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7 साल की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले के चारों दोषियों को आज सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया. जहां एक ओर तिहाड़ के बाहर लोगों ने मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में निर्भया के पैतृक गांव में भी लोगों ने नाच-गाकर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी जताई. इस दौरान ग्रामीणों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली मनाई.
बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र में मेडौला कलां गांव में शुक्रवार तड़के से ही जश्न का माहौल है. 2012 के गैंगरेप केस के बाद से इसे निर्भया के गांव के तौर पर भी जाना जाता है. ये निर्भया का पैतृक गांव है और यहां निर्भया के चाचा, चचेरे दादा और चचेरी बहन समेत अन्य रिश्तेदार रहते हैं. जैसे ही निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर लटकाए जाने की खबर आयी, यहां ग्रामीणों ने ढोल-मंजीरे बजाते हुए और नाचते-गाते हुए जश्न मनाया. उन्होंने मिठाइयां बांटकर खुशी जताई और एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली मनाई.
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई. दिल्ली की तिहाड़ जेल में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी दी गई. इस दौरान तिहाड़ जेल के बाहर कई लोग इकठ्ठा थे, जो मिठाइयां बांटकर खुशी जाता रहे थे.
23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था. निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी, जहां उसे बेहतर इलाज के लिए ले जाया गया था.
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