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निक्की यादव हत्याकांड के बाद मित्राऊं गांव के कई शादीशुदा जोड़े खौफजदा

प्यार करना कोई जुर्म नहीं, लेकिन मित्राऊं गांव में है, अगर लड़का-लड़की अलग जाति के हों

हिमांशी दहिया
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>दस साल बाद, मित्राऊं गांव साहिल गहलोत की वजह से सुर्खियों में आया</p></div>
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दस साल बाद, मित्राऊं गांव साहिल गहलोत की वजह से सुर्खियों में आया

(Illustration: Aroop Mishra/The Quint)

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2013 की बात है. श्याम* और ज्योति* के लिए यह पहली नजर का प्यार था. उस समय वे दोनों बीसेक साल के थे. दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ के मेन सिटी मार्केट में एक स्टॉल पर चॉकलेट आइसक्रीम का एक कोन था, और वे दोनों उसके दावेदार थे.

“आइसक्रीम नहीं मिली, लेकिन ये मिल गई.” अपनी दोनों की पुरानी तस्वीर देखते हुए श्याम कहता है. इस बात को करीब दस साल हो गए हैं. अब श्याम की उम्र 32 साल है.  

मार्च की खुशनुमा दुपहरी में नजफगढ़ के मित्राऊं गांव में दोनों अपना अफसाना सुनाते हैं. यकीनन, यह वही गांव है जहां कुछ दिनों पहले 23 साल की निक्की यादव का मृत शरीर एक ढाबे के फ्रिज में मिला था.

29 साल की ज्योति याद करती है, “हम कई बार मिले- आइसक्रीम खाने के लिए. एक ही बस से घर लौटे, लेकिन श्याम मित्राऊं पहुंचने से एक स्टॉप पहले उतर जाता.”

दो महीने बाद ज्योति और श्याम घर से भाग निकले और शादी कर ली. इसके बाद तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. आखिर, श्याम, जोकि एक जाट है, ने ज्योति, एक सुनार से ब्याह रचाया था. श्याम के परिवार को यह रास नहीं आया.

एक दूसरे से मिलने के दो महीने बाद ज्योति और श्याम ने अपने अपने घर से भागकर शादी कर ली.

(इलेस्ट्रेशन- अरूप मिश्रा/द क्विंट)

“जब हमारी शादी की बात पता चली, इनके घर वाले लाठी, गोली लेकर हमें मारने आ गए थे.” ज्योति बताती है.

दस साल बाद, मित्राऊं गांव साहिल गहलोत की वजह से सुर्खियों में आया है. साहिल को 10 फरवरी को अपनी पार्टनर निक्की यादव की हत्या करने और उसी दिन किसी दूसरी लड़की से शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.  

दिल्ली पुलिस का दावा है कि साहिल और निक्की ने 2020 में शादी की थी और आरोपी के परिवार को उनकी शादी के बारे में मालूम था, लेकिन वे लोग “उस पर दबाव बना रहे थे कि वह दूसरी शादी कर ले- क्योंकि निक्की एक अलग जाति की लड़की थी.” दूसरी लड़की से शादी करने से कुछ घंटे पहले ही साहिल ने कथित रूप से निक्की की हत्या की थी.  

ज्योति और श्याम और अन्य जोड़ों की कहानियां, जिनसे द क्विंट ने बात की, मित्राऊं गांव के साथ जुड़ी हुई हैं. यहां इस मामले के सामने आने के बाद जातिगत दूरियां पहले से भी कहीं ज्यादा गहरी हो गई हैं. यह उस गांव और उन जोड़ों की कहानी है, जिनकी नियति निक्की और साहिल से कुछ अलग है.

मित्राऊं में आपका स्वागत है

नजफगढ़ में स्थित मित्राऊं दिल्ली के बाहरी इलाके और हरियाणा की सीमा पर है. मित्राऊं में गहलोत एक प्रभावशाली जाति है. यह कई-कई एकड़ जमीन के मालिक अमीर किसानों, उच्च और मध्यम वर्ग के जाट परिवारों का गांव है.

2011 की जनगणना के मुताबिक, इस गांव की आबादी 6,512 है.  

जहां से गांव शुरू होता है, वहां एक मिठाई की दुकान पर बैठे 83 साल के पूरन मल गहलोत कहते हैं, “आजकल बच्चे अपने मन की करते हैं. मां-बाप की कोई नहीं सुनता. गांव में काफी दूसरे कास्ट से शादी हुई है. ऐसे भी घर हैं जहां जाट के लड़के ने दलित की लड़की से शादी कर रखी है.” पूरन मल अपने हुक्के को पास में बैठे एक दूसरे शख्स को पकड़ाते हुए कहते हैं.

83 साल के पूरन मल गहलोत गांव की शुरुआत में एक मिठाई की दुकान पर बैठे हैं.

(अरूप मिश्रा/द क्विंट)

निक्की यादव की हत्या की गुत्थी

10 फरवरी को उसी गांव के 24 साल के साहिल ने अपने फोन के चार्जिंग केबल से कथित रूप से अपनी लिव-इन-पार्टनर निक्की का गला घोंटा और परिवार के ढाबे के फ्रिज में उसके शरीर को छिपा दिया.

दिल्ली पुलिस ने बाद में आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान साहिल ने कहा कि निक्की उसकी बीवी थी, न कि उसकी लिव-इन पार्टनर.

उसी दिन बाद में साहिल ने दूसरी लड़की से शादी कर ली.

ज्योति और श्याम की ही तरह साहिल और निक्की भी इंटर-कास्ट कपल थे और उनकी कहानी भी बस में शुरू हुई थी. पुलिस के मुताबिक, साहिल ने बताया था कि निक्की से उसकी मुलाकात 2018 में एक बस में हुई थी, जब वे दोनों द्वारका जा रहे थे. उस समय साहिल स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) के इम्तिहान की तैयारी कर रहा था, और निक्की मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की.

कथित हत्या की खबर सुर्खियों में आने के कुछ दिनों बाद विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने दावा किया, "लगातार पूछताछ के बाद साहिल ने खुलासा किया कि निक्की उसे दूसरी लड़की से शादी करने से रोक रही थी. क्योंकि ग्रेटर नोएडा के एक आर्य समाज मंदिर में दोनों ने 2020 में शादी की थी."

पुलिस सूत्रों ने द क्विंट से यह भी कहा था कि उनके पास "यह साबित करने के लिए मजबूत दस्तावेजी सबूत हैं कि साहिल के परिवार को उनकी शादी के बारे में पता था और उन्होंने इसका विरोध किया था."

नाम न छापने की शर्त पर दिल्ली पुलिस के एक सीनियर ऑफिसर ने आरोप लगाया कि साहिल के परिवार ने निक्की को स्वीकार नहीं किया था क्योंकि वह दूसरी "जाति" की थी.

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मित्राऊं में जातिगत भेदभाव और गैंग वार

खेतिहर जमीन के अलावा मित्राऊं अपनी गिरोहबाजी और हिंसा के लिए जाना जाता है. 1989 से मित्राऊं और उससे दो किलोमीटर दूर दिचाऊं कलां- जोकि एक जाट बहुल गांव है- के बाशिंदों ने बहुत बुरे गैंग वार की तकलीफें झेली हैं.

45 साल के यशवंत गहलोत कहते हैं, "गांव की बदनामी के कारण लोगों के लिए अपने बच्चों की शादी करना मुश्किल हो रहा है. वे सही जोड़ा नहीं ढूंढ पाते." गांव के पूर्व प्रधान के बेटे यशवंत कपड़े की दुकान चलाते हैं.

वह कहते हैं, "यह मुश्किल तब बढ़ जाती है, जब गांव के लड़कों के लिए लड़कियां ढूंढनी हो. हिंसा के लिए कुख्यात गांव में कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता है."

ऐसी हालत में कई परिवार हरियाणा चले जाते हैं, जहां दुल्हन खरीद की परंपरा है.

ज्योति द क्विंट से बातचीत में इस बात का तुरंत जिक्र करती है.

"वैसे तो ये लोग जाति के पीछे हमें जान से मारने चले थे, लेकिन इस गांव में ऐसे बहुत से घर हैं जहां बहुओं को खरीद कर लाया गया है. वो भी दूसरी जातियों की ही हैं.''-ज्योति आरोप लगाती है.

मित्राऊं गांव में कई परिवारों ने इंटर कास्ट शादियां कराई हैं क्योंकि अपनी जाति में उन्हें दुल्हनें नहीं मिलीं.

(अरूप मिश्रा/द क्विंट)

द क्विंट ऐसी ही एक दुल्हन स्वाति* से मिला. 2011 में उसकी उम्र 21 साल की थी. महेश* से शादी हुई, जिसकी उम्र उस समय लगभग 40 साल थी. “उनकी भी इंटर कास्ट शादी थी लेकिन किसी ने ऐतराज नहीं जताया...वह उसकी तीसरी बीवी थी.” बुजुर्ग पड़ोसन साविता देवी कहती हैं.  

सविता कहती है कि महेश की पहली बीवी की शादी के कुछ साल बाद मौत हो गई. “दूसरी बीवी के बच्चे नहीं हुए तो सुसाइड से उसकी मौत हो गई. इसके बाद महेश के परिवार ने स्वाति से उसकी शादी कर दी.”

उन लोगों ने बंदूकों और लाठियों के साथ हमारा पीछा किया

चौड़ी सड़कों, बड़े घरों और हरे भरे खेतों वाले मित्राऊं गांव में श्याम और ज्योति का प्यार परवान नहीं चढ़ पाया. श्याम के परिवार ने लाठियां और बंदूकों के साथ उन दोनों का पीछा किया. दोनों को करीब 10 किलोमीटर दूर ज्योति के एक रिश्तेदार के घर इस्सापुर में पनाह लेनी पड़ी. वे दोनों कुछ महीने वहीं रहे.

श्याम कहता है, "आखिरकार हमें पुलिस से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ा."

जैसे ही निक्की की मौत की खबर मिली, ज्योति को एहसास हुआ कि गांव में दस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है. यहां जाति अब भी इतनी अहम है कि कोई जिएगा, या मरेगा, यह जाति से ही तय होगा.  

"दूसरी जाति में शादी करना इतना आसन नहीं है यहां. बच्चे होने के बाद टेंशन थोड़ी कम हुई. आज भी हम सास-ससुर के साथ नहीं रहते. वो हमसे मिलने आते हैं, लेकिन छुपछुप कर. समाज वालों का प्रेशर भी तो है." ज्योति धीमे से कहती है.

कुछ सालों बाद श्याम के परिवार वाले मान गए लेकिन वह और ज्योति अब भी गांव में अलग घर में रहते हैं.

जो लोग बच गए

तमाम दिक्कतों के बावजूद श्याम और ज्योति, स्वाति और महेश, निधि* और राजीव* जैसे इंटर कास्ट कपल्स मित्राऊं में दसियों साल से रहते और प्यार करते आ रहे हैं.

32 साल की निधि ने जब निक्की यादव की हत्या की खबर देखी, तो वह नौ महीने की गर्भवती थी. “सही कहूं तो मुझे हैरानी नहीं हुई. इस गांव में इंटर कास्ट कपल्स के लिए जिंदगी आसान नहीं है... लेकिन हत्या? साहिल को अपने प्यार के लिए मजबूती से खड़ा होना था.” वह कहती है.

निधि पेशे से वकील है. उसने 2015 में एक सरकारी कर्मचारी राजीव से शादी की. “हम दोनों अपने अपने पैरों पर खड़े थे. जब हमने अपने घर वालों को इस रिश्ते के बारे में बताया तो वे राजी हो गए. लेकिन पड़ोसियों ने आफत मचा दी.” वह द क्विंट से कहती है.

निक्की की खबर ने मित्राऊं को खबरों में ला दिया है. इसके बाद से ये कपल्स घबरा गए हैं. अपने लिए नहीं, अपने बच्चों के लिए.

“प्यार करना कोई जुर्म नहीं है. हमने कभी इस बारे में बात नहीं की लेकिन यह उम्मीद जरूर करते हैं कि हमारे बच्चों को वह सब न देखना पड़े, जो हमने देखा, जब हम शादी कर रहे थे. लगता है, समाज बेहतरी के लिए बदलने को तैयार नहीं.” निधि कहती है.

निक्की यादव की मौत के मामले ने इंटर कास्ट कपल्स और उनके परिवारों की यादों को ताजा कर दिया है.

(अरूप मिश्रा/द क्विंट)

श्याम और ज्योति भी इसी बात को लेकर परेशान हैं.

"कल जब मेरा बेटा और बेटी बड़े हो जाएंगे, तो मैं उन्हें कैसे बताऊंगा कि प्यार की भी एक जाति होती है?" श्याम कहता है. ज्योति कहती है, "ये मामले गांव की इज्जत को बट्टा लगते हैं और साथ ही हमें उन भयानक दिनों की यादों को भी ताजा करते हैं, जिनसे हम लगातार भागते रहे हैं."

*पहचान छिपाने के लिए नाम बदल दिए गए हैं

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