Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Pegasus जासूसी पर IT मंत्री के 10 दावे- IFF ने एक-एक का दिया जवाब

Pegasus जासूसी पर IT मंत्री के 10 दावे- IFF ने एक-एक का दिया जवाब

Pegasus प्रोजेक्ट में लगे आरोपों पर सरकार का जवाब तसल्ली नहीं देता

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Internet Freedom Foundation ने किया वेरिफाई</p></div>
i

Internet Freedom Foundation ने किया वेरिफाई

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) खुलासे ने भारतीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. इस लिस्ट में अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह का भी नाम सामने आया है. वहीं, 40 से ज्यादा भारतीय पत्रकारों पर जासूसी की बात पहली रिपोर्ट में सामने आई थी.

इस रिपोर्ट को लेकर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने 19 जुलाई को लोकसभा में बयान दिया. डिजिटल राइट्स की वकालत करने वाले नई दिल्ली स्थित, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने आईटी मंत्री के सभी दावों को एक-एक ट्वीट में वेरिफाई किया है.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 1

दावा: उन रिपोर्टों का कोई आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था. 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट्स भी, भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास लगती हैं.

IFF: मंत्री ने ये साफ नहीं किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के किस मामले की बात कर रहे हैं, WhatsApp पर पेगासस के इस्तेमाल का मामला हाल ही में Binoy Viswam v RBI सुनवाई में सामने आया, जिसमें WhatsApp के वकील ने ऐसे दावों का खंडन किया था. किसी सरकारी अधिकारी या एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में दावों का खंडन नहीं किया था. इसके अलावा, रिपोर्ट में भारत सरकार या किसी सरकारी अधिकारी का नाम नहीं है. रिपोर्ट बस इस ओर इशारा करती है कि 'NSO ग्रुप के क्लाइंट्स केवल सरकार हैं, जिसका आंकड़ा 36 हो सकता है.' हालांकि, ये अपने ग्राहकों की पहचान करने से इनकार करता है, ये दावा इस संभावना से इनकार करता है कि भारत या विदेश में कोई भी निजी संस्था फोन में पेगासस भेजने के लिए जिम्मेदार है, जिसे द वायर और उसके पार्टनर्स ने कंफर्म किया है.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 2

दावा: आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही थी.

IFF: रिपोर्ट में कहा गया है कि लीक हुए डेटाबेस में 300 से ज्यादा वेरिफाइड भारतीय मोबाइल फोन नंबर शामिल हैं. इनमें से केवल 10 फोन में ही सीधे तौर पर पेगासस स्पाइवेयर से टारगेट होने की बात सामने आई थी.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 3

दावा: रिपोर्ट खुद साफ करती है कि लिस्ट में किसी नंबर के मौजूद होने का मतलब उसकी जासूसी नहीं है.

IFF: ये बयान सच है, लेकिन इसमें ये नहीं बताया गया है कि उसी रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा किए गए टेक्निकल एनालिसिस के रिजल्ट शामिल हैं, जिसमें इस बात के सबूत मिले हैं कि पेगासस का इस्तेमाल 10 फोन को टारगेट करने के लिए किया गया.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 4

दावा: अब देखते हैं कि टेक्नोलॉजी की मालिक NSO ने क्या कहा है. मैं कोट करता हूं: "NSO ग्रुप का मानना है कि आपके दिए गए दावे बुनियादी जानकारी से लीक हुए डेटा की भ्रामक व्याख्या पर आधारित हैं, जैसे कि HLR लुकअप सर्विस, जिसका पेगासस या किसी दूसरी NSO के कस्टमर्स टारगेट की लिस्ट से कोई संबंध नहीं है. ऐसी सेवाएं किसी के लिए, कहीं भी, और कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं, और आमतौर पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ दुनिया भर में निजी कंपनियों द्वारा उपयोग की जाती हैं. ये विवाद से परे है कि डेटा का सर्विलांस या NSO से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए, वहां ये सुझाव देने के लिए कोई आधार नहीं हो सकता है कि डेटा का इस्तेमाल किसी भी तरह जासूसी के बराबर है."

IFF: बयान के आखिर के दो वाक्यों को मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये वेरिफाई नहीं किया जा सकता है.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 5

दावा: हमारे कानून और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ, किसी भी प्रकार की अवैध जासूसी संभव नहीं है. भारत में, एक स्थापित प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन का वैध इंटरसेप्शन किया जाता है, खासतौर से केंद्र और राज्यों की एजेंसियों द्वारा किसी भी पब्लिक इमरजेंसी की घटना या पब्लिक सुरक्षा के हित में.

IFF: सर्विलांस गैरकानूनी है. सरकार द्वारा की गई निगरानी, चाहे कानूनी हो या नहीं, नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, जिसमें आर्टिकल 19 के तहत बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार और फ्री एसोसिएशन का अधिकार और आर्टिकल 21 के तहत निजता का अधिकार शामिल है. निगरानी से संबंधित सभी निर्णय सरकार की कार्यकारी शाखा के भीतर लिए जाते हैं, और इसमें कोई संसदीय या न्यायिक जांच और संतुलन नहीं हैं. आईटी एक्ट के तहत, कंप्यूटर रिसोर्सेस की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा, पब्लिक इमरजेंसी की घटना या पब्लिक सेफ्टी के हित में सीमित नहीं है. असल में, आईटी एक्ट के तहत निगरानी के आदेश के लिए कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 6

दावा: इंटरसेप्शन या जासूसी के हर मामले को सक्षम अधिकारी द्वारा अप्रूव किया जाता है.

IFF: "सक्षम प्राधिकारी" सरकार की कार्यकारी शाखा का एक अधिकारी है. एक "सक्षम प्राधिकारी" का होना भारतीयों को अवैध जासूसी से कोई सुरक्षा नहीं देता है.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 7

दावा: केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति के रूप में एक स्थापित निरीक्षण तंत्र है. राज्य सरकार के मामले में, ऐसे मामलों की समीक्षा संबंधित मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा की जाती है. कानून उन लोगों के लिए एक निर्णय प्रक्रिया भी प्रदान करता है, जो ऐसी किसी भी घटना से प्रभावित होते हैं.

IFF: समीक्षा समिति में सरकार की कार्यकारी शाखा के अधिकारी होते हैं. निरीक्षण (Oversight) समिति में दूसरी शाखाएं भी होनी चाहिए, जैसे विधायिका और न्यायपालिका. इसके अलावा, न तो आईटी एक्ट और न ही 2009 इंटरसेप्शन रूल्स, जासूसी के शिकार लोगों के लिए शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करते हैं. इसके अलावा, सख्त गोपनीयता प्रावधानों के कारण, जासूसी का शिकार लोगों को ये पता लगाना और साबित करना असंभव होगा कि उनकी जासूसी की जा रही थी या नहीं.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 8

दावा: ढांचा और संस्थान समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं.

IFF: आईटी एक्ट की धारा 69 और 2009 इंटरसेप्शन रूल्स की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई रिट याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. PUCL v Union of India मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के तहत वायरटैपिंग के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए थे. समाजिक संगठनों से सर्विलांस रिफॉर्म के लिए भी लगातार आवाज उठाई जा रही है.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 9

दावा: अंत में, मैं विनम्रतापूर्वक ये सबमिट करता हूं कि: 1. रिपोर्ट के पब्लिशर ने बताया है कि वो ये नहीं कह सकता कि पब्लिश्ड लिस्ट में दिए गए नंबर्स की जासूसी की जा रही थी या नहीं.

IFF: रिपोर्ट पब्लिशर ने एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा किए गए टेक्निकल एनालिसिस की मदद से विस्तार से दिखाया है कि कैसे लिस्ट में से कुछ नंबर्स में पेगासस सॉफ्टवेयर से टारगेट होने का सबूत दिखाया गया है, जिसे सिटीजन लैब ने पीयर रिव्यू में कंफर्म किया था.

अश्विनी वैष्णव का दावा नंबर 10

दावा: अंत में, मैं विनम्रतापूर्वक ये सबमिट करता हूं कि: 3. और ये सुनिश्चित करने के लिए हमारे देश की प्रक्रियाएं अच्छी तरह से स्थापित हैं कि अनऑथोराइज्ड सर्विलांस मुमकिन नहीं है.

IFF: भारतीय कानून अनऑथोराइज्ड सर्विलांस के शिकार को शिकायत निवारण तंत्र प्रदान नहीं करता है, न ही ये अनऑथोराइज्ड सर्विलांस के अपराधियों के लिए स्पष्ट सजा के बारे में बताता है. इसे रोकने और दंडित करने के लिए आईटी एक्ट और उसके तहत बनाए गए नियम पर्याप्त नहीं हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT