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भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को इकनॉमिक्स का नोबेल अवॉर्ड मिला है. उन्हें ये अवॉर्ड फ्रांस की एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ साझा तौर से दिया गया है. उन्हें अवॉर्ड मिलने से उनके परिवार में काफी खुशी है. उनकी मां निर्मला बनर्जी ने अभिजीत के बचपन से लेकर उनके दोस्तों तक के बारे में क्विंट से बातचीत की.
निर्मला बनर्जी ने बताया कि अभिजीत और अमर्त्य के बीच काफी प्यार है. उन्होंने कहा, 'अमर्त्य की पत्नी, अभिजीत और एस्थर को काफी पसंद करती हैं और अक्सर उनके घर भी जाया करती हैं. उनमें काफी अच्छा रिश्ता है... अमर्त्य तब से अभिजीत को जानते हैं जब वो डेढ़ या ढाई साल का था. हम तब बर्कले में रहते थे. अभिजीत के पिता, दीपक, बर्कले में एक फेलो के तौर पर गए थे, और अमर्त्य भी वहां थे. हमारे परिवार तब आपस में मिला करते थे.'
अभिजीत के बचपन को याद करते हुए निर्मला बनर्जी ने बताया कि वो स्कूल में टॉप स्टूडेंट नहीं थे, लेकिन उन्हें कई चीजों में इंट्रेस्ट था.
उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें बेटे के नोबेल जीतने की खबर अभिजीत से नहीं, बल्कि छोटे बेटे से मिली. 'मेरे बड़े बेटे ने मुझसे अभी तक बात नहीं की है.'
जब उनसे ये पूछा गया कि अभिजीत से बात करने पर वो उन्हें क्या कहेंगी, निर्मला बनर्जी ने कहा, 'मैं कहूंगी कि तुमने नोटिस (नोबेल प्राइज के बारे में) पहले क्यों नहीं दिया...'
जहां हर तरफ अभिजीत के नोबेल जीतने के चर्चे हो रहे हैं, वहीं निर्मला बनर्जी ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बेटा ये अवॉर्ड जीतेगा.
58 साल के अभिजीत विनायक बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिर्वसिटी (JNU) से पढ़ाई की है. अभिजीत ने साल 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. फिलहाल, वो मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं.
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