरकार उन्हें किसी बेहतर अस्पताल में शिफ्ट करे या अच्छी मेडिकल सुविधा दे.
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