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डिजिटल मीडिया रेगुलेशन पर ईरानी को सौ से ज्यादा पत्रकारों का खत 

क्विंंट के फाउंडर का कहना है कि सरकार को रेगुलेशन के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.

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100 से ज्यादातर पत्रकारों और प्रोफेशनल्स ने सरकार को ऑनलाइन रेगुलेशलन के खिलाफ लिखा खत
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100 से ज्यादातर पत्रकारों और प्रोफेशनल्स ने सरकार को ऑनलाइन रेगुलेशलन के खिलाफ लिखा खत
(फोटो: PTI)

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ऑनलाइन मीडिया से जुड़े 100 से ज्यादा पत्रकारों और अन्य प्रोफेशनल्स ने 1 मई को स्मृति ईरानी को खत लिखा है. इसमें मंत्रालय के पारंपरिक ब्रॉडकास्ट नियम और इंटरनेट पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर चिंता जाहिर की गई है.

इसमें इंडस्ट्री के दिग्‍गज पत्रकार भी शामिल हैं, जैसे राघव बहल, संजय पुगलिया, एमके वेणु, मधु त्रेहन, नलिनी सिंह, प्रन्जॉय गुहा ठाकुरता, शिवम विज, अनिरुद्ध बहल और रमन कृपाल. इसके अलावा न्‍यू मीडिया के कुछ उद्यमी भी इसमें शामिल हैं, जैसे धन्य राजेंद्रन (द न्यूज मिनट), सीमा मुस्तफा (द सिटिजन), रितु कपूर (द क्विंट), तन्मय भट्ट (AIB) और भरत नायक (द लॉजिकल इंडियन).

अपने खत में पत्रकार और मीडिया प्रोफेशनल्स ने चिंता जाहिर की है कि पहले की तरह का मीडिया स्ट्रक्चर लाने, लाइसेंसिंग और कंटेंट रेगुलेशन से इस मीडियम पर बुरा असर पड़ेगा.

इंटरनेट पर आधारित मीडिया और फेसबुक, गूगल जैसे ग्लोबल मीडिया एग्रीगेटर्स ने कंटेंट और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन को बदल दिया है, जिसे सरकार आसानी से कंट्रोल नहीं कर सकती है और न ही उसे कोशिश करनी चाहिए. ये एक आजाद लोकतांत्रिक जगह है और इसे ऐसे ही रहने दिया जाना चाहिए.
एमके वेणु , फाउंडिंग एडिटर, द वायर

पत्रकार और मीडिया एनालिस्ट गीता सेशू का भी कहना है कि आज भारत में डिजिटल मीडिया इस तरह उभर रहा है, जहां आप सूचनाएं पा सकते हैं, भले ही यहां खराब इंटरनेट और कम ब्रॉडबैंड स्पीड हो.

उन्होंने ऑनलाइन मीडिया को रेगुलेट करने के सरकार के फैसले पर निराशा जाहिर की है. दरअसल, एक कमेटी बनाई जानी है, जिसमें ज्यादातर सरकारी अधिकारी शामिल होंगे.

न्यूज लॉन्ड्री की को-फाउंडर मधु त्रेहन कहती हैं कि इंटरनेट को रेगुलेट करना काफी मुश्किल काम है. इसके काफी बड़े और दूरगामी प्रभाव होंगे. उनके मुबातिक, इसे रेगुलेट करने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए चर्चा होनी चाहिए और ये काम ट्रांसपेरेंसी के साथ होना चाहिए.

द सिटिजन और करंट अफेयर्स वेबसाइट की फाउंडर एडिटर सीमा मुस्तफा ने चेताया है कि ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करना गलत है.

सरकार को रेगुलेशन की जल्दी नहीं करनी चाहिए. सरकार को नए सिरे से शुरुआत करनी चाहिए. पहले ग्लोबल स्तर पर ऑनलाइन कंटेंट रेगुलेशन की स्टडी करनी चाहिए. कई लोकतंत्रिक देशों ने इसके लिए पहले डिबेट की और फिर एक अच्छे फ्रेमवर्क के साथ सामने आए, जिससे फ्री स्पीच और ट्रांसपेरेंसी बनी रहे.
राघव बहल, नेटवर्क 18 और क्विंटिलियन मीडिया के फाउंडर
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जैसे ही ये खबर आई कि सरकार ने ऑनलाइन मीडिया को रेगुलेट करने के लिए कमेटी बनाई है, जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तर्ज पर रेगुलेशन करेगी, इसके बाद पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर खुद को एकजुट किया और तुरंत वॉट्सऐप ग्रुप बनाया.

इसके लिए 100 से ज्यादा पत्रकार और प्रोफेशनल्स साथ आए और याचिका साइन की. onlinefreedomfoundation.org नाम की एक वेबसाइट भी बनाई गई, जिस पर आम नागरिक भी सरकार के ऑनलाइन रेगुलेशन का विरोध कर सकें.

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Published: 01 May 2018,10:24 PM IST

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