Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Panipat:मां ने बच्चे की सलामती के लिए रखा था व्रत,बच्चा बेड से गिरा और मौत हो गई

Panipat:मां ने बच्चे की सलामती के लिए रखा था व्रत,बच्चा बेड से गिरा और मौत हो गई

बच्चे की मां ने बताया- बेटे की उम्र 9 महीने थी, हादसे के वक्त मैं किचन में काम कर रही थी.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>पानीपत में बच्चे के बेड से गिरने से मौत</p></div>
i

पानीपत में बच्चे के बेड से गिरने से मौत

Quint Hindi

advertisement

हरियाणा के पानीपत में अहोई अष्ठमी पर एक बड़ा हादसा हो गया. जिले की देशराज नाम की एक कॉलोनी में के एक मकान में बैड पर सो रहा 9 महीने का बच्चा मुंह के बल नीचे जमीन पर गिर गया. आनन-फानन में मां बच्चे को सिविल अस्पताल ले कर गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

3 साल के बाद नसीब हुआ था पहला बच्चा 

बच्चे की मां छाया ने बताया कि शादी को करीब 3 साल हो चुके हैं. काफी मन्नतों के बाद उसे बेटा निशांत पैदा हुआ. बेटे की उम्र 9 माह थी. अहोई अष्टमी के दिन उसने अपने बच्चे की लंबी उम्र, सलामती के लिए व्रत रखा था. शाम करीब 4 बजे बेटा सो रहा था. बेटे को बेड पर लिटाकर वह शाम को अहोई माता की पूजा के लिए तैयारी करने लगी. जिसके चलते वह रसोई में प्रसाद बनाने लगी. उसे रसोई में काम करते हुए अभी करीब 30 ही मिनट हुए थे, इसी बीच उसे धड़ाम की आवाज सुनाई थी. मां ने बताया कि नीचे गिरने के बाद न ही उसके बेटे की आवाज निकली. न ही इसके बाद वह होश में आया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बेटे को लेकर 4 अस्पतालों तक दौड़ी मां

हादसे के बाद मां सबसे पहले वह देवी मूर्ति कॉलोनी स्थित बच्चों के एक निजी अस्पताल ले गई. जहां डॉक्टरों ने मना कर दिया, तो उन्होंने सिविल अस्पताल ले जाने के बारे में कहा. मां दौड़ती हुई बच्चे को सिविल अस्पताल ले गई. जहां डॉक्टरों ने करीब आधा घंटे तक बच्चे को CPR दिया. मगर, बच्चे की सांस लौट कर नहीं आई. जब यहां के डॉक्टरों ने भी परिजनों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो मां अपने बच्चे को गोद में उठाकर फिर से वहां से तीसरे अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी और वहां से चौथे अस्पताल ले गई.

डाक्टरों से लगाती रही बेटे को बचाने की गुहार

सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में बच्चे का इलाज माइनर OT में चला. जहां मां बार-बार OT के अंदर जा रही थी. डॉक्टर बार-बार उसे बाहर भेज रहे थे. डॉक्टर की चुप्पी देखकर मां अपना आपा खो बैठी. महिला डॉक्टर के गले लग कर खूब रोई. डॉक्टरों ने भी उसे लगे से लगाए रखा. रोती-बिलखती मां सिर्फ एक बात कहती रही कि एक बार मेरे बच्चे के सांस वापिस ला दो. मगर, बेटे तो बचाया नहीं जा सका.

इनपुट- नरेश मजोका

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT