Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019झारखंड में PM ने जिन 3 कॉलेजों का किया था उद्घाटन, वहां दाखिले बंद

झारखंड में PM ने जिन 3 कॉलेजों का किया था उद्घाटन, वहां दाखिले बंद

सस्ता इलाज पाने का सपना टूटा और सैकड़ों छात्रों का डॉक्टर बनने का ख्वाब

मोहम्मद सरताज आलम
भारत
Updated:
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल
i
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल
(क्विंट हिंदी)

advertisement

2019 में पीएम मोदी ने 17 फरवरी, 2019 को झारखंड में जिन तीन मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया था, उनमें अब नए सेशन के लिए एडमिशन नहीं हो रहा है. नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने इन कॉलेजों में सुविधाओं और फैकल्टी की कमी का हवाला देते हुए एडमिशन पर रोक लगा दी है.

इस रोक से न सिर्फ झारखंड में पहले से लचर मेडिकल सिस्टम को तगड़ा झटका लगा है, बल्कि NEET 2020 में पास कई छात्रों की भविष्य लटक गया है.

2019-20 सेशन के लिए झारखंड के 6 मेडिकल कॉलेज में MBBS की 580 सीटों पर दाखिला हुआ. लेकिन 2020-21 के लिए सिर्फ 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 355 सीटों पर दाखिले हो रहे हैं. ये हैं MGM कॉलेज जमशेदपुर (100 सीट), रिम्स,रांची (180 सीट) और PMCH, धनबाद (50 सीट). इसके साथ ही एक प्राइवेट कॉलेज है मनिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर (25 सीट). वजह ये है कि हजारीबाग, दुमका एवं पलामू के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले पर NMC ने रोक लगा दी है.
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज को लिखी NMC की चिट्ठी(क्विंट हिंदी)
“अफसोस यह है कि 2020-2021 में झारखंड के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज की 680 MBBS सीटें दिखाकर NEET की परीक्षा ली गई. जब परीक्षाफल घोषित हुआ, तो अचानक NMC ने तीन नए मेडिकल कॉलेजों में एडमीशन रोक दिया. मेरे बेटे को NEET परीक्षा में 568 नंबर मिले, उसके बावजूद उसे एडमीशन नहीं मिला. यदि मेरा बेटा देश के दूसरे राज्यों में जन्मा होता, तो उसे MBBS में दाखिला मिल जाता. हिमाचल प्रदेश व तिलंगाना में 505 अंक तक एडमीशन मिले हैं. लेकिन झारखण्ड में चीटिंग हुई, अब हम न्याय के लिए कहां जाएं?’
चन्द्रशेखरम ,अभिभावक, गिरिडीह

चन्द्रशेखरम आगे कहते हैं कि झारखण्ड में एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मनिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज खुला है. जो सिर्फ अमीरों के लिए खुला है. गरीब झारखण्डवासियों के लिए नहीं. क्योंकि 11 लाख रुपए प्रति वर्ष फीस आम झारखण्ड वासी कहां से देंगे? कमाल यह है कि मनिपाल के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज जिन दूसरे राज्यों में हैं, वहां चार लाख वार्षिक फीस ली जा रही है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
“मैंने NEET परीक्षा में 675 अंक हासिल किए. झारखंड में 603 अंक तक दाखिला हुआ. अब बताइए मैं क्या करूं? चौथी काउंसिलिंग शुरु होने वाली है. लेकिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मनिपाल-टाटा को छोड़ कर कहीं सीट खाली नहीं है. वहां एडमीशन नहीं ले सकता, इतनी फीस कहां से लाऊंगा. यदि नए कॉलेज में पिछले साल पढ़ाई हुई, तो इस साल क्यों नहीं? यदि इस साल भी यहां पढ़ाई होती, तो मुझ जैसे झारखंड के अनेक छात्रों का भला होता. अब अगले साल के लिए फिर तैयारी करूंगा, लेकिन हताश हूं कि अगर अगले साल फिर ऐसा ही हुआ, तब क्या करूंगा.”
अभिषेक कुमार, छात्र, जमशेदपुर

एडमिशन पर रोक तीनों मेडिकल कॉलेजों की लचर हालत के कारण लगी है. इनमें से एक हजारीबाग मेडिकल कॉलेज की हालत देखिए. जिस मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करने दिल्ली से पीएम आए, उसके नाम पर इलाज वहां से डेढ़ दो किलोमीटर दूर एक अस्पताल में होता है. इस अस्पताल को अब हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल नाम दे दिया गया है. लेकिन ये अस्पताल दशकों से वहां मौजूद है. पहले इसका नाम था - हजारीबाग सदर अस्पताल.

हजारीबाग में मेडिकल अस्पताल का उद्घाटन हो गया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ. इस बीच आज भी हर दूसरी बीमारी के लिए हजारीबाग जैसे बड़े जिले के लोग रांची भागने को मजबूर हैं. कुछ वक्त पर पहुंच पाते हैं, कुछ नहीं.

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल बताते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब सिर्फ बिल्डिंग नहीं है. इसके साथ इंस्ट्रूमेंट, इक्विपमेंट, लैब चाहिए. फैकल्टी भी मसला है, MCI के अनुसार हमारे यहां 30% फैकल्टी की कमी है. पिछले साल जब तीन कॉलेज शुरु हुए तो जमशेदपुर, रांची और धनबाद के मेडिकल कॉलेज से फैकल्टी ट्रांसफर कर यहां भेजी गईं. इसका कारण सरकार बता सकती है.

दशकों पुराना हजारीबाग सदर अस्पताल, जिसे अब मेडिकल कॉलेज नाम दे दिया गया है(क्विंट हिंदी)
मुझे जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर दिया गया, मैं उसके अनुसार कॉलेज चला रहा हूं. सदर अस्पताल को अपग्रेड किया गया मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के तौर पर. लेकिन NMC के हिसाब से जो चीजें चाहिए, वह तो हैं नहीं. पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट की पहल पर कॉलेज शुरू हुआ. लेकिन कोरोना की वजह से अस्पताल को जो बेसिक जरूरत है वह पूरी नहीं हो सकी.”
डॉक्टर एस.के. सिंह, प्रिंसपल, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज

CM हेमंत सोरेन ने NMC अध्यक्ष को लिखा पत्र

5 नवम्बर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों में दाखिल न रोकने की गुजारिश करते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष को पत्र लिखा. पत्र के अनुसार मुख्यमंत्री ने NMC को बताया कि लॉकडाउन की वजह से इन कॉलेजों में आधारभूत संरचना समेत कुछ कार्य होने बाकी हैं. लेकिन राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज की जरूरतों और कॉउन्सिल के नॉर्म्स को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, जिससे आदिवासी बहुल इस राज्य के छात्रों की उम्मीद व्यर्थ न जाएं.

NMC को लिखी सीएम हेमंत सोरेन की चिट्ठीक्विंट हिंदी
तीनों मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर हमने माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी से बात की है. माननीय मुख्यमंत्री जी से भी बात की गई. मुख्यमंत्री जी ने पत्राचार किया. तीन कॉलेजों में 86 लोगों की पोस्टिंग की गई है. लेकिन यह दुखद है कि हमारे तीन सौ बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया. यह जरूरी नहीं कि देश और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो. इसलिए कोई भी सरकार हो वह फेडरल गवर्नमेंट होती है और लोकहित के मुद्दे पर सरकारों में वैचारिक मतअंतर नहीं होते. अब केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए.
बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री, झारखंड

2019-20 सत्र में भी SC के आदेश पर हुए थे दाखिले

झारखंड के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज MGM, जमशेदपुर, रिम्स, रांची और PMCH, धनबाद में कई दशकों से MBBS की शिक्षा दी जा रही है.

इस दौरान न सीट बढ़ीं, न ही नए मेडिकल कॉलेज खुले. लेकिन 17 फरवरी 2019 को झारखंड की रघुवर सरकार के दौरान तीन नए मेडिकल कॉलेज हजारीबाग, पलामू तथा दुमका का उदघाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया.

लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने तीनों मेडिकल कॉलेजों में कई कमियां गिनाते हुए मान्यता देने से इन्कार कर दिया था. तब तत्कालीन राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. जहां सुनवाई के बाद सत्र 2019-29 के लिए तीनों नए मेडिकल कॉलेज की 300 सीटों पर नामांकन लेने की अनुमति मिली. उस बैच की पढ़ाई आज भी चल रही है.

“जो हालत झारखंड के तीन नए मेडिकल कॉलेजों की है, वही हालत देश के दूसरे राज्यों के अन्य कॉलेजों की भी हैं, लेकिन दूसरे राज्यों के कॉलेज चल रहे हैं. फिर झारखंड के छात्रों के साथ अन्याय क्यों? हम CM हेमंत सोरेन से मिले. उन्होंने कहा हम NMC को पत्र लिखेंगे. हमने CM साहब से अनुरोध किया कि चिट्ठी मत लिखिए, इससे कुछ नहीं होगा. पिछली सरकार की तरह आप भी सुप्रीम कोर्ट जाइए, झारखंड के 300 छात्रों का भला हो जाएगा.
अशोक कुमार गुप्ता, अभिभावक

ये मजाक नहीं तो और क्या है? 2019 में 'पीएम झारखंड में तीन नए मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन' नाम से सुर्खियां सजी थीं. नेताओं ने वाहवाही लूटी थी. लेकिन 'लाइट, कैमरा, एक्शन' खत्म होते ही सरकारी अमला इन मेडिकल कॉलेजों को जैसे भूल गया. इन तीन जिलों और आसपास के लोगों का सस्ता और सुलभ इलाज पाने का सपना टूटा और सैकड़ों छात्रों का डॉक्टर बनने का ख्वाब.

पढ़ें ये भी: 76% कोविड मरीज 6 माह बाद भी किसी न किसी समस्या से परेशान-स्टडी

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 09 Jan 2021,05:02 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT