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निर्भया के दोषियों ने फांसी के पहले आखिरी पलों में क्या-क्या किया?

निर्भया के गुनहगारों को आज आखिर फांसी हो गई.

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निर्भया के गुनहगारों को आज आखिर फांसी हो गई.
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निर्भया के गुनहगारों को आज आखिर फांसी हो गई.
(फोटो Altered by the quint )

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निर्भया के गुनहगारों को आज आखिर फांसी हो गई. 7 साल तक चली लंबी कानूनी के लड़ाई के बाद निर्भया को इंसाफ मिला है. फांसी के पहले आखिरी रात को निर्भया के दोषियों के लिए काफी बेचैनी भरी रात थी. चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने अपनी फांसी से पहले की रात बेचैनी में गुजारी. चारों ने शुक्रवार तड़के उठकर अपनी फांसी का इंतजार किया और वे इस दौरान एक दूसरे से मिलना चाहते थे, लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी.

तिहाड़ जेल के डीजी ने बताया है कि आखिर चारों दोषियों ने फांसी से पहले क्या किया.

मुकेश और विनय ने रात को खाना खाया था,अक्षय ने सिर्फ चाय पी, विनय थोड़ा रोया था, लेकिन चारों शांत थे. उन्हें लगातार कोर्ट के आदेशों की जानकारी दी जा रही थी. अगर उनके परिवार मांगते हैं तो उनके शव उन्हें सौंप दिए जाएंगे,वरना उनका अंतिम संस्कार करना हमारा कर्तव्य है.
डीजीपी

रात 12 बजे मेरठ से बुलाए गए पवन जल्लाद को पहली बार चारों दोषियों को देखने की इजाजत दी गई, जिन्हें उसे कुछ घंटों बाद फांसी देनी थी. रात के करीब 1 बजे अक्षय ने मुकेश से मिलने की इच्छा जताई जिसकी इजाजत हेड वार्डन की ओर से उसे नहीं दी गई. जेल के आगे से गुजर रहे पवन जल्लाद की एक झलक उसने देखी और पूछा कि यहां आया यह नया व्यक्ति कौन है? हेड वार्डन ने उसे बताया कि वह स्टाफ का ही अन्य कर्मचारी है.

सूत्रों के मुताबिक सुबह 4 बजे सहायक जेलर ने सभी चारों दोषियों को नहाकर तैयार होने के लिए कहा, लेकिन विनय ने मना कर दिया, 4.15 मिनट पर उन्हें अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना करने की इजाजत दी गई, लेकिन किसी ने भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद चारों को अंतिम बार नाश्ता दिया गया. करीब 4.30 बजे फांसी घर तक जाने के लिए उन्हें कहा गया.

चारों दोषियों का मेडिकल चेकअप किया गया, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई की वे सजा के लिए पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. इस बीच, फांसी को रोकने या टालने से संबंधित किसी प्रकार का कोई पत्र या नोटिस तो नहीं आया है, जेल अधीक्षक ने अंतिम बार इसकी जांच की. हालांकि, जेल अधिकारियों को ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला.

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सुबह 5.20 बजे उनके चेहरे को एक सूती कपड़े से ढंक दिया गया और उनके हाथों को पीठ के पीछे बांध दिया गया. चारों दोषियों को 'फांसी कोठी' में ले जाया गया. इस दौरान किसी भी अन्य कैदी को अपने सेल से बाहर आने की अनुमति नहीं थी.

इसके बाद डीएम ने भी ब्लैक वारंट में हस्ताक्षर किए, जिसके बाद उन्हें फांसी दे दी गई. आधे घंटे तक वे फांसी के फंदे पर लटकते रहे. इसके बाद उन्हें सुबह 6 बजे वापस नीचे उतारा गया और वहां मौजूद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों ने फांसी पर लटकाए जाने से पहले कोई भी आखिरी इच्छा नहीं बताई. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने संबंधित अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है.

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