Home News India निर्भया: 7 साल तक कानूनी लड़ाई और आखिर इस तरह हुई दोषियों को फांसी
निर्भया: 7 साल तक कानूनी लड़ाई और आखिर इस तरह हुई दोषियों को फांसी
निर्भया कांड ने दिल्ली को झकझोर के रख दिया था और पूरे देश में आक्रोश से भर दिया था.
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निर्भया के: दोषियों को फांसी
(फोटो: ट्टिटर)
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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम
निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषियों का आखिर आज फांसी हो ही गई. दरिंदगी की वारदात जो 7 साल पहले निर्भया के साथ हुई थी, जिसने पूरी दिल्ली को झकझोर के रख दिया था और पूरे देश में आक्रोश से भर दिया था. आज गुनहगारों के फांसी पर लटकने के साथ ही खत्म हो गया. वहीं, निर्भया की मां जो इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रही थी अब वह भी खत्म हो चुका है. लेकिन अगर हम इन सात सालों की इस लंबी लड़ाई को देखकर कहा जा सकता है कि निर्भया को इंसाफ मिलने में काफी देर हुई.
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निर्भया के गुनहगारों ने खुद को बचाने के लिए कई पैंतरे आजमाए, न्याय मिलने में लंबा वक्त भी लगा, लेकिन आखिरकार निर्भया को न्याय मिला.
16 दिसंबर 2012 से लेकर 20 मार्च 2020 तक कब क्या हुआ?
16 दिसंबर 2012: रात का वक्त जब 23 साल की पारामेडिकल छात्र निर्भया दिल्ली की एक बस में सफर कर रही थी. इसी दौरान 6 लोगों ने उसके साथ दरिंदगी की और उसे बस से फेंक दिया
17 दिसंबर 2012: मामला सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपियों की पहचान की गई. आरोपियों की पहचान राम सिंह (बस ड्राइवर), मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग के रूप में हुई.
18 दिसंबर 2012: आरोपियों की पहचान के बाद पुलिस ने हर इलाके की सीसीटीवी फुटेज खंगाली और बस की पहचान की गई और उसकी मदद से कुछ आरोपियों को पकड़ लिया गया.
20 दिसंबर 2012: निर्भया बुरी हालत में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी इसी दौरान उसके दोस्त ने इस घटना को लेकर मामला दर्ज कराया साथ ही अपना बयान भी दर्ज कराया.
21 दिसंबर 2012: मामला दर्ज कराने के दूसरे ही दिन नाबालिग आरोपी जो भागने की कोशिश कर रहा था उसे पुलिस ने दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल पर धर दबोचा. इसके बाद मुकेश की पहचान आरोपी के रूप में की गई. वहीं आरोपियों को पकड़ने के लिए बिहार और हरियाणा की पुलिस लगातार छापेमारी कर रही थी.
22 दिसंबर 2012: निर्भया अब भी जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी, तब अस्पताल में एसडीएम के सामने उसका बयान दर्ज किया गया और ट्रायल शुरू कर दिया गया. साथ ही बिहार से अक्षय ठाकुर को गिरफ्तार किया गया और उसे ट्रायल के लिए दिल्ली लाया गया.
23 दिसंबर 2012: अब तक इस घटना की खबर पूरे देश में फैल गई थी और दिल्ली और एनसीआर के लोग निर्भया को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतर चुके थे. लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर बुरी तरह घायल हो गए और उनका इलाज अस्पताल में चल रहा था.
25 दिसंबर 2012: निर्भया की हालत और भी गंभीर हो गई थी. वहीं घायल पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर की इलाज के दौरान मौत हो गई.
26 दिसंबर 2012: निर्भया के इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट का अटैक आया, जिसके बाद उसे बेहतर इलाज के लिए दुबई भेजा गया.
29 दिसंबर 2012: दुबई में डॉक्टरों ने जब उसकी स्थिति देखी तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए थे. लेकिन निर्भया 17 दिनों से लगातार जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी. लेकिन 29 दिसंबर सुबह 2:15 बजे निर्भया जिंदगी और मौत का जंग हार गई और उसने दम तोड़ दिया. इसके साथ ही निर्भया के आरोपियों पर हत्या का मामला भी दर्ज किया गया.
2 जनवरी 2013: निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए देश में इतने प्रदर्शन हो रहे थे कि तब के तब के CJI अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न के मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की शुरुआत की.
3 जनवरी 2013: दिल्ली पुलिस ने 5 बालिग आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जिसमें हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, अप्राकृतिक दुराचार, डकैती के आरोप शामिल थे.
5 जनवरी 2013: पुलिस ने जो चार्जशीट दायर किया था उस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और कार्रवाई को और तेज किया गया.
7 जनवरी 2013: कोर्ट ने कार्यवाही की रिकॉर्डिंग का आदेश दिया.
17 जनवरी 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 5 बालिग आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही शुरु की.
28 जनवरी 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पांचवे आरोपी के नाबालिग होने की पुष्टि की.
2 फरवरी 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों बालिग आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए.
28 फरवरी 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग के खिलाफ आरोप तय किए.
11 मार्च 2013: आरोप तय होने के बाद एक आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह जो उस वक्त तिहाड़ जेल में कैद था उसने आत्महत्या कर ली.
22 मार्च 2013: मीडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट की इजाजत के बाद कोर्ट की कार्यवाही पर रिपोर्टिंग शुरू की
5 जुलाई 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने ट्रायल पूरी की
8 जुलाई 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चश्मदीदों के गवाही की रिकॉर्डिंग पूरी की
11 जुलाई 2013: नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दोषी पाया और फैसला 25 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया.
25 जुलाई 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दोबारा 5 अगस्त तक फैसला टाला, जिसके बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर 'नाबालिग' शब्द के नए सिरे से व्याख्या की मांग की.
31 जुलाई 2013: दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही थी और याचिका पर फैसला होने तक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को कोई भी आदेश देने से मना किया.
5 अगस्त 2013: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 5 अगस्त को अपना फैसला टाल दिया.
14 अगस्त 2013: जुवेनाइल मामले की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
19 अगस्त 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने फिर से फैसला टाला
22 अगस्त 2013: सुप्रीम कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को फैसला सुनाने की इजाजत दी
31 अगस्त 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप का दोषी करार दिया और उसे 3 साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा.
3 सितंबर 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनवाई पूरी की फैसला सुरक्षित रखा.
10 सितंबर 2013: कोर्ट ने 13 मामलों में मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को दोषी ठहराया.
23 सितंबर 2013: दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों को मौत की सजा को लेकर सुनवाई शुरू की.
3 जनवरी 2014: दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा.
13 मार्च 2014: दिल्ली हाईकोर्ट ने 4 दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा.
15 मार्च 2014: दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन मुकेश, पवन के फांसी की सजा को बरकरार रखा, बाद में बाकी आरोपियों की फांसी की सजा भी बरकरार रखा.
15 अप्रैल 2015: सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के मौत से पहले दिए गए बयान को कोर्ट में पेश करने को कहा गया.
3 फरवरी 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो मौत की सजा पर नए सिरे से सुनवाई करेगी.
27 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा.
;5 मई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इसे 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस' करार देते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी
9 जुलाई 2018: मौत की सजा के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
7 जनवरी 2020: दिल्ली कोर्ट ने चारों आरोपियों के लिए डेथ वारंट जारी किया.
9 जनवरी 2020: मौत की सजा पाए आरोपी मुकेश और विनय शर्मा ने पहला क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया.
14 जनवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन खारिज किया, मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी.
17 जनवरी 2020: राष्ट्रपति कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज करने के बाद दिल्ली कोर्ट ने चारों दोषियों के लिए 1 फरवरी, सुबह 6 बजे फांसी दिए जाने का नया डेथ वारंट जारी किया.
20 जनवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ डाली गई पवन की स्पेशल लीव पिटीशन रद्द की, जिसमें उसने दावा किया था कि दिसंबर 2012 में वो नाबालिग था.
29 जनवरी 2020: दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे रद्द कर दिया गया. इसके साथ ही विनय कुमार शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी गई
30 जनवरी 2020: दोषियों के वकील ने 1 फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक की मांग उठाई. सेशन जज ने तिहाड़ से रिपोर्ट मांगी और फांसी पर रोक को लेकर 31 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय की गई. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह की क्यूरेटिव पिटीशन रद्द की
1 फरवरी 2020: फांसी की नई तारीख तय करने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन दिल्ली कोर्ट पहुंची.
5 फरवरी 2020: राष्ट्रपति ने अक्षय की दया याचिका खारिज की.
6 फरवरी 2020: तिहाड़ प्रशासन ने फांसी की नई तारीख मांगी.
7 फरवरी 2020: दिल्ली कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को फांसी की नई तारीख देने से इनकार कर किया.
11 फरवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को डेथ वारंट जारी करने के लिए कोर्ट जाने की मंजूरी दी
17 फरवरी 2020: कोर्ट ने फिर से नया डेथ वारंट जारी कर चारों दोषियों को 3 मार्च सुबह 6 बजे फांसी तय की.
28 फरवरी: दोषी पवन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की.
29 फरवरी 2020: पवन और अक्षय दिल्ली कोर्ट पहुंचे और फांसी पर रोक की मांग की
2 मार्च 2020: सुप्रीम कोर्ट ने पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की और पवन ने राष्ट्रपति को अपनी दया याचिका भेजी. दिल्ली कोर्ट ने फांसी पर रोक लगाई और अगले आदेश तक मामले को टाला गया.
4 मार्च 2020: राष्ट्रपति ने पवन कुमार की दया याचिका खारिज की. अब दोषियों के सारे विकल्प खत्म हो चुके थे. कोर्ट ने चारों दोषियों को नोटिस जारी किया.
5 मार्च 2020: फांसी की सजा के लिए नई तारीख 20 मार्च तय की गई.
16 मार्च 2020: 3 दोषियों ने फांसी की सजा पर रोक के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया.
19 मार्च 2020: पवन की क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज
20 मार्च 2020: निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी पर लटकाया गया.