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संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद बड़ा बदलाव, दिल्ली पुलिस की जगह CISF को कमान

Parliament Security: केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को इसकी अधिसूचना जारी की है.

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<div class="paragraphs"><p>संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद बड़ा बदलाव, दिल्ली पुलिस की जगह CISF को कमान</p></div>
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संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद बड़ा बदलाव, दिल्ली पुलिस की जगह CISF को कमान

(फोटो: X)

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संसद की सुरक्षा में सेंध मामले (Parliament Security Breach) के बाद केंद्र ने अब पार्लियामेंट की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ (Central Industrial Security Force) को सौंप दी है. दिल्ली पुलिस से ये जिम्मेदारी लेकर सीआईएसएफ को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है.

केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को इसकी अधिसूचना जारी की है. जिसमें गृह मंत्रालय ने कहा कि सीआईएसएफ एजेंसी प्रभारी के रूप में दिल्ली पुलिस की जगह लेगी और प्रवेशकों की तलाशी सहित सभी संबंधित जिम्मेदारियां संभालेगी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने केंंद्र सरकार के इस फैसले पर कहा....

''CISF न केवल सुसज्जित और प्रशिक्षित है बल्कि उसके पास संसद की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तकनीक भी है.''

परिसर के भीतर सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की रहेगी. यह बदलाव संसद के आंतरिक और बाहरी हिस्से के विस्तृत सुरक्षा सर्वे के बाद लागू किया जाएगा.

हवाई अड्डों और परमाणु सुविधाओं सहित CISF पर कई जिम्मेदारी

CISF की वेबसाइट के अनुसार, यह बल "संवेदनशील सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सुरक्षा कवर" प्रदान करता है. यह 1969 में अस्तित्व में आया. वर्तमान में यह हवाई अड्डों और परमाणु सुविधाओं सहित 350 से अधिक ऐसे स्थानों की सुरक्षा करता है.

इसके अलावा, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल महत्वपूर्ण सरकारी भवनों, प्रतिष्ठित विरासत स्मारकों और दिल्ली मेट्रो को संरक्षण प्रदान करता है. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पास एक विशिष्ट वीआईपी सुरक्षा है, जो महत्वूपर्ण व्यक्तियों को चैबीस घंटे सुरक्षा उपलब्ध करवाता है.

बता दें कि 13 दिसंबर को दो लोग एक बीजेपी सांसद के कार्यालय से जारी पास के माध्यम से लोकसभा की विजिटर्स गैलरी में पहुंच गए. इसके बाद दर्शक दीर्घा को कूदकर वो सदन में आ गए और उन्होंने पीले धुएं छोड़ दिए. जिसके बाद सदन में मौजूद एमपी ने उन्हें पकड़कर पुलिस को सौंप दिया. इस घटना के बाद से ही संसद की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे.

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