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बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल की टिप्पणी को लेकर बैकफुट पर दिख रही है. नूपुर शर्मा को सस्पेंड (Nupur Sharma Suspend) करने और जिंदल को पार्टी से निकालने के बाद भी सरकार की फजीहत कम नहीं हुई है. जहां देश के बाहर सहयोगी खाड़ी मुस्लिम देश अपनी नाराजगी जता चुके हैं वहीं देश के अंदर भी विपक्ष सरकार को घेर रहा है.
अब सवाल है कि बीजेपी ने पहले अपने नेताओं पर एक्शन लिया या उसके पहले ही विवाद उसके नियंत्रण से बाहर हो गया था और उसे मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा? यह जानने का एक तरीका यह हो सकता है कि आप इस विवाद की पूरी टाइमलाइन जान लें. चलिए आपको बताते हैं कि बीजेपी प्रवक्ता द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादास्पद बयान विवाद में कब-कब क्या हुआ?
बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने 26 मई को एक प्रमुख टीवी न्यूज 'डिबेट शो' के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर कतिथ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. यह टीवी डिबेट ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मिले ढांचे पर चल रहे विवाद (शिवलिंग या फाउंटेन) के ऊपर था.
इसके बाद नूपुर शर्मा ने उसी दिन ट्विटर पर दावा किया कि मोहम्मद जुबैर ने कथित तौर पर एडिटेड वीडियो शेयर किया है और अब उनको बलात्कार और परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.
हालांकि ऑल्ट न्यूज के दूसरे को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने शनिवार, 28 मई को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने नूपुर शर्मा के आरोपों को “पूरी तरह से झूठा” करार दिया. उन्होंने कहा कि वीडियो को जुबैर ने एडिट नहीं किया है.
नुपुर शर्मा के खिलाफ रविवार, 29 मई को IPC की धारा 295 A (धार्मिक भावनाओं को आहत करना), 153 A (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 505 B के तहत मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी. सुन्नी बरेलवी संगठन रजा एकेडमी की शिकायत के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
नुपुर शर्मा के खिलाफ सोमवार, 30 मई को एक और मामला दर्ज किया गया. 'शत्रुता को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने' के आरोप में ठाणे के मुंब्रा पुलिस स्टेशन में यह मामला दर्ज किया गया था.
पैगंबर मोहम्मद पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ कानपूर में 3 जून को बुलाए गए एक बंद के दौरान दो पक्षों में पत्थरबाजी हुई. दो समूहों के बीच झड़प के बाद 20 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 40 लोग घायल हो गए.
कतर, कुवैत, ईरान, सऊदी अरब जैसे देशों द्वारा नई दिल्ली के खिलाफ आधिकारिक विरोध दर्ज कराने और "सार्वजनिक माफी" की मांग से पहले इस देशों में लोगों का सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट पड़ा और कुछ अरब देशों में भारतीय सामानों के बहिष्कार की मांग भी होने लगी.
पीएम मोदी के खिलाफ हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. इन मुस्लिम देशों में से सभी के भारत के साथ बहुत करीबी संबंध हैं और ये लाखों भारतीय प्रवासियों के घर हैं. अल जजीरा टीवी ने रिपोर्ट किया कि कुवैत में कुछ दुकानों में भारतीय उत्पादों को हटा दिया गया था.
नूपुर शर्मा के विवादस्पद बयान और और दिल्ली मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल के ट्वीट पर बढ़ते बवाल के बीच बीजेपी रविवार, 5 मई को सामने आई. एक प्रेस बयान में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा कि भारत के इतिहास के हजारों वर्षों के दौरान हर धर्म फला-फूला है. भारतीय जनता पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है. बीजेपी किसी भी धर्म के धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है."
रविवार, 5 मई को ही दबाव में दिख रही बीजेपी ने आखिरकार बड़ा कदम उठाया और प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया. साथ ही नवीन कुमार जिंदल को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक सद्भावना भड़काने के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया .
शर्मा ने बाद में बिना शर्त विवादास्पद बयान वापस ले लिया और ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का उनका इरादा कभी नहीं था.
बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बढ़ते विरोध के बाद दोनों नेताओं के खिलाफ एक्शन तो लिया लेकिन कुवैत, कतर और सऊदी अरब के विदेश मंत्रालयों ने रविवार, 5 मई को आधिकारिक बयान जारी कर टिप्पणी की निंदा की और माफी की मांग की.
भारत के विदेश मंत्रालय और इन देशों में मौजूद भारतीय दूतावास ने अपने बयान में कहा कि आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती हैं.
मालूम हो कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी प्रवासी आबादी है. भारत के बाहर रहने वाली सबसे अधिक भारतीय आबादी UAE में है. वास्तव में भारतीय UAE की आबादी का 30% हिस्सा हैं.
प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत वापस भेजे जाने वाला धन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. भारत लगातार दुनिया में प्रवासियों द्वारा भेजे धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है. 2021 में भारत को इस माध्यम से 87 बिलियन डॉलर से अधिक प्राप्त हुआ. यह भी एक कारण है कि केंद्र सरकार भारतीयों और भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की स्थति में अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने पर मजबूर हुई.
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