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दिल्ली पुलिस ने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित जो चार्जशीट दाखिल की हैं, उसमें पुलिस ने फरवरी में हुई इस हिंसा के साथ-साथ इस हिंसा से पहले का कथित 'क्रोनोलॉजी' या 'घटनाक्रम' पर भी फोकस किया है. उदाहरण के लिए पिछले हफ्ते आईबी के अफसर अंकित शर्मा की हत्या के मामले में दायर हुई चार्जशीट में पुलिस ने 1500 शब्दों का एक सेक्शन 'क्रोनोलॉजी' पर शामिल किया था.
इस सेक्शन का टाइटल पुलिस ने दिया था - 'नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में दंगों से पहले का घटनाक्रम" था. ऐसा लगता है कि इस क्रोनोलॉजी के जरिए पुलिस वो आधार तैयार कर रही है, जिस पर उसकी पूरी जांच आधारित है. और ये आधार लगभग साफ सा दिखता है. पुलिस शायद मान रही है कि दंगे एक साजिश के तहत हुए थे. साजिश एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों के एक सेक्शन ने की थी और दूसरी तरफ से कोई भी हिंसा इसका बदला था.
इसकी बजाय पुलिस की 'क्रोनोलॉजी' 22 और 23 फरवरी को एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों के रोड ब्लॉक करने से सीधे हिंसा भड़कने पर पहुंच जाती है. पुलिस मिश्रा की मौजपुर में दी गई स्पीच को पूरी तरह अनदेखा कर रही है. दिल्ली दंगों में मौजपुर सांप्रदायिक हिंसा का एक केंद्र बन गया था.
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में दिल्ली हिंसा से पहले का जो घटनाक्रम बताया है, वो कुछ इस तरह है:
अब आता है अहम हिस्सा, जिसमें पुलिस ने 23 फरवरी की घटनाओं को बताया है. वो दिन जब कपिल मिश्रा ने स्पीच दी थी और हिंसा भड़की थी.
चार्जशीट में 23 फरवरी की घटनाओं को चार पॉइंट में कवर किया गया है. नीचे चार्जशीट में उस दिन के बारे में बताई गई बातें हैं:
"इसके बाद जाफराबाद और कर्दमपुरी के सभी निवासी (जो मेट्रो स्टेशन के ब्लॉकेज को सपोर्ट कर रहे थे) हजारों की संख्या में इकट्ठे हुए और 66-फुट रोड रोड और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन दोबारा खुलवाने की मांग कर रही भीड़ पर दोनों तरफ से पत्थरबाजी शुरू कर दी. पुलिस ने हस्तक्षेप किया और दोनों तरफ की भीड़ को आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज के जरिए हटाया."
"हालांकि स्थिति नाजुक बनी रही और तनाव वेलकम, जाफराबाद, दयालपुर, उस्मानपुर, भजनपुरा, गोकलपुरी और खजूरी खास जैसे इलाकों तक फैल गया. शेरपुर चौक और चांदबाग एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों के पत्थरबाजी करने की घटनाएं भी रिपोर्ट हुईं."
"इसके अलावा 23.02.2020 को दोपहर 12.29 बजे जानकारी मिली कि कुछ एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों ने यमुना विहार में बी-ब्लॉक की रोड को ब्लॉक कर दिया है. ये भी पता चला कि चांदबाग के करीब वजीराबाद स्लिप रोड पर बैठे एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों ने वजीराबाद रोड को ब्लॉक कर दिया है और वो बहुत आक्रामक हैं."
कपिल मिश्रा की स्पीच का चार्जशीट में कोई जिक्र ही नहीं है. ये तब है जब मिश्रा के पुलिस को अल्टीमेटम देते समय DCP वहां मौजूद थे.
मिश्रा के नाम की जगह चार्जशीट में मौजपुर में 'कुछ लोगों की भीड़' का जिक्र किया गया है.
ऐसा लगता है कि हिंसा के लिए एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया गया है.
ये और चौंकाने वाला इसलिए भी है क्योंकि पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, 24 फरवरी को मौजपुर में बड़ी झड़प हुई थीं. वो इलाका जहां मिश्रा ने स्पीच दी थी.
ध्यान देने वाली बात ये है कि जामिया में हुए प्रदर्शन को पुलिस ने घटनाक्रम का हिस्सा बताया है लेकिन हिंसा शुरू होने से 24 घंटे पहले दी गई स्पीच को नहीं. जामिया में प्रदर्शन हिंसा से करीब दो महीने पहले हुए थे.
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