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'पेगासस प्रोजेक्ट' में हुए खुलासों के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है. मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए विपक्षी नेताओं ने कहा कि ये निजता के अधिकार का उल्लंघन है. वहीं, इस मामले पर सबसे पहले बोलने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि सरकार खुलासा करे कि इसमें उसका हाथ था या नहीं, नहीं तो ये मामला उसे बुरा परेशान करेगा.
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी उन शुरुआती लोगों में से एक थे, जिन्होंने ऐसी खबर आने की बात कही थी. रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद स्वामी ने ट्विटर पर लिखा, "ये समझदारी होगी अगर गृहमंत्री संसद को बताएं कि मोदी सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, जिसने हमारे टेलीफोन टैप और टेप किए हैं. नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल की तरह बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी."
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कटाक्ष करते हुए ट्विटर पर लिखा, "हमें मालूम है वो क्या पढ़ रहे हैं, आपके फोन में सब कुछ!" राहुल गांधी ने ये बात अपने एक पुराने ट्वीट को कोट करते हुए लिखी, जिसमें उन्होंने अपने फॉलोअर्स से पूछा था कि वो इन दिनों क्या पढ़ रहे हैं.
राज्यसभा में कांग्रेस के डिप्टी नेता, आनंद शर्मा ने कहा कि ये मामला काफी गंभीर है, और ये संवैधानिक लोकतंत्र के सिस्टम और नागरिकों की निजता से समझौता करता है. शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "सरकार ये कहकर बच नहीं सकती कि उन्हें वेरीफाई करना है. ये गंभीर मुद्दे हैं. वो कौन सी एजेंसियां हैं जिन्हें मालवेयर मिला है? पेगासस को खरीदने वाली एजेंसियां कौन सी हैं? ये ऐसी चीज नहीं है जिससे सरकार भाग सकती है."
शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि ये चर्चा यका मुद्दा नहीं है, इसकी खुली जांच होनी चाहिए.
पेगासस जासूसी मामले पर क्विंट से बात करते हुए, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "ये चिंता का विषय है क्योंकि हम एक लोकतंत्र हैं, यहां अभिव्यक्ति की आजादी है, आप ये उम्मीद नहीं करते कि सरकार पत्रकारों के काम में हस्तक्षेप कर रही है. ये कुछ बहुत गंभीर सवाल उठाता है कि इस सॉफ्टवेयर को भेजने वाले लोग कैसे काम कर रहे थे."
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को बताना होगा कि उन्होंने NSO का स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं. ट्विटर पर ओवैसा ने लिखा कि NSO ने कई बार कहा है कि वो अपनी सर्विस केवल सरकारों को देता है, तो केंद्र सरकार को बताना होगा कि क्या उन्होंने ये सर्विस ली है और किन लोगों को टारगेट किया गया?
CPI (M) ने कहा कि मोदी सरकार को जवाब देना होगा कि इस गैरकानूनी आपराधाकि जासूसी के पीछे कौन था. एक दूसरे ट्वीट में CPI (M) ने कहा कि पत्रकारों की स्टोरी और जासूसी का समय कोई संयोग नहीं है.
कई दूसरे कांग्रेस नेताओं ने भी इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लिखा, "राजनीतिक विरोधियों के साथ-साथ अब पत्रकार, जज, उद्योगपति, खुद के वरिष्ठतम मंत्री और यहाँ तक की आरएसएस की लीडरशिप को भी नहीं बख्शा, आपने तो. ठीक ही कहा- अबकी बार, जासूस सरकार!"
पेगासस प्रोजेक्ट की पहली लिस्ट में केवल पत्रकारों के नाम हैं, हालांकि, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 18 जुलाई को एक ट्वीट किया था, जिसमें जासूसी मामले में कैबिनेट मंत्रियों के नाम होने का दावा किया गया था.
भारत सरकार ने 'पेगासस प्रोजेक्ट' के आरोपों से इनकार किया है. सरकार ने कहा कि सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है. भारत सरकार ने अपने बयान में कहा, "भारत एक मजबूत लोकतंत्र है, जो अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, इसने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 और आईटी नियम, 2021 को भी पेश किया है, ताकि सभी के निजी डेटा की रक्षा की जा सके और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स को सशक्त बनाया जा सके."
सरकार ने कहा कि अतीत में भारत सरकार के WhatsApp पर पेगासस का इस्तेमाल करने के ऐसे ही दावे किए गए थे. उन रिपोर्ट्स में भी कोई तथ्य नहीं था और भारतीय सुप्रीम कोर्ट में WhatsApp समेत सभी पक्षों ने इसका खंडन किया था.
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