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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानून के विरोध में अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया है. बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखी एक लंबी चिट्ठी में अपना सम्मान लौटाने की बात कही. चिट्ठी में पूर्व सीएम ने लिखा कि वो सरकार द्वारा किसानों के साथ किए विश्वासघात और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान किसानों के साथ हुए बर्ताव का विरोध में पुरस्कार वापस कर रहे हैं.
NDA से नाता तोड़ चुकी शिरोमणि अकाली दल के नेता ने चिट्ठी में लिखा, "मैं जो हूं, वो लोगों की वजह से हूं, खासकर के आम किसानों के. आज, जब वो अपने सम्मान से ज्यादा खो चुके हैं, तो मुझे पद्म विभूषण सम्मान रखने में कोई बात नहीं दिखती. इसलिए, मैंने विरोध में अपना सम्मान लौटाने का फैसला किया है."
किसान बिलों का विरोध करते हुए मोदी सरकार से हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे के बाद शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी को एक और झटका देते हुए एनडीए से 22 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया है. 26 नवंबर को शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक होने के बाद अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि किसानों के हित में शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी और एनडीए का साथ छोड़ने का फैसला किया है. इससे पहले, बीते 17 सितंबर को शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने तीनों बिलों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) की स्थापना की थी. उस समय शुरुआती घटकों में प्रकाश सिंह बादल की पार्टी अकाली दल भी एनडीए का सहयोगी बना था. तब से लगातार अकाली दल बीजेपी का सहयोगी रहा था. एनडीए से नाता तोड़ने का शिरोमणि अकाली दल का फैसला इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि साल 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं.
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच बैठकों का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन इसका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. गुरुवार को, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और गृहमंत्री अमित शाह के बीच बैठक हुई. बैठक के बाद सीएम ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच जल्द कोई हल निकलना चाहिए.
दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं की कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठक जारी है. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं.
कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए किसानों ने 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान किया था. लेकिन दिल्ली आने से पहले उन्हें दिल्ली-हरियाण बॉर्डर पर रोक लिया गया. जिसके बाद से किसान पिछले सात दिनों से दिल्ली आने वाले अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वे कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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