advertisement
संसद का मॉनसून सत्र इस बार 18 जुलाई से शुरू हो रहा है. पिछले सत्र में हुए हंगामे को देखते हुए मोदी सरकार ने 17 जुलाई को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है. ये मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा.
बता दें कि आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा, अविश्वास प्रस्ताव, SC/ST एक्ट में बदलाव जैसे मुद्दों को लेकर पिछला बजट सत्र हंगामे की भेठ चढ़ गया था. ऐसे में जब पिछले मुद्दे सुलझे नहीं है और इस सत्र में भी मॉब लिंचिंग, तीन तलाक, पेट्रोल की बढ़ती कीमत जैसे कई मुद्दे हैं तो सरकार और विपक्ष में टकराव होना तय माना जा रहा है.
राज्यसभा के उपसभापति के तौर पर पी जे कुरियन का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है. ऐसे में राज्यसभा का उपाध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव भी इसी सत्र में होना है. अब तक यह पद कांग्रेस के पास था, लेकिन राज्यसभा की बदली तस्वीर के बाद कांग्रेस इस पद को दूसरे दलों को देने पर भी विचार कर रही है. वहीं सरकार की ओर से अपना उम्मीदवार उतारे जाने की चर्चा है.
पिछले मुद्दों के साथ साथ इस बार देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग, किसान के मुद्दे, विशेष राज्य का दर्जा, पेट्रोल के बढ़ते दाम, जम्मू-कश्मीर के हालात, इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर पर तनाव, देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है.
संसद के सत्र को लेकर अभी हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने पत्रकारों से कहा कि सत्र में लगभग 18 कामकाजी दिन होंगे. इस सत्र में तीन तलाक समेत दूसरे विधेयक सरकार के एजेंडा में टॉप पर रहेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि सत्र में लगभग 18 बैठकें होंगी.
उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने पर जोर देगी. मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर विधेयक को भी लिया जाएगा.
बता दें कि पिछले बजट सत्र में विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ करीब 4 बार अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था.
लेकिन सदन में अव्यवस्था का हवाला देते हुए स्पीकर सुमित्रा महाजन ने विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में असमर्थता जताई थी. एेसे में इस बार दोबारा विपक्ष इस मुद्दे को उठा सकती है.
ये भी पढ़ें- क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव, 2 मिनट में समझिए पूरी बात
6 अप्रैल 2018 को बजट सत्र का समापन हुआ था. करीब 1 महीने चले इस बजट सेशन में साल 2000 के बाद से अबतक सबसे कम प्रोडक्टिव रहा और पूरे सेशन के दौरान बजट से जुड़े विधेयकों के इतर सिर्फ दो कानून पारित हो पाए. लोकसभा की कुल 19 बैठकों में वित्त विधेयक और दो विनियोग विधेयकों के अलावा सिर्फ ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक और विशेष राहत (संशोधन) विधेयक ही पास हुए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)