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क्विंट हिंदी और गूगल के खास कार्यक्रम #BOL में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने खास बातचीत की. गडकरी ने इस मौके पर कहा कि हालात बदल रहे हैं, और इंटरनेट उसका मिरर बनकर उभरा है. देश इनोवेशन, एंटप्रेन्योर, टेक्नोलॉजी के दौर से गुजर रहा है. परिवर्तन जब आता है तो सबको स्वीकार करना ही पड़ता है.
पूरे देश में एक कॉमन भाषा नहीं है, इसलिए सभी भारतीय भाषाएं जरूरी हैं. मोबाइल और इंटरनेट आर्थिक तौर पर सबसे ऊपर और सबसे नीचे के लोगों को जोड़ता है. इंटरनेट में फेक खबरें डालने वालों को रोकना होगा ताकि विश्वसनीयता बढ़े. क्षेत्रीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल दुनिया पहुंचने से बहुत फायदा होगा
हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं को ऑनलाइन दुनिया में कहां देखते हैं?
अभी भी अंग्रेजी का दबदबा है इसमें कोई संदेह नहीं. अंग्रेजी मीडिया में सुनने वालों की तादाद कम है, लेकिन उनकी चर्चा बहुत होती है. दिल्ली-मुंबई में होने की वजह से अंग्रेजी भाषा का रसूख और दबदबा रहता है. अंग्रेजी के इस्तेमाल के मुकाबले दूसरी भाषाओं के बीच कई गुना का फर्क है. अंग्रेजी भाषा के शब्द हिंदी में भी रच बस गए हैं. मैं विदेश में जाकर जहां मौका मिलता है वहां हिंदी बोलता हूं. हेल्थ, एग्रीकल्चर, डेवलपमेंट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का जरिया बनेंगी भारतीय भाषाएं. टेक्नोलॉजी के प्रसार को जिम्मेदारी से करना होगा ताकि इसकी बुराइयां रोकी जा सकें. लोकतांत्रिक देश होने के नाते सबको अधिकार हैं, पर किसी को बेवजह बदनाम करने से बड़ा नुकसान होता है. साइबर सेल को अपग्रेड करना होगा, गलत काम करने वालों पर तेजी से लगाम लगानी होगी ताकि कानून व्यवस्था को बिगड़ने से बचाना होगा. - नितिन गडकरी
हम टेक्नोलॉजी कॉपी कर लेते हैं, नई टेक्नोलॉजी और देसी इनोवेशन में बड़ा काम नहीं किया है. भारतीय एंटरप्रेन्योर के लिए दरवाजे पूरे तरह क्यों नहीं खोले हैं?
कोई भी परफेक्ट नहीं है, कोई दावा भी नहीं कर सकता कि वो परफेक्ट है. अच्छाई का पेटेंट किसी ने लिया नहीं है. अच्छाई दूसरे के पास है तो उसे अपनाना चाहिए. अमेरिका में कोई बात अच्छी है या पाकिस्तान में कोई अच्छी बात है तो उसे स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए. दुनिया में जो चीज अच्छी है उसे अपनाने में संकोच नहीं करना चाहिए. पॉजिटिविटी इसी से आती है. देश के योग और आयुर्वेद को दुनियाभर में फैलाया जा सकता है क्योंकि उसकी डिमांड बहुत है
रुपया को नीचे जाने से कैसे रोका जाए. इंपोर्ट पर कैसे लगाम लगेगी
पीएम को इंपोर्ट सब्सिटीट्यूट इकोनॉमी बनाने की सलाह दी है, जो चीज इस साल इंपोर्ट हो रही है वो अगले साल ना हो और देश उसका विकल्प तैयार करे ऐसा होना चाहिए. गैर जरूरी चीज इंपोर्ट कम से कम होना चाहिए. सरकार ऐसे लोगों को बढ़ावा दे जिससे देश में ही प्रोडक्शन बढ़े.
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