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प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने जम्मू-कश्मीर में सरकार द्वारा मीडिया की स्वंतत्रता खत्म करने के कदम को सही ठहराया है. इसके लिए PCI ने राष्ट्रहित का तर्क दिया है. बता दें सरकार ने आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर पाबंदियां लगाई हैं.
बता दें 'प्रेस की स्वतंत्रता' कायम रखने के लिए PCI का गठन किया गया था. दरअसल कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भासिन ने मीडिया पर लगाई पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन लगाई थी. इसी पेटिशन पर अपनी राय रखते हुए PCI ने एख दूसरी पेटिशन में यह बातें कही हैं.
PCI की पेटिशन के मुताबिक 'राष्ट्रहित और मीडिया की स्वतंत्रता के लिए' काउंसिल अनुराधा भासिन की पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में राय रखकर मदद करना चाहता है.
10 अगस्त को अनुराधा भासिन ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट पेटिशन लगाई थी. यह पेटिशन सरकार द्वारा कश्मीर में कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट के विरोध में लगाई गई थी. इसके मुताबिक,
भासिन के मुताबिक, ‘मीडिया पर लगे प्रतिबंधों से पूरी तरह ब्लैकआउट की स्थिति बन चुकी है और इससे मीडिया रिपोर्टिंग, पब्लिशिंग बुरे तरीके से प्रभावित हुई है.’
PCI खुद के हस्तक्षेप को सही ठहराते हुए पेटिशन में प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के सेक्शन 13 में गिनाए गए काम बताती है. इसके मुताबिक PCI का काम है-
इसके अलावा पीसीआई की पेटिशन पत्रकारीय काम के नियमों को भी बताता है.
PCI के इस रुख पर कई पत्रकारों ने सवाल उठाए हैं. कुछ ने तो संस्था की गरिमा और काम करने के तरीके से नाराजगी जताई है.
बता दें कश्मीर में पत्रकारों को कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के मुख्य इलाकों में पत्रकारों की आवाजाही पर सुरक्षाबल रोक लगा रहे हैं.
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