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बिहार(Bihar) में शराबबंदी के कानून में बदलाव को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है. विपक्ष भी सरकार पर लगातार दबाव बना रहा था कि इस कानून में बदलाव किए जाएं. 2016 में इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में कई ऐसी घटनाएं हुई जिनमें कई लोगों ने अपनी जान तक गवां दी. अब नालंदा में जहरीली शराब से मौत की घटना ने एक बार फिर सियासत को गरमा दिया है.
खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के शराबबंदी कानून को अदूरदर्शी बताने वाली टिप्पणी के बाद अब बिहार सरकार इसमें संशोधन करने पर विचार कर रही है. आगामी बजट सेशन में राज्य सरकार शराबबंदी कानून संशोधन बिल विधानसभा में पेश कर सकती है.
अगर कोई व्यक्ति शराब पीते हुए कहीं पकड़ा जाता है तो पुलिस या मध निषेध विभाग के अधिकारी उसे ऑन द स्पॉट फैसला कर छोड़ सकते हैं
बार-बार शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर जेल भेजने का प्रावधान है
अगर कोई गाड़ी शराब के धंधे में लिप्त पकड़ी जाती है तो उसे सिर्फ जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाए.
शराब बंदी कानून से जुड़े लाखों मामले जल्द से जल्द निपटाने के लिए जिलों में न्यायालय की संख्या बढ़ाने पर भी विचार.
नए प्रावधान के मुताबिक शराब बनाने और बेचने वालों पर पहले की तरह सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.
इससे पहले 2018 में भी शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया था. शराब पीकर पकड़े जाने वाले व्यक्ति को उस वक्त जमानत की सुविधा दी गई थी. तब थाने से ही जुर्माना देकर छोड़ने का प्रावधान किया गया था.
बता दें कि बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके तहत शराब बेचने और खरीदने पर प्रतिबंध है, इसका उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में अभी 30 से 40 प्रतिशत केस शराब पीने वालों के खिलाफ दर्ज हैं.
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