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दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने शुक्रवार को अदालत में बताया कि संसद सुरक्षा उल्लंघन (Parliament Security Breach) का कथित मुख्य आरोपी ललित झा (Lalit Jha) और उसके बाकी साथी आरोपी सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर करने के लिए देश में "अराजकता" पैदा करना चाहते थे. एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलिस इस पूरी घटना को रिक्रिएट करने के लिए संसदीय मंजूरी मांगेगी.
दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस अदालत को बताया कि ललित झा ने स्वीकार किया कि संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की योजना बनाने के लिए उसने मामले के अन्य आरोपियों से कई बार मुलाकात की थी. बिहार के रहने वाला झा कोलकाता में शिक्षक के रूप में काम करता है और उसे शुक्रवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि, "घटना के बाद वह राजस्थान भाग गया जहां वह दो दिनों तक रहा और कल रात दिल्ली लौट आया." सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद झा राजस्थान के नागौर भाग गया था. उसने बताया कि उसके चचेरे भाई - कैलाश और महेश कुमावत ने वहां उसके रहने की व्यवस्था की थी. हालांकि अभी दोनों भाइयों की गिरफ्तारी होना बाकी है.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "हम सदन के अंदर और संसद भवन के बाहर घटना को फिर से बनाने की अनुमति लेने के लिए संसद से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं. ललित झा, गुरुवार को गिरफ्तार हुए ललित झा ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि उसने अपना फोन दिल्ली-जयपुर सीमा के पास फेंक दिया था और अन्य आरोपियों के फोन खत्म कर दिए था."
पुलिस उस फुटवियर डिजाइनर की भी तलाश कर रही है जिसने संसद भवन के अंदर आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए धुएं के डिब्बे को छिपाने वाले जूते तैयार किए थे.
संसद के सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच की जा रही है, जबकि जांच में सुराग के लिए घटनास्थल के आसपास के मोबाइल फोन डेटा को भी जमा किया जा रहा है. पुलिस को यह भी संदेह है कि अगर मुख्य योजना फेल होती तो इसकी जगह 'प्लान बी' भी बनाया गया था.
"झा ने खुलासा किया कि वे देश में अराजकता पैदा करना चाहते थे ताकि वे सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर कर सकें. झा ने बड़ी साजिश के तहत उन्हें छिपाने और सबूत नष्ट करने के लिए (अन्य आरोपियों के) फोन ले लिए थे.
पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया, ''जयपुर से दिल्ली जाते समय उसने अपना फोन फेंक दिया था."
एफआईआर से सुनियोजित ऑपरेशन का पता चलता है:
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