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ओडिशा (Odisha) में 24 साल के बाद सत्ता में फेरबदल होने जा रहा है. बीजेपी को 2024 के विधानसभा चुनाव में राज्य में 78 सीटों के साथ बहुमत मिला है. इसके साथ ही राज्य की सत्ता में 2 दशक से ज्यादा वक्त से काबिज नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
नवीन पटनायक साल 2000 से लगातार ओडिशा के सीएम बने हुए थे. शुरुआती समय में उन्होंने बीजेपी का साथ लेकर ही राज्य में अपना राजनीतिक साम्राज्य खड़ा किया था. हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और 2009, 2014, 2019 का चुनाव अपने बूते जीता था.
बीजेपी ने ओडिशा विधानसभा की 147 सीटों में से 78 सीटें जीत ली और लोकसभा की 21 में से 20 सीटें अपने नाम कर ली हैं.
साल 2019 लोकसभा और विधानसभा नतीजों की बात करें तो 2019 लोकसभा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल को 12 सीटें और बीजेपी को 8 सीटें मिली थीं. वहीं एक सीट कांग्रेस के खाते में गई.
पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे के मुताबिक, बीजेडी को इस लोकसभा चुनाव में 6 प्रतिशत वोट शेयर का नुकसान हुआ है. 2019 में बीजेडी का वोट शेयर 43.3 प्रतिशत था जो 2024 में घटकर 37.5 प्रतिशत हो गया.
जाहिर है बीजेपी ज्यादातर राज्यों में अपने मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने नहीं रखती है. ओडिशा में भी बीजेपी ने अब तक ये साफ नहीं किया है कि ओडिशा की कमान किस व्यक्ति के हाथ में जाएगी. हालांकि कुछ संभावित नाम हैं जिन्हें बीजेपी सीएम की कुर्सी दे सकती है.
धर्मेंद्र प्रधान को ओडिशा के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है. इसकी एक वजह ये है कि बाकी नेताओं के मुकाबले धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के खांचे में फिट बैठते हैं. उन्होंने पिछले एक दशक से केंद्र सरकार के साथ काम किया है, इसके अलावा पिछले कुछ सालों से ओडिशा में बीजेपी की उड़िया अस्मिता कैंपेन के प्रमुख चेहरे रहे हैं.
2024 लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान ने संबलपुर से बीजेडी के प्रणब प्रकाश दास को 1 लाख से अधिक वोट के अंतर से हराया. उन्होंने 2004 में देवगढ़ लोकसभा सीट जीती लेकिन 2009 में पल्लाहारा से हार गए थे. उन्होंने 2024 से पहले बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए हैं. इसके अलावा वह ओडिशा में बीजेपी चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं.
कभी नवीन पटनायक के करीबी रहे बैजयंत पांडा भी ओडिशा सीएम पद की रेस में हैं. उन्होंने 2019 में बीजेपी ज्वाइन किया. तब बीजेडी ने उन्होंने गैर-दल गतिविधियों का हवाला देते हुए पार्टी से निकाल दिया था. फिलहाल वह बीजेपी में उपाध्यक्ष के पद पर हैं. बैजयंत पांडा को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का समर्थन हासिल है. 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीजेडी के अंशुमान मोहंती को 66,000 से अधिक वोट के के अंतर से हराया.
बैजयंत पांडा के कद का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि जब साल 2022 में बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही थी तब पार्टी ने पांडा को बीजेपी की रणनीति का खाका तैयार करने वाली चार सदस्यीय टीम का अध्यक्ष बनाया था.
बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी भी ओडिशा में मुख्यमंत्री पद की रेस में एक अहम चेहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं. 2024 लोकसभा में उन्होंने करीब 1.5 लाख वोट से जीत दर्ज की है. साल 2019 में जब पार्टी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बना सभी को चौंका दिया था. साल 2019 से 2021 तक उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का पद संभाला है. वे 2022 में जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य थे.
बीजेपी के प्रवक्ता और पुरी से चुने गए सांसद संबित पात्रा का नाम भी सीएम पद के लिए लिया जा रहा है. संबित ने ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. उन्होंने बीजू जनता दल के अरूप मोहन पटनायक को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है. संबित पात्रा को कुल 6 लाख 29 हजार वोट मिले हैं. पिछली बार संबित पात्रा पुरी सीट को बेहद मामूली अंतर से हार गए थे.
संबित का शुरुआती पेशा डॉक्टर रहा है. कहा जाता है कि उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा भी दी है और टॉपर रहे हैं.
डॉ पात्रा डिबेट में अपने बोलने के अंदाज और कई बार विवादित टिप्पणियों की वजह से चर्चा में रहे हैं. पिछले महीने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भगवान जगन्नाथ को 'PM मोदी का भक्त' बता दिया था. इस बयान की लपटें केंद्रीय राजनीति तक पहुंची और विवाद बढ़ गया. विपक्ष ने हाथों-हाथ डॉ पात्रा के बयान पर बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया. आखिरकार संबित पात्रा को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी.
संबित का नाम ओडिशा की सीएम रेस में सबसे आखिरी में है. इसकी एक वजह ये है कि उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता है. इसके अलावा संबित पात्रा के पास प्रशासन का कोई अनुभव नहीं है. वह बीजेपी के प्रवक्ता रहे हैं और गेल इंडिया के डायरेक्टर भी रहे हैं.
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