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दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में कोरोना का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. लोगों को अस्पतालों और क्वॉरन्टीन सेंटरों में शिफ्ट किया जा रहा है. अब तक 24 लोगों में कोरोनावायरस की पुष्टि हुई है. मामला सामने आने के बाद इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की जा रही है. इसपर मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने क्विंट हिंदी से कहा है कि ये एक गलती थी और इसे सांप्रदायिक रंग देना दुखद है.
सरेशवाला ने कहा कि इस कार्यक्रम को नहीं करने की सलाह उन्होंने मरकज को दी थी, लेकिन बावजूद कार्यक्रम होना एक गलती है. उन्होंने कहा, “मैंने और कई लोगों ने कई महीनों पहले उन्हें किसी भी कार्यक्रम को नहीं करने के लिए कहा था. जिस दिन ये कार्यक्रम हुआ, उसी दिन पाकिस्तान में भी एक बड़ा तबलीग का कार्यक्रम हुआ, लेकिन वहां मौलाना ने दुआ पढ़ने के बाद लोगों को हटा दिया. तो ये एक गलती हुई यहां.”
जफर सरेशवाला ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से वहां न कोई अंदर गया है और न ही बाहर आया है. ये एक गलती है. इसे इसी तरह से देखना चाहिए और कोई सांप्रदायिक रंग नहीं निकालना चाहिए.
शाहिद सिद्दीकी ने ट्वीट कर लिखा- हम उस भारतीय मीडिया को सलाम करते है जिसके अंदर क्षमता है किसी भी मुद्दे को इस्लाम और मुसलिम की तरफ मोड़ देने की.
निजामुद्दीन मरकज से मंगलवार तड़के 860 लोगों को निकालकर अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचाया गया है. कुल मिलाकर इस मरकज में लगभग 1400 लोग ठहरे हुए थे, जिनको इस मरकज से निकाला गया है. ये सभी लोग एक धार्मिक समारोह में भाग लेने यहां आए हुए थे.
मरकज में आए जिस शख्स की मौत सोमवार को हुई थी, अब उसके परिवार को आइसोलेशन में रखा गया है, इसके साथ ही तेलंगाना और तमिलनाडु में निजामुद्दीन के मरकज से गए लोगों की तलाश जारी है.
तेलंगाना में 194 लोगों को क्वॉरन्टीन किया गया, जबकि तमिलनाडु में 981 लोगों की पहचान कर ली गई और इनका टेस्ट किया जा रहा है. दिल्ली के निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज में करीब 1400 लोग ठहरे हुए थे, जिसमें कई विदेशी भी शामिल थे. जमात के विदेशी मेहमानों में ज्यादातर मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक बताए जा रहे हैं.
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