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दिल्ली AIIMS की नर्स यूनियन ने अपनी तमाम मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है और ये सिर्फ एक या दो दिन की हड़ताल नहीं है, बल्कि ऐलान किया गया है कि अनिश्चितकाल तक हड़ताल चलेगी. नर्सों की इस हड़ताल के बाद एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. सोमवार 14 दिसंबर को तमाम नर्सों ने अपना कामकाज छोड़कर इस हड़ताल में हिस्सा लिया. जिसके बाद खुद एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया को नर्सों से अपील करनी पड़ी कि इस कोरोना के दौर में वो ऐसा कदम न उठाएं.
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर की तरफ से हड़ताल को लेकर कहा गया कि इस कोरोना के दौर में हड़ताल पर जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. गुलेरिया ने कहा कि, “कुछ ही महीने बाद कोरोना की वैक्सीन लोगों तक पहुंच जाएगी. मैं सभी नर्सों और नर्सिंग ऑफिसर्स से अपील करता हूं कि वो हड़ताल पर न जाएं और वापस काम पर आकर इस महामारी से लड़ने में हमारी मदद करें.”
बता दें कि अपनी मांगों को एम्स की नर्स यूनियन पिछले कई दिनों से प्रशासन के सामने रख रही थी, लेकिन जब उन्हें नहीं सुना गया तो उन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना है. उनका आरोप है कि उनकी मांगों को नहीं सुना जा रहा है. एम्स नर्सिंग यूनियन का कहना है कि वो कई बार डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सामने अपनी बात रख चुके हैं. लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया. जिसके बाद अब हड़ताल के अलावा उनके पास दूसरा विकल्प नहीं बचा है. नर्स यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजरा ने कहा,
बता दें कि नर्सों की प्रमुख मांगों में वेतन बढ़ाए जाने और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का जिक्र किया गया है.
इस हड़ताल का असर पहले ही दिन से स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखने लगा है. एम्स की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी सेवाओं में भी कटौती शुरू हो चुकी है. हालांकि ओपीडी पर ज्यादा असर नहीं दिखा. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हुई जो एम्स में भर्ती थे. उनकी देखभाल के लिए नर्स मौजूद नहीं थीं. सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें दिखीं, जहां मरीजों का पूरा वार्ड खाली नजर आया. अब आगे भी इस हड़ताल का असर नजर आ सकता है. हालांकि नर्स यूनियन के मुताबिक एम्स ने जरूरी सेवाओं के लिए अब बाहर से नर्सों को बुलाना शुरू कर दिया है. इस कदम के बाद अब विरोध और तेज हो चुका है.
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