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कोर्ट में केंद्र- ‘जानबूझकर कानून को हताश कर रहे निर्भया के दोषी’

दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जाने वाली थी

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कोर्ट में केंद्र- ‘जानबूझकर कानून को हताश कर रहे निर्भया के दोषी’
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कोर्ट में केंद्र- ‘जानबूझकर कानून को हताश कर रहे निर्भया के दोषी’
(फाइल फोटो: PTI)

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केंद्र सरकार ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा में अनिश्चितकालीन रोक को 'कानूनी प्रक्रिया में रोक लगाने वाला जानबूझकर, सुनियोजित और सोचा-समझा काम' बताया. सरकार ने मांग करते हुए कहा कि फांसी में बिल्कुल देरी नहीं होनी चाहिए.

केंद्र सरकार ने निर्भया के दोषियों की फांसी टलने पर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

सरकार की तरफ से ये हैं दलीलें

केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीकेंड में स्पेशल कोर्ट सुनवाई के दौरान न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत से कहा, "समाज और पीड़िता के हित में इस मामले में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का भी कहना है कि इससे दोषी पर अमानवीय प्रभाव पड़ेगा इसलिए इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए."

सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में एक चार्ट भी पेश किया, जिसमें चारों दोषियों द्वारा अभी तक अपनाए गए कानूनी उपायों की विस्तृत जानकारी थी. कोर्ट दिसंबर 2012 में मेडिकल की छात्रा के दुष्कर्म और हत्या के दोषियों- विनय, अक्षय, मुकेश और पवन की फांसी पर रोक लगाने वाले सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई कर रहा थी.

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा,

“यह कानूनी प्रक्रिया को विफल करने के लिए जानबूझकर, सुनियोजित और सोची-समझी योजना है. मुकेश ने सामान्य याचिका दायर की जिसे ट्रायल कोर्ट ने गलती से स्वीकार कर लिया. दया का न्याय क्षेत्र व्यक्तिगत है.”

दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जाने वाली थी. मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट में यह तर्क देते हुए एक आवेदन किया कि बाकी दोषियों ने अभी कानूनी उपाय नहीं अपनाए हैं और उन्हें अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती.

फांसी की सजा पाए चारों दोषियों के खिलाफ हमला जारी रखते हुए मेहता ने कहा कि एक सहदोषी अपनी सिर्फ 'गणनात्मक निष्क्रियता' से कोर्ट के आदेश को रोक सकता है.

उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दोषी द्वारा दायर सामान्य अपील गलती से 'दया' याचिका समझ लिया.

दोषियों के वकीलों ने क्या-क्या कहा?

वहीं दिल्ली HC में दोषियों (पवन, अक्षय और विनय) के लिए पेश हुए एडवोकेट एपी सिंह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और संविधान में मौत की सजा को देने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है. सिंह ने कहा कि केवल इसी मामले में जल्दबाजी क्यों हो रही है? जल्दबाजी करना न्याय नहीं है. एपी सिंह का कहना है कि अपराधी गरीब, ग्रामीण और दलित परिवारों से हैं सिर्फ इसलिए दोषियों को कानून में अस्पष्टता का खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए.

दोषी मुकेश की तरफ से बहस कर रही रेबेका जॉन ने कहा कि केंद्र सरकार कल ही क्यों इस मामले में 'जगी' है. इससे पहले क्यों नहीं कुछ किया.रेबेका का कहना है कि संविधान जिंदगी की आखिरी सांस तक विकल्पों को यूज करने की अनुमति देता है.

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मुकेश और विनय के सभी कानूनी हथकंडे खत्म हो चुके हैं. हालांकि अक्षय की दया याचिका अभी राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है. पवन ने अभी तक दया याचिका दायर नहीं की है, जो उसका अंतिम संवैधानिक उपाय है.

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Published: 02 Feb 2020,05:54 PM IST

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