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BOL | सरकार भाषाओं की कोडिंग के काम को दे तरजीह-राघव बहल

डिजिटल मार्केट के लिए टीवी बाजार के इतिहास में कई सबक छिपे हैं.

क्विंट हिंदी
भारत
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क्विंट हिंदी और गूगल के खास कार्यक्रम, BOL: Love Your भाषा में क्विंटिलियन मीडिया के फाउंडर राघव बहल और गूगल के वाइस प्रेसिडेंट, राजन आनंदन
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क्विंट हिंदी और गूगल के खास कार्यक्रम, BOL: Love Your भाषा में क्विंटिलियन मीडिया के फाउंडर राघव बहल और गूगल के वाइस प्रेसिडेंट, राजन आनंदन
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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क्विंट हिंदी और गूगल के खास कार्यक्रम, BOL: Love Your भाषा में क्विंटिलियन मीडिया के फाउंडर राघव बहल और गूगल के वाइस प्रेसिडेंट, राजन आनंदन के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.

इस मौके पर राघव बहल ने कहा कि “ये अच्छी बात है कि डिजिटल मार्केट में सरकार का दखल नहीं है.”

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उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि टीवी बाजार के इतिहास में कई सबक छिपे हैं. जब टीवी भारत में आया था, तो लोगों को लगा कि 2 ही भाषाएं अंग्रेजी या हिंदी के 4-5 चैनल होंगे. लेकिन 10 सालों में ही टीवी में रीजनल चैनलों का दबदबा छा गया. कई भाषाओं में चैनलें आईं.

उनका मानना है कि भारतीय कारोबारी जोखिम लेना जानते हैं. इसलिए जैसे ही मौका मिलता है लोग आते हैं, फंडिंग भी आती है. डिजिटल मार्केट अगर सरकार की दखल से दूर रहेगा और काम का माहौल अच्छा मिले तो ये आसानी से फल-फूल सकता है. वहीं, सरकार को सिर्फ भाषाओं की कोडिंग के काम को तरजीह देनी चाहिए.

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